Jammu Kashmir : अनदेखी का शिकार रियासी का बारादरी घाट, उग आईं हैं झाड़ियां

हिंदू धर्म में हर इंसान के देहांत के बाद उसके लिए अंतिम और सत्य माना जाने वाला रियासी का यह स्थान अनदेखी का शिकार है। हालांकि ऐसा भी नहीं की किसी से यह छिपा हो। अंत्येष्टि पर गए लोगों में इसको लेकर चर्चा हर बार और जरूर होती है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 06:10 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 06:31 PM (IST)
Jammu Kashmir : अनदेखी का शिकार रियासी का बारादरी घाट, उग आईं हैं झाड़ियां
रियासी बारादरी स्थित शिवपुरी घाट जाे अनदेखी का शिकार है।

रियासी, राजेश डोगरा : विकास को लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं, लेकिन रियासी में एक ऐसा भी स्थान है, जिसे नजरे इनायत की जरूरत है। वह है रियासी बारादरी स्थित शिवपुरी घाट। यहां सिर्फ रियासी कस्बा ही नहीं, बल्कि आसपास इलाके में भी किसी का देहांत हो जाने पर अंतिम अंत्येष्टि बारादरी शिवपुरी घाट पर ही निभाई जाती है।

अफसोस है कि हिंदू धर्म में हर इंसान के देहांत के बाद उसके लिए अंतिम और सत्य माना जाने वाला रियासी का यह स्थान अनदेखी का शिकार है। हालांकि ऐसा भी नहीं की किसी से यह छिपा हो। अंत्येष्टि पर गए लोगों में इसको लेकर चर्चा हर बार और जरूर होती है। लेकिन फिर उन तमाम बातों और चर्चाओं को घाट पर ही छोड़कर हर कोई सब कुछ भुला कर अपने रास्ते हो लेता है।

एनएनपीसी ने किया कुछ प्रयास : एनएचपीसी की मदद से सालों पहले घाट पर लोगों के ठहरने के लिए एक बड़ा हॉल, बैठने के लिए मार्बल का सीढ़ी नुमा स्थान और टीन के शेड वाला अंत्येष्टि का एक स्थान बनाया गया था। लगभग दो वर्ष पहले एनएचपीसी द्वारा अंत्येष्टि के लिए पहले स्थान की बगल में उसी तरह का एक और स्थान बनवाया गया। नगर परिषद की मदद से घाट परिसर में टाइल लगाई गई तो तत्कालीन स्थानीय विधायक अजय नंदा ने विधायक फंड से एक कमरे का निर्माण और वहां के कुछ मरम्मत कार्य में मदद की। लेकिन अभी वहां बहुत कुछ करने की जरूरत है।

देखरेख का अभाव : अंत्येष्टि के लिए बनाए नये दूसरे स्थान पर काफी झाड़ इत्यादि उगने से उसका इस्तेमाल नहीं होता। इस्तेमाल के मौजूदा एक स्थान पर दो से ज्यादा अंत्येष्टि नहीं हो सकती। अगर बारिश के मौसम में दो से ज्यादा अंत्येष्टि करनी पड़े तो फिर चिनाब का किनारा ही एकमात्र विकल्प है। लेकिन बारिश की स्थिति में वहां भी अंत्येष्टि मुश्किल है। शव पर डाली गई चदर शाल व कपड़े इत्यादि उतार कर घाट परिसर में ही फेंक दिए जाते हैं जो यहां वहां पड़े गंदगी को बढ़ावा तथा अव्यवस्था का आलम दर्शाते हैं।

बैठने के लिए बनाए सीढ़ी नुमा स्थान पर धूल मिट्टी और पत्ते जमा रहने के अलावा सीढ़ी की कंक्रीट में झाड़ और घास पौधे उगे हुए हैं। घाट परिसर के पाथ पर इस कदर घास और झाड़ उग आए हैं कि नीचे कंक्रीट या टाइल होने का अहसास ही नहीं होता। काट तराश ना होने से घाट परिसर के बेलगाम पेड़ पौधे वहां से गुजरने वालो के रास्ते की रुकावट बनते हैं। इसके अलावा मुख्य सड़क से घाट तक कच्चे रास्ते में बारिश के दौरान कीचड़ से गुजरने की परेशानी तो खुश्क मौसम में धूल फांकनी पड़ती है।

रियासी घाट के लिए कोई ट्रस्ट या कमेटी नहीं : रियासी घाट के लिए कोई ट्रस्ट या कमेटी गठित नहीं है। लेकिन इस स्थान से जुड़े स्थानीय निवासी डॉ सुखदेव ने बताया कि बैंक तथा सरकारी दस्तावेज में इस जगह का नाम शिवपुरी श्मशान घाट बारादरी रियासी है। इसकी लगभग 84 कनाल भूमि है, जिसकी गिरदावरी भी उन्होंने लगवाई थी। उन्होंने घाट की जगह को चारदीवारी करवाने के लिए कई अधिकारियों से भी बात की थी, लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ी।

उन्होंने कहा सबसे पहले तो घाट की जगह को कबर करने की जरूरत है। वहां लोगों के ठहरने के लिए बगीचा या पार्क नुमा स्थान और शौचालय निर्माण के साथ ही पेयजल सुविधा साफ-सफाई तथा जरूरी व्यवस्था और देखभाल सबसे अहम है। उन्होंने कहा कि इस स्थान के कायाकल्प के लिए निस्वार्थ और सेवा भाव कार्य के इच्छुक युवाओं को आगे आने की जरूरत है। पूर्व राज्य मंत्री एवं स्थानीय विधायक अजय नंदा ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान घाट के कायाकल्प के लिए योजना बनाने की शुरुआत की थी, लेकिन सरकार चले जाने से योजना परवान ना चढ़ सकी।

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