जम्मू कश्मीर में बीएड कॉलेज बंद होने की कगार पर पहुंचे, जानिए क्या है वजह

जम्मू संभाग में कई प्राइवेट बीएड कॉलेज बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। कोरोना से उपजे हालात के कारण पिछले साल बहुत कम विद्यार्थी बाहरी राज्यों से आए थे। दाखिला प्रक्रिया भी काफी देरी से शुरू हुई थी।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 07:28 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 07:28 PM (IST)
जम्मू कश्मीर में बीएड कॉलेज बंद होने की कगार पर पहुंचे, जानिए क्या है वजह
जम्मू संभाग में 74 में से 45 बीएड कॉलेज काम कर रहे हैं।

जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू संभाग में कई प्राइवेट बीएड कॉलेज बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। कोरोना से उपजे हालात के कारण पिछले साल बहुत कम विद्यार्थी बाहरी राज्यों से आए थे। दाखिला प्रक्रिया भी काफी देरी से शुरू हुई थी। वहीं इस वर्ष भी बीएड कॉलेजों में दाखिले की गति और कम होने की संभावना बन गई है।

जम्मू संभाग में 74 में से 45 बीएड कॉलेज काम कर रहे हैं। यह सभी जम्मू विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त है। साल 2020 में प्राइवेट बीएड कॉलेजों में करीब 3000 सीटें ही भरी गई थी जबकि कुल सीटों की संख्या 18 हजार से अधिक हैं। विश्वविद्यालय नियमों के अनुसार अगर किसी बीएड कॉलेज में 20 सीटें नहीं भरी जाती है तो फिर विद्यार्थियों को अन्य बीएड कॉलेजों में शिफ्ट कर दिया जाता है। पिछले साल भी 20 से अधिक बीएड कॉलेजों में 20 सीटें नहीं भरी गई थी। जम्मू संभाग के प्राइवेट बीएड कॉलेजों में 5 साल पहले ही सीटें खाली रहनी शुरू हो गई थी क्योंकि बाहरी राज्यों में बीएड कॉलेजों के बड़ी संख्या में खुल जाने के कारण विद्यार्थियों का आना कम हो गया था।

पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश से बीएड के लिए जम्मू आते रहे हैं। उनका रुझान भी कम हो गया है। बीएड की डिग्री की समय अवधि दो साल होने का असर भी दिखाई दिया है क्योंकि कई विद्यार्थी बीएड की जगह मास्टर डिग्री कर लेते हैं। आने वाले समय में जम्मू संभाग में और बीएड कॉलेज भी बंद हो सकते है क्योंकि विद्यार्थियों की संख्या कम होने पर कालेज प्रबंधनों पास इन्हें बंद करने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाएगा।

वहीं दूसरी तरफ जम्मू विश्वविद्यालय के डिस्टेंस एजुकेशन विभाग में कोरोना के कारण पिछले साल बीएड के दाखिले नहीं हो पाए थे। डिस्टेंस एजूकेशन विभाग से बीएड करने वाले अधिकतर उम्मीदवार स्थानीय होते है और अधिकतर नौकरी पेशा होते है विशेषकर अध्यापक।

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