Jammu : बच्चों की लंबी आयु के लिए मनाई बच्छ दुआ

महिलाओं ने दिन भर व्रत रखा और मंदिरों जलस्रोतों एवं घरों में पूजा अर्चना की।शुक्रवार सुबह से ही मंदिरों नहर किनारे पूजा अर्चना करने वालों की भीड़ लगी रही। नवविहाहिताओं और जिन परिवारों में इस वर्ष लड़के पैदा हुए हैं। उन परिवारों का उत्साह देखते ही बनता था।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Fri, 03 Sep 2021 09:23 PM (IST) Updated:Fri, 03 Sep 2021 09:23 PM (IST)
Jammu : बच्चों की लंबी आयु के लिए मनाई बच्छ दुआ
महिलाएं पारंपरिक डोगरा वेशभूषा में पूजा अर्चना करने पहुंची हुई थी।

जम्मू, जागरण संवाददाता : डोगरों का सांस्कृतिक पर्व बच्छ दुआ पूरी धार्मिक आस्था एंव श्रद्धा के साथ मनाया गया। महिलाओं ने परिवार की सुख समृद्धि और बच्चों की लंबी आयु की कामना करते हुए बच्छ दुआ की पूजा-अर्चना की। शहर के जलस्रोताें, मंदिरों में महिलाओं ने सामूहिक तौर पर पूजा अर्चना की और बच्चों की लंबी आयु और अच्छे सेहत और खुशहाली के लिए प्रार्थना की। परिवार में जन्म नवजात लड़कों के लिए बच्छ दुआ की पूजा के दौरान आशीर्वाद मांगा।

महिलाओं ने दिन भर व्रत रखा और मंदिरों, जलस्रोतों एवं घरों में पूजा अर्चना की। शुक्रवार सुबह से ही मंदिरों, नहर किनारे पूजा अर्चना करने वालों की भीड़ लगी रही। नवविहाहिताओं और जिन परिवारों में इस वर्ष लड़के पैदा हुए हैं। उन परिवारों का उत्साह देखते ही बनता था। महिलाएं पारंपरिक डोगरा वेशभूषा में पूजा अर्चना करने पहुंची हुई थी। बहुत से परिवार बैंड बाजों के साथ पूजा अर्चना स्थल पर पहुंचे।

नहर किनारे जगह-जगह पूजा के लिए महिलाओं का जमावड़ा लगा रहा। भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के साथ महिलाओं ने अपने कुलदेवता को भी याद किया व उन्हें श्रद्धापूर्वक फल-फूल व रोट का प्रसाद अर्पित किया। श्री गणेश जी के मंदिरों में सुबह-सुबह ही श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। महिलाओं ने थाली में आटे से गाय व बछड़े की प्रतीकात्मक मूर्तियां बनाई हुई थी। पूजा के दौरान महिलाओं ने प्रचलित लोकगीत गा रही थी। कोरोना के चलते अधिकतर महिलाओं ने घरों में पूजा अर्चना की। पंडित कनव शर्मा ने बताया कि बच्छ दुआ को छ बारस या गोवत्स द्वादशी भी कहते हैं।।

इसे बच्छ दुआ और वसु द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है। भारत के अधिकांश हिस्सों में भाद्रपद कृष्ण द्वादशी को गोवत्स द्वादशी मनाई जाती है। कई पुराणों में गौ के अंग-प्रत्यंग में देवी-देवताओं की स्थिति का विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है। पद्म पुराण के अनुसार गाय के मुख में चारों वेदों का निवास हैं। उसके सींगों में भगवान शंकर और विष्णु सदा विराजमान रहते हैं। गाय के उदर में कार्तिकेय, मस्तक में ब्रह्मा, ललाट में रुद्र, सीगों के अग्र भाग में इन्द्र, दोनों कानों में अश्विनी कुमार, नेत्रों में सूर्य और चंद्र, दांतों में गरुड़, जिह्वा में सरस्वती, अपान, , मूत्र-स्थान में गंगा जी, रोमकूपों में ऋषि गण, पृष्ठभाग में यमराज, दक्षिण पार्श्व में वरुण एवं कुबेर, वाम पार्श्व में महाबली यक्ष, मुख के भीतर गंधर्व, नासिका के अग्रभाग में सर्प, खुरों के पिछले भाग में अप्सराएं स्थित हैं। इस पर्व को धार्मिक आस्था के साथ मनाने से मन की कामना पूर्ण होती है।

chat bot
आपका साथी