Army Helicopter Crash: इस बार संकट में थे देवदूत और लोगों ने लगा दी जान की बाजी

Army Helicopter Crash सबसे पहले दो महिलाएं दर्शना देवी और शक्ति देवी मौके पर पहुंचीं। दोनों के घर घटनास्थल से करीब 400 मीटर की दूरी पर थे। मौके पर पहुंच कर उन्होंने अन्य लोगों को इसकी जानकारी दी जिसके बाद आसपास के इलाकों से और लोग मदद के लिए पहुंचे।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 07:24 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 01:18 PM (IST)
Army Helicopter Crash: इस बार संकट में थे देवदूत और लोगों ने लगा दी जान की बाजी
दोनों की शहादत की खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है।

ऊधमपुर, अमित माही : जब भी आम लोगों पर कोई आपदा आती है तो सेना हमेशा देवदूत बनकर उनकी जानमाल की हिफाजत करने को आगे आ जाती है। इस बार पत्नीटाप के शिवगढ़ धार में जब देवदूतों की जान पर संकट आया तो लोगों ने दुर्गम क्षेत्र में अपनी जान की बाजी लगा दी।

सेना के हेलीकाप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बावजूद उसके चलते इंजन के बीच स्थानीय लोगों ने राहत व बचाव अभियान चलाकर घायल पायलट और सहपायलट को जैसे-तैसे कर बाहर निकाला और चारपाई पर डालकर बारिश व कच्चे रास्ते पर तीन किलोमीटर पैदल चलकर उन्हें नीचे तक पहुंचाया, लेकिन तमामा कोशिशों के बावजूद पायलटों की जान नहीं बचाई जा सकी।

पत्नीटाप के शिवगढ़ धार इलाके में सुबह घनी धुंध के साथ तेज बारिश होने लगी। बताया जा रहा है कि इसी दौरान सेना का हेलीकाप्टर वहां से गुजरा। हेलीकाप्टर ने मुडऩे का प्रयास किया और फिर जंगल में गुम हो गया। कुछ ही देर बाद तेज धमाके की आवाज हुई, लेकिन घनी धुंध में हेलीकाप्टर तो नजर नहीं आ रहा था, मगर उसके इंजन की आवाज लगातार आ रही थी। यह आवाज इतनी तेज थी कि करीब तीन किलोमीटर दूर तक सुनाई पड़ रही थी।

सबसे पहले दर्शना और शक्ति देवी मौके पर पहुंचीं : इस आवाज को सुनकर सबसे पहले दो महिलाएं दर्शना देवी और शक्ति देवी मौके पर पहुंचीं। दोनों के घर घटनास्थल से करीब 400 मीटर की दूरी पर थे। मौके पर पहुंच कर उन्होंने अन्य लोगों को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद आसपास के इलाकों से और लोग मदद के लिए पहुंचे।

हेलीकाप्टर में विस्फोट होने का भी था खतरा : स्थानीय लोगों ने देखा कि हेलीकाप्टर पेड़ों से टकराकर क्षतिग्रस्त हो चुका था, मगर उसका इंजन चालू था। इससे दुर्घटनाग्रस्त हेलीकाप्टर में विस्फोट होने का खतरा भी था, मगर इन सब खतरों को नजरंदाज कर स्थानीय लोगों ने राहत और बचाव कार्य शुरू किया और बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हेलीकाप्टर में फंसे पायलट और सह-पायलट को कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला। घटना के बाद करीब 25 मिनट में ही लोग घायलों को निकाल कर वहां से 400 मीटर दूर ला चुके थे। कुछ ही देर में सेना और पुलिस भी मौके पर पहुंची। इसके बाद स्थानीय लोगों ने घायल पायलट और सह-पायलट को जल्द करलाह तक पहुंचाने के लिए जान लगा दी।

बारिश की वजह से पहाड़ी कच्चे रास्ते पर कीचड़ और फिसलन भी थी, मगर लोगों ने दोनों को चारपाई पर डालकर पैदल करलाह पहुंचाया। करलाह में डाक्टरों द्वारा जांच करने पर स्थानीय लोगों ने घायलों के पांव की मालिश करने से लेकर हर संभव सहयोग व मदद की। इसके बाद एंबुलेंस में उन्हें चिनैनी और वहां से हेलीकाप्टर से ऊधमपुर सेना के अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन यह तमामा कोशिशें काम नहीं आईं और दोनों को नहीं बचाया जा सका। दोनों की शहादत की खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है।

एक साल में तीन हेलीकाप्टर हादसे -25 जनवरी : कठुआ के लखनपुर में सैन्य शिविर में सेना का हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त। एक अधिकारी शहीद, दूसरा गंभीर। -3 अगस्त : बसोहली के रणजीत सागर झील में गिरा सेना का हेलीकाप्टर। पायलट शहीद, को-पायलट की तलाश जारी -21 सितंबर : पत्नीटाप में हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त, पायलट व को-पायलट शहीद 

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