Talk Show : कलाकारों को प्रशिक्षण के अधिक से अधिक मौके मिले की जरूरत

संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता अभिनेता और नटरंग के कलाकार अनिल टिक्कू से समृद्ध बातचीत में विक्रम ने अपनी रंगमंचीय यात्रा से जुडे़ अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनका रंगमंच का सफर नटरंग से ही शुरू हुआ। जहां उन्होंने कई वर्षों तक एक अभिनेता के रूप में काम किया।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 03:57 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 03:57 PM (IST)
Talk Show : कलाकारों को प्रशिक्षण के अधिक से अधिक मौके मिले की जरूरत
जम्मू के ही नहीं देश के सभी रंगकर्मियों को प्रशिक्षण के मौके बहुत कम मिलते हैं।

जम्मू, जागरण संवाददाता : ली स्ट्रासबर्ग थिएटर एंड फिल्म इंस्टीट्यूट, न्यूयॉर्क के पूर्व छात्र, विक्रम शर्मा ने नटरंग के नेशनल थिएटर टॉक शो, ‘यंग वॉयस ऑफ थिएटर’ में जम्मू के कुशल अभिनेता, निर्देशक और प्रशिक्षक विक्रम शर्मा ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि जम्मू के ही नहीं देश के सभी रंगकर्मियों को प्रशिक्षण के मौके बहुत कम मिलते हैं। कलाकारों का सीखने का सफर कभी थमना नहीं चाहिए। इसके लिए उसे प्रशिक्षण के मौके उपलब्ध करवाने की जरूरत रहती है।

संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता अभिनेता और नटरंग के वरिष्ठ कलाकार अनिल टिक्कू के साथ एक समृद्ध बातचीत में विक्रम ने अपनी रंगमंचीय यात्रा से जुडे़ अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनका रंगमंच का सफर नटरंग से ही शुरू हुआ। जहां उन्होंने कई वर्षों तक एक अभिनेता के रूप में काम किया। रंगमंच से जुड़ी खोज का सफर चल रहा है। रंगमंच प्रशिक्षण के संदर्भ में उन्होंने बहुत ही रोचक ढंग से किसी चीज को जानने और उसे क्रियान्वित करने के बीच के सेतु की पहचान करने के प्रतिमान का उल्लेख किया। उनका मानना है कि अगर कोई अपनी गहरी अंतरदृष्टि के बिना कुछ करता है तो यह अभिनेता को भ्रमित कर सकता है।

हर किसी को यह स्पष्ट होना चाहिए कि वह छात्रों को क्या प्रदान कर रहा है। उनका यह भी मानना है कि यह हमेशा जरूरी नहीं है कि एक अच्छा अभिनेता एक अच्छा प्रशिक्षक हो। विक्रम को लगता है कि भारत में सीखने के इच्छुक लोगों की संख्या अधिक है, लेकिन उचित प्रशिक्षण देने के लिए जगह कम है। इस संदर्भ में, उन्होंने अपनी कुछ भविष्य की परियोजनाओं के बारे में बताया। जिनका उद्देश्य बड़ी संख्या में बिखरे हुए अभिनेताओं को संपूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करना है।

उनका दृढ़ विश्वास है कि प्रशिक्षण के लिए सुविधा की योग्यता की आवश्यकता होती है और एक प्रशिक्षक को प्रशिक्षण के कौशल पर काम करने की आवश्यकता होती है। अपनी शैली के बारे में बोलते हुए वे कहते हैं। मैं बहुत सारे खेल, गतिविधियां करता हूं और अभिनेताओं को व्यक्तिपरक अनुभव प्रदान करने के लिए परिस्थितियां बनाने की कोशिश करता हूं। एकाग्रता, विश्राम, भावनात्मक स्मृति, कल्पना आदि पर काम करना उसी का हिस्सा है।

नटरंग के निदेशक बलवंत ठाकुर ने कहा कि शो इसी उद्देश्य से शुरू किया गया था कि देश के युवा निर्देशकों, अभिनेताओं और रंगमंच के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर चुके युवाओं को एक मंच पर सुनने का मौका मिले, जिससे दूसरे युवा रंगकर्मियों को अधिक से अधिक जानने, समझने का मौका मिले। परिचय करवाते हुए उन्होंने बताया कि विक्रम शर्मा के पास अत्यधिक समृद्ध और अत्यंत विविध अनुभव है। एक कलाकार के रूप में जम्मू में नुक्कड़ नाटक करने से लेकर न्यूयॉर्क में ब्रॉडवे पर प्रदर्शन करने से लेकर मुंबई में एक अभिनेता के रूप में काम करने तक उन्होंने सभी माध्यमों में काम किया है।

एक थिएटर प्रैक्टिशनर के रूप में उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में देश भर के सैकड़ों थिएटर उत्साही लोगों के साथ काम किया है। चाहे वह राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली जैसे प्रतिष्ठित नाटक विद्यालय हो। जहां वह अतिथि संकाय हों या दूरदराज के क्षेत्रों में रंगमंच के प्रति उत्साही लोगों के साथ काम कर रहे हों या फिर ऑटिस्टिक बच्चों के साथ काम करने में नाटक चिकित्सा का उपयोग कर रहे हों। वर्षों से उन्होंने अपने विकास के लिए अपने विशाल अनुभव का उपयोग किया है। वर्तमान में वह लंदन विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित रॉयल सेंट्रल स्कूल ऑफ स्पीच एंड ड्रामा से अभिनेता प्रशिक्षण और कोचिंग में अपना विशेष एमएफए करने में भी लगे हुए हैं। नटरंग की रचनात्मक टीम जो इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का प्रबंधन कर रही है, उनमें नीरज कांत, अनिल टिक्कू, सुमीत शर्मा, संजीव गुप्ता, विक्रांत शर्मा, मोहम्मद यासीन, बृजेश अवतार शर्मा, गौरी ठाकुर और चंद्र शेखर शामिल हैं।

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