Sahej Lo Har Bund : वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए बन गए जल योद्धा, तालाब संरक्षण को बनाया जिंदगी का मकसद

पानी के बिना वन्यजीव इधर-उधर भटकते देखना आम हो गया था। यहीं से बलकार सिंह जम्वाल के जीवन में बदलाव आया और वह जल योद्धा बन गए। आसपास के तालाबों को सुधारने का जिम्मा अपने उपर ले लिया।इसके बाद उन्होंने तालाबों की देखभाल और उनकी मरम्मत करवाने का जिम्मा उठाया।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 08:24 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 08:24 PM (IST)
Sahej Lo Har Bund : वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए बन गए जल योद्धा, तालाब संरक्षण को बनाया जिंदगी का मकसद
बलकार सिंह जम्वाल का कहना है कि अब तालाबों को बचाना ही उनके जीवन का मकसद बन गया है।

सहेज लो हर बूंद

जम्मू, जागरण संवाददाता : पानी इंसान की ही नहीं, पशु-पक्षियों की भी जरूरत है। कंडी क्षेत्र में तो पानी और अनमोल हो जाता है, क्योंकि यहां एक-एक बूंद खेती को बल देती है। पानी है तो सब है। 2001 में जब पुरमंडल के कंडी क्षेत्रों के जंगलों में आग लग गई थी तो हाहाकार मच गया। पानी के बिना वन्यजीव इधर-उधर भटकते देखना आम हो गया था। यहीं से बलकार सिंह  जम्वाल के जीवन में बदलाव आया और वह जल योद्धा बन गए। आसपास के तालाबों को सुधारने का जिम्मा अपने उपर ले लिया।

इसके बाद उन्होंने क्षेत्र के तालाबों की देखभाल और उनकी मरम्मत करवाने का जिम्मा उठाया। अब तक कई तालाबों की मरम्मत करा चुके हैं और कई तालाबों की हालत सुधारने पर काम चल रहा है। पुरमंडल ब्लाक के बरोड़ी गांव के बलकार सिंह जम्वाल का कहना है कि अब तालाबों को बचाना ही उनके जीवन का मकसद बन गया है। इसलिए गांव-गांव जाकर वे तालाब का मुआयना करते हैं। जहां कहीं तालाब में टूट-फूट हो उसकी सरकारी विभागों से संपर्क कर मदद करवाते हैं। अब तब उनके प्रयास से जतवाल, राया, सुचैनी, बरोड़ी, शाहने तालाब, मीन, दसाल के कई तालाबों को संरक्षित किया गया है। वहीं, ऊधमपुर के जगानू में पानी के स्रोत बचाने की दिशा में भी लोगों में जागृति लाई है। कई जगह प्रशासन ने नहीं मदद की तो बलकार सिंह ने स्थानीय लोगों की मदद से तालाब व जलस्रोत बचाए।

तालाब बचाने के लिए हासिल किया वाटर शेड का प्रशिक्षण : बलकार को जब अहसास हुआ कि तालाबों का बहुत बड़ी भूमिका है, तो उन्होंने पानी संचय के बारे में जानकारी जुटानी आरंभ कर दी। कैसे तालाब, पानी के दूसरे स्रोत संरक्षित करने की जानकारी पाने के लिए वह देहरादून गए और वाटर शेड पर प्रशिक्षण लिया। वह कहते हैं कि इस प्रशिक्षण में उन्होंने जो तकनीक सीखी, उसे अब वह स्वयं लागू करवा रहे हैं और तालाब बचा रहे हैं। उनका कहना है कि तालाब पर्यावरण का हिस्सा है। कंडी में तालाब बहुत ही अहम हैं, क्योंकि यह सबकी जरूरत को पूरा करते हैं। तालाब के माध्यम से खेती की राह आसान बन रही है। ऐसे में तालाब संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी बन जाती है। वह कहते हैं कि हर कंडी गांव में एक तालाब जरूरी होना चाहिए।

घर वाले भी करते हैं पूरा सहयोग : बलकार सिंह जम्वाल लेखक भी हैं। उनका कहना है कि तालाब सुधारने की इस मुहिम में उनको घर वालों से पूरा सहयोग मिल रहा है। पत्नी अनु जम्वाल हर काम में उनका साथ देती हैं। कई बार वह स्वयं भी तालाब पर जाती हैं। बच्चे भी मुहिम से जुड़े हुए हैं। बेटी आकांक्षा समाज सेवा में एमए कर रही है। बेटा आशीष भी इस काम में पिता की मदद करता है। बलकार का कहना है कि अब सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने भी अपनी कमेटी का सदस्य बनाया है। आने वाले समय में आसपास के 25 तालाबों को बेहतर करने की योजना बनाई गई है। 

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