Baglamukhi Jayanti 2021: वीरवार को है मां बगलामुखी जयंती, उसी दिन है मां का जन्मोत्सव

माता बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है।यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं। मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है। बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 11:31 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 11:31 AM (IST)
Baglamukhi Jayanti 2021: वीरवार को है मां बगलामुखी जयंती, उसी दिन है मां का जन्मोत्सव
मां बगलामुखी की साधना रात्रि में की जानी चाहिए।

जम्मू, जागरण संवाददाता: धर्मग्रंथों के अनुसार वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है। जिस कारण इसे मां बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 20 मई वीरवार को मां बगलामुखी की जयंती मनाई जाएगी। माता बगलामुखी को पीताम्बरा, बगला, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है। जिसके पूजन करने से शत्रु आपके प्रति षड्यंत्र नहीं कर पाते हैं। इस वर्ष गुरुवार को माता का जन्मोत्सव आने से इसका महत्व और बढ़ जाता है। कोरोना के चलते मंदिरों के शहर जम्मू में इस वर्ष कोई विशेष कार्यक्रम नहीं है। लेकिन श्री रघुनाथ जी मंदिर में पूजा अर्चना होगी।

महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि श्री बगलामुखी देवी की साधना-आराधना से मनुष्य जीवन की सभी प्रकार की बाधाओं और समस्याओं को समाप्त कर आनंद एवं प्रसन्नतापूर्वक जीवन यापन करने लगता है। माता बगलामुखी दस महाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं। यह स्तंभन की देवी हैं। संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं। माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है।

मां बगलामुखी को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। इसी लिए इन्हें पीताम्बरा भी कहा जाता है। मां की पूजा में पीले रंग की सामग्री होने से पूजा का शुभ लाभ मिलता है।

मां बगलामुखी की साधना रात्रि में की जानी चाहिए। रात्रि 10 बजे के बाद कोई भी समय निश्चित कर प्रतिदिन उसी समय पर साधना करना चाहिए।

इस विधि से करें मां बगलामुखी का पूजन

शारीरिक शुद्धता के साथ ही मन की पवित्रता का भी ध्यान रखना चाहिए।इस दिन सुबह स्नान कर पूजा के कमरे या घर में किसी शुद्ध स्थान उत्तर दिशा में एक साफ चौकी पर पीले रंग का वस्त्र डाल कर श्री गणेश एवं माता बगलामुखी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद पूरे कमरे में एवं चौकी पर गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के कलश, घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसमें उपस्तिथ देवी-देवता, नवग्रहों, तीर्थों, योगिनियों और नगर देवता की पूजा आराधना करनी चाहिए। इसके बाद पूजन का संकल्प लें और वैदिक मंत्रों द्वारा चौकी पर स्थापित समस्त देवी देवताओं की षोडशोपचार से पूजा करें। इसमें आवाह्न, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

माता बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है।यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं। मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है। बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है। 

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