Jammu Kashmir: नए समीकरणों को जन्म दे रही आजाद की भाजपा से बढ़ती नजदीकियां
कांग्रेस में उपेक्षित महसूस कर रहे जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की भाजपा से बढ़ती नजदीकियां कांग्रेस को बेचैन कर रही हैं। भले ही वह भाजपा में आने से इन्कार कर चुके हों लेकिन वह लगातार भाजपा नेताओं के साथ दिख रहे हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : कांग्रेस में उपेक्षित महसूस कर रहे जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की भाजपा से बढ़ती नजदीकियां कांग्रेस को बेचैन कर रही हैं। भले ही वह भाजपा में आने से इन्कार कर चुके हों, लेकिन राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद वह लगातार भाजपा नेताओं के साथ दिख रहे हैं। भाजपा नेता भी सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनका गुणगान करते नजर आते हैं। शनिवार को नई दिल्ली के कार्यक्रम में उनकी भाजपा नेताओं संग उपस्थिति ने इस मुद्दे को फिर हवा दे दी।
राज्यसभा में आजाद और अन्य सदस्यों के लिए विदाई भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनकी खुलकर सराहना करने के बाद से ही कयास लगने आरंभ हो गए थे। हालांकि आजाद ने सामने आकर भाजपा में जाने की अटकलों पर विराम लगा दिया था। अब शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में आजाद की केंद्रीय मंत्रियों मुख्तार अब्बास नकवी और जितेंद्र सिंह संग भागेदारी ने फिर इन चर्चाओं को हवा दे दी।
पूर्व मुख्यमंत्री के इन्कार के बाद भी थम नहीं रही अटकलें
सरकारी तौर पर आयोजित उर्दू मुशायरे में आजाद के पोस्टर बहुत से सवालों के स्वयं जवाब दे रहे थे और कई सवाल नए पैदा भी कर रहे थे। वह कार्यक्रम में मंत्रियों के साथ ही बैठे और इसीलिए सबके आकर्षण का केंद्र भी रहे। कार्यक्रम भले ही सरकार द्वारा आयोजित किया गया था लेकिन चर्चा में केवल आजाद ही थे। मुशायरे में उपस्थित शायर बार-बार आजाद का नाम लेने से नहीं चूके। भले ही कांग्रेस नेता इस टिप्पणी करने से बचें पर पार्टी में खलबली साफ तौर पर महसूस की जा रही है।
कभी गांधी परिवार के करीब रहे आजाद को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव का कार्यकाल खत्म होने के बाद संगठन में अहम जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। अब राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी उन्हें फिर से राज्यसभा में लाने की दिशा में पार्टी स्तर पर कोई पहल नहीं हुई है। कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खडग़े को आजाद की जगह राज्यसभा में विपक्ष का नेता बना दिया है।
आजाद इस समय कांग्रेस में असहज महसूस कर रहे हैं। गत दिनों उन्होंने यह भी कहा था कि अब उन्हें पार्टी में किसी पद की कोई अभिलाषा नहीं है। इसके बाद से भाजपा से उनकी नजदीकियां लगातार बढ़ रही हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि आजाद आने वाले समय में भाजपा के समर्थन से देश के उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार हो सकते हैं।
जम्मू कश्मीर में आजाद के समर्थक भी मान चुके हैं कि की कांग्रेस में पारी लगभग समाप्त हो चुकी है। वह कुछ बोलने से कतराते हैं क्योंकि अंतिम फैसला आजाद को ही लेना है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दैनिक जागरण को बताया कि आजाद जम्मू कश्मीर में आधार रखते हैं। आजाद एक सधे हुए नेता हैं। ऐसे में भाजपा नेताओं की पूरी कोशिश है कि वह आजाद के प्रभाव का इस्तेमाल जम्मू कश्मीर में अपना आधार मजबूत कर सकें।