Army In Jammu Kashmir : सरहद पर अपनों की जिंदगी बचा रहे सेना के सेहत मित्र

Army In Jammu Kashmir सेना के प्रवक्ता कर्नल एमरोन मुसवी ने बताया कि सेना ने स्थानीय युवाओं में कौशल विकास के लिए चिकित्सा प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। एक कार्यक्रम बीते सप्ताह मच्छल सेक्टर के कमकारी गांव में हुआ।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 09:16 AM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 01:04 PM (IST)
Army In Jammu Kashmir : सरहद पर अपनों की जिंदगी बचा रहे सेना के सेहत मित्र
स्थानीय युवक-युवतियों को प्राथमिक चिकित्सा और छोटी बीमारियों का इलाज करना सिखा रही है।

राज्य ब्यूरो, मच्छल (कुपवाड़ा): नियाज अपने घर के आंगन में जानवरों को चारा खिला रहा था तभी उसके सीने में तेज दर्द हुआ और अचेत हो गया। सभी घबरा गए। अचानक एक युवती कौसर बानो ने नियाज को कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) दिया। कुछ ही देर में नियाज के शरीर में हरकत होने लगी।

इसी बीच, नजदीकी सैन्य शिविर से डाक्टर पहुंच गए और फिर उसे अस्पताल पहुंचाया गया। नियाज को दिल का दौरा पड़ा था। अगर उसे समय रहते सीपीआर न दिया जाता तो बचाना मुश्किल था। मच्छल का पूरा दुदी गांव अब कौसर बानो की सराहना करता है। गांव में अगर किसी को हल्का बुखार हो या चोट लग जाए तो वह सबसे पहले आरोग्य सेविका कौसर बानो के पास पहुंचता है।

भारतीय सेना के सहयोग से उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा से सटे उच्च पर्वतीय इलाकों में करीब 60 आरोग्य सेवक-सेविकाएं आपात परिस्थितियों में निश्शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रही हैं। इन्हें प्राथमिक चिकित्सा और ठंड से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए दवाइयां और सामान सेना ही उपलब्ध कराती है। सिर्फ मच्छल ही नहीं टंगडार, करनाह, केरन, टीटवाल, गुरेज, नौगाम और उड़ी में एलओसी के साथ सटे अग्रिम इलाकों में सेना स्थानीय युवक-युवतियों को प्राथमिक चिकित्सा और छोटी बीमारियों का इलाज करना सिखा रही है।

इन युवक-युवतियों को आरोग्य सेवक-सेविका का प्रमाणपत्र भी मिलता है। इनसे उत्तरी कश्मीर के अग्रिम इलाकों की आबादी को बड़ी मदद मिल रही है। दुदी गांव के अरशद ने कहा कि अग्रिम इलाकों में बसे लगभग हर गांव में सर्दी के दिनों में सात-आठ लोगों की मौत समय पर इलाज न मिल पाने से हो जाती है। आरोग्य सेवक सेविकाएं जीवन रक्षक साबित हो रही हैं। हृदयाघात, उच्च रक्तचाप समेत ठंड से होने वाली बीमारियां और जख्मों का समय पर इलाज इनसे मिल जाता है।

सर्दी, खांसी व हल्के बुखार का भी इलाज : सेना के प्रवक्ता कर्नल एमरोन मुसवी ने बताया कि सेना ने स्थानीय युवाओं में कौशल विकास के लिए चिकित्सा प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। एक कार्यक्रम बीते सप्ताह मच्छल सेक्टर के कमकारी गांव में हुआ। प्रशिक्षु युवक-युवतियों को आपात स्वास्थ्य परिस्थितियों के आधार पर चिकित्सा उपकरणों और सीपीआर का इस्तेमाल बताते हैं। उन्हें सर्दी, खांसी, जुकाम, हल्के बुखार और बर्फ से होने वाले जख्मों के उपचार के बारे में प्रशिक्षित किया गया है।

जीवन रक्षक साबित हो रहे आरोग्य सेवक : कुपवाड़ा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मेहराज सोफी ने कहा कि कुपवाड़ा ही नहीं बारामुला, गुरेज, राजौरी-पुंछ, अनंतनाग और किश्तवाड़ के कई इलाके हिमपात के चलते जिला मुख्यालयों से कटे रहते हैं। इन इलाकों में मरीजों को कई बार हेलीकाप्टर से अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। सेना और स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों को बर्फ में मीलों पैदल चलकर रोगियों का उपचार करना पड़ता है। आरोग्य सेवक-सेविकाएं स्थानीय ही होते हैंं और वह आपात परिस्थितियों में जीवन रक्षक साबित हो रहे हैं। हमारे जिले में सेना ने कई गांवों में आरोग्य सेवक सेविकाओं को तैयार किया है। यह लोग किसी भी आपात परिस्थिति में स्वास्थ्य कर्मियों के दल के पहुंचने तक बीमार लोगों को चिकित्सा सेवा प्रदान कर रहे हैं। 

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