जम्मू कश्मीर में कोरोना संक्रमण से लड़ने में अहम भूमिका निभा रहे भाटिया दंपत्ति, महीनों छुट्टी नहीं लेकर दिन-रात की सेवा
भाटिया दंपत्ति इस समय राजकीय मेडिकल काॅलेज जम्मू में काम कर रहे हैं। डा. एएस भाटिया बायोकैमिस्ट्री विभाग के एचओडी हैं जबकि डा. हरलीन कौर माइक्रोबायालाेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। दोनों को सरकार ने कोरोना संक्रमण के मामले आने के बाद से अहम जिम्मेदारी सौंपी।
जम्मू, राज्य ब्यूरो । कोरोना संक्रमण से जम्मू कश्मीर नियंत्रण पाने में कई राज्यों से आगे हैं। इसमें स्वास्थ्य विभाग के कई डाक्टरों व अधिकारियों की अहम भूमिका रही है। महीनों उन्होंने छुट्टी नहीं ली और दिन रात काम किया। अब भी वह पहले की तरह ही डयूटी में लगे हुए हैं। इन्हीं में एक हैं भाटिया दंपत्ति। उन्होंने पिछले 11 महीनों में कोरोना संक्रमण की जांच से लेकर मरीजों की जिंदगी तक बचाने में अपना अहम योगदान दिया।
भाटिया दंपत्ति इस समय राजकीय मेडिकल काॅलेज जम्मू में काम कर रहे हैं। डा. एएस भाटिया बायोकैमिस्ट्री विभाग के एचओडी हैं जबकि डा. हरलीन कौर माइक्रोबायालाेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। दोनों को सरकार ने कोरोना संक्रमण के मामले आने के बाद से अहम जिम्मेदारी सौंपी। जम्मू कश्मीर में जब गत वर्ष पहला मामला 8 मार्च को आया तो उस समय न तो जम्मू और न ही कश्मीर में कोरोना की जांच की सुविधा थी। यहां से टेस्ट जांच के लिए दिल्ली और पुणे में भेजे जाते थे। लेकिन सरकार ने यह फैसला किया कि सभी टेस्ट की जांच जम्मू कश्मीर में ही होगी। उस समय जीएमसी श्रीनगर के अलावा जीएमसी जम्मू में टेस्ट की सुविधा शुरू हुई लेकिन दोनों ही लैब में बहुत कम टेस्ट होते थे। इसके बाद सरकार ने एक अन्य लैब बनाने की प्रक्रिया शुरू की। यह लैब इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इंटीग्रेटेड मेडिसीन में बननी थी। इसकी जिम्मेदारी सरकार ने डा. हरलीन कौर को सौंपी।
लैब को मान्यता दिलाने में अहम भूमिका निभाई
डा. हरलीन ने लैब को मान्यता दिलाने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इंटीग्रेटेड मेडिसीन में तीसरी लैब स्थापित हुई। इसके बाद सरकार की मुश्किलें कम हुई और इसके बाद इस लैब में भी हर दिन सैकड़ों लोगों की जांच होने लगी। सरकार को इससे काफी राहत मिली। यह वह समय था जब कोरोना के मामले उच्चतम स्तर पर थे और लोगों में भी दहशत थी। मगर डा. हरलीन ने लैब में हर दिन टेस्टों की संख्या बढ़ाई और वीआइपी से लेकर सामान्य लोगों तक के टेस्ट कर सभी को राहत दी। अब एसएमजीएस अस्पताल में बंद पड़ी माइक्रोबायालोजी विभाग की लैब को शुरू करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।
बायोमार्कर टेस्ट बीमारी का पूर्वानुमान बताने में मदद करता है
वहीं डा. एएस भाटिया की भूमिका को भी हर किसी ने सराहा। उनके ऊपर कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डाक्टरों को हर सुविधा उपलब्ध करवाने तथा उरनका मनोबल बढ़ाने की जिम्मेदारी थी। उन्होंने डाक्टरों के लिए होटलों में प्रबंध करने के अलावा मरीजों के लिए बायोमार्कर टेस्ट की सुविधा शुरू की। जीएमसी जम्मू पूरे जम्मू संभाग में ऐसा पहला अस्पताल था जहां पर बायोमार्कर टेस्ट की सुविधा शुरू हुई थी। इस टेस्ट में मरीज की हालत गंभीर रूप से बिगड़ने से पहले ही इसका पता चल जाता है। इसके आधार पर कई कोरोना संक्रमितों की जान बचाई गई। अब तक दो हजार के करीब मरीजों के टेस्ट हो चुके हैं। डा. भाटिया के अनुसार, इस टेस्ट से मरीज की जिंदगी को बचाया जा सकता है या नहीं। जिस प्रकार से मौसम विभाग सुनामी आने से पहले ही इसकी चेतावनी जारी कर देता है कि इसका असर कहां-कहां होगा। उसी तरह से बायोमार्कर टेस्ट भी एक तरह से बीमारी का पूर्वानुमान बताने में मदद कर रहा है। अभी तक इससे कई मरीजों की जान बचाई गई है।
भाटिया दंपत्ति खुद भी बने काेरोना विजेता
कोरोना के मरीजों की जांच करने के दौरान डा. एसएस भाटिया और डा. हरलीन दोनों ही संक्रमित हो गए। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। दोनों घर पर रहे और इस दौरान उन्होंने अपना इलाज करवाया और ठीक 14 दिन के बाद स्वस्थ होने पर वापस काम पर लौटे और फिर से काम शुरू किया। अब डा. एएस भाटिया संक्रमित हुए लोगों के एंटीबाडी टेस्ट कर रहे हैं। अब तक 4 हजार से अधिक लोगों की जांच कर चुके हैं। जम्मू संभाग के सभी जिलों के लोग यहीं पर उनके पास लैब में एंटीबाडी टेस्ट करवा रहे हैं। उनका कहना है कि इससे यह पता चल जाता है कि स्वस्थ होने के बाद उनमें बीमारी से लड़ने के लिए शरीर में एंटीबाडी बनी हैं या नहीं।