Jagran Special : बढ़ती घुसपैठ की घटनाओं के खिलाफ सेना ने बनाई शरदकालीन रणनीति

आतंकियों द्वारा घुसपैठ की कोशिशें लगातार बढ़ रही हैं। उनसे निपटने के लिए सेना ने अपनी शरदकालीन रणनीति पर भी काम शुरू कर दिया है। इसके तहत उन सभी रास्तों पर विशेष नाके व निगरानी चौकियां स्थापित की जा रही हैं

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 08:59 PM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 09:22 PM (IST)
Jagran Special : बढ़ती घुसपैठ की घटनाओं के खिलाफ सेना ने बनाई शरदकालीन रणनीति
जुलाई के बाद से अब तक राजौरी-पुंछ में आतंकियों द्वारा घुसपैठ के करीब एक दर्जन प्रयास हुए हैं

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : सर्दी ने दस्तक देनी शुरू कर दी है और इसके साथ ही आने वाले दिनाें में जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान के साथ सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी पर हालात में भी बदलाव दिखाई देने लगा है। आतंकियों द्वारा घुसपैठ की कोशिशें लगातार बढ़ रही हैं। उनसे निपटने के लिए सेना ने अपनी शरदकालीन रणनीति पर भी काम शुरू कर दिया है। इसके तहत उन सभी रास्तों पर विशेष नाके व निगरानी चौकियां स्थापित की जा रही हैं, जहां हिमपात के दौरान गुलाम कश्मीर से आतंकियों की घुसपैठ और हथियारों की तस्करी को अंजाम दिया जा सकता है। सभी अग्रिम इलाकों में स्थापित अत्याधुनिक थर्मले इमेजर और सेंसर की जांच की जा रही है।

पाकिस्तान में बैठे आतंकी सरगना और उनकी संरक्षक खुफिया एजेंसी आइएसआइ चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा आतंकियों को जल्द से जल्द कश्मीर में धकेला जाए ताकि वह घाटी में आतंकी गतिविधियों में तेजी लाने के साथ ही बचे खुचे आतंकी कैडर को फिर से खड़ा कर सकें। इस समय घाटी में लगभग सभी आतंकी संगठन नेतृत्वहीन हैं और उनके कैडर का मनोबल गिरा हुआ है। इसलिए दिसंबर-जनवरी में भी घुसपैठ की कोशिशों की तीव्र आशंका जताई जा रही है।

सैन्य सूत्राें ने बताया कि अगर बीते माह टंगडार सेक्टर में हुए जंगबंदी के उल्लंघन को नजर अंदाज कर दिया जाए तो 25 फरवरी के बाद से एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी सेना जंगबंदी का पालन कर रही है। इससे सरहदी इलाकों में स्थिति लगभग शांत है, लेकिन सामान्य नहीं कही जाएगी, क्योंकि एलओसी के पार लांचिंग पैड फिर से सक्रिय हो चुके हैं। पाकिस्तानी सेना ही इन लांचिंग पैड का संचालन कर रही है। इसके अलावा अक्टूबर और नवंबर का पहला सप्ताह परंपरागत रूप से आतंकियों की घुसपैठ की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील माना जाता है।

एक माह में घुसपैठ के एक दर्जन से ज्यादा प्रयास : बताया गया कि बीते माह बारामुला में और जुलाई के बाद से अब तक राजौरी-पुंछ में आतंकियों द्वारा घुसपैठ के करीब एक दर्जन प्रयास हुए हैं, जिनमें से तीन-चार कामयाब भी रहे हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आतंकियोंं की घुसपैठ के अलावा कश्मीर में हथियार और नशीले पदार्थाें की भी तस्करी को सुनिश्चित बनाने में जुटी हुई है। इसकी पुष्टि बीते एम माह के दौरान कुपवाड़ा, बारामुला में बरामद हथियारों व नशीले पदार्थाें की खेप से होती है।

दो दर्जन करीब लांचिंग पैड बीते जून से पूरी तरह से सक्रिय : सूत्रों ने बताया कि एलओसी के पार गुलाम कश्मीर में पाकिस्तानी सेना के संरक्षण में दो दर्जन करीब लांचिंग पैड बीते जून से पूरी तरह से सक्रिय हैं। प्रत्येक लांचिंग पैड पर चार से छह आतंकियों को अक्सर देखा जाता है। पाकिस्तानी सेना की हरी झंडी मिलने पर ही यह आतंकी भारतीय इलाके में घुसपैठ करते हैं। पाकिस्तानी सेना का मकसद हिमपात से पहले ज्यादा से ज्यादा आतंकियों को जम्मू कश्मीर में धकेला जाए क्योंकि बर्फ गिरने के बाद उत्तरी कश्मीर और राजौरी-पुंछ में घुसपैठ के लिए आसान कहे जाने वाले कई परंपरागत रास्ते पूरी तरह बंद हो जाते हैं।

सेना तीन-चार टुकड़ियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है : सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि कुछ अत्याधुनिक सेंसर भी स्थापित किए जा रहे हैं जो बर्फ में भी प्रभावी रहते हैं। इसके अलावा अग्रिम चौकियों पर तैनात सैन्यकर्मियों की संख्या में भी बदलाव किया जा रहा है। हिमपात के दौरान अग्रिम इलाकों में गश्त की एसओपी की भी समीक्षा की जा रही है। इसके अलावा गुलमर्ग और सोनमर्ग स्थित सेना के हाई आल्टच्यूड वारफेयर स्कूल और ट्रेनिंग सेंटर सेना की तीन से चार टुकड़ियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन टुकड़ियों को सर्दियों के दौरान अग्रिम इलाकों में तैनात किया जाना है। इसके साथ ही सभी अग्रिम बस्तियों में रहने वाले नागरिकों की जांच की जा रही है। इन इलाकों में सक्रिय रहे आतंकियों के पुराने गाइडों और आेवरग्राउंड वर्करों को भी चिह्नित किया जा रहा है।

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