आयुष्मान भारत सेहत योजना में टूटा रिकार्ड, कुछ घंटों में हृदयघात के 6 मरीजों की हुई सफल एनजीओप्लास्टी
हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ सैयद मकबूल और उनकी टीम के सदस्यों ने जांच करने के बाद एनजीओप्लास्टी की और अब ये सभी मरीज बेहतर हैं। डॉ मकबूल के अनुसार ऐसे मरीजों की प्राइमरी एनजीओ प्लास्टी ही सबसे बेहतर इलाज है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर में आयुष्मान भारत सेहत योजना के तहत एक नया रिकार्ड कायम हुआ है। एक ही दिन में हृदय रोग के आपातकालीन छह मामलों का निशुल्क इलाज संभव हुआ। ये सभी मरीज अब खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं। विशेष बात यह है कि डॉक्टरों की एक ही टीम ने एक ही अस्पताल में ये सारे ऑपरेशन किए।
इससे पहले जम्मू-कश्मीर में इस योजना के तहत इमरजेंसी में आने वाले पांच मरीजों का निशुल्क इलाज करने का रिकार्ड था। श्रीनगर के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सुबह 11 बजे से लेकर पांच तक इन मरीजों की एनजीओप्लास्टी कर उन्हें नया जीवन दिया गया। पहला मरीज 70 साल का है। वह मधुमेह से पीड़ित है और तंबाकू का सेवन भी करता है। दूसरा मरीज 48 साल का है और वह भी कई सालों से तंबाकू का सेवन कर रहा है। तीसरा मरीज भी तंबाकू का सेवन करने वाला है और उसकी उम्र 47 वर्ष है।
चौथा मरीज 37 वर्षीय है और उसके 60 वर्षीय पिता की हाल ही में मौत हुई थी। इसके बाद वह भी बीमार पड़ गया। पांचवीं मरीज एक 58 वर्षीय महिला है और वह उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। वहीं छठा मरीज सेना का जवान है और वह भी कई सालों से तंबाकू का सेवन करता है। इन सभी मरीजों को सीने में दर्द की शिकायत थी और वे सुपरस्पेशलिटी अस्पताल की इमरजेंसी में इलाज के लिए पहुंचे।
इन सभी की हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ सैयद मकबूल और उनकी टीम के सदस्यों ने जांच करने के बाद एनजीओप्लास्टी की और अब ये सभी मरीज बेहतर हैं। डॉ मकबूल के अनुसार ऐसे मरीजों की प्राइमरी एनजीओ प्लास्टी ही सबसे बेहतर इलाज है। लेकिन अगर इसे समय पर कर दिया जाए तो मरीज की जान बचाना आसान हो जाती है। यह प्रक्रिया थ्रोंबोलिसिस से भी सुरक्षित है। उन्होंने बताया कि दो मरीजों की पहले थ्रोंबोलिसिस की गई थी, परंतु उसका लाभ नहीं मिला।
उन्होंने बताया कि सुपरस्पेशलिटी अस्पताल श्रीनगर में ऐसे मरीजों के बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध है। यहां पर तीन कैथलैब होने के साथ-साथ 11 हृदयरोग विशेषज्ञ भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कश्मीर में पिछले कुछ समय से हृदयघात की समस्या तेजी से बढ़ी है। यहां पर तंबाकू का सेवन अधिक होने से इस समस्या ने और विकराल रूप धारण किया है।
आपको बता दें कि साल 2015 में पहली बार शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेस में एक दिन में पांच मरीजों का इलाज किया गया था। यह रिकार्ड अब छह साल बाद टूटा है।