Jammu Kashmir Delimitation: परिसीमन के लिए जम्मू कश्मीर में जुलाई तक तय होगा निर्वाचन क्षेत्रों का स्वरूप

Jammu Kashmir Delimitation नेशनल काफ्रेंस आयोग को असंवैधानिक मानती है। आयोग ने केंद्र को सूचित किया है कि कोविड-19 के कारण पैदा हुए हालात के कारण वह जम्मू कश्मीर में परिसीमन को अंतिम रूप नहीं दे पाया है।

By Edited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 06:02 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 07:45 AM (IST)
Jammu Kashmir Delimitation: परिसीमन के लिए जम्मू कश्मीर में जुलाई तक तय होगा निर्वाचन क्षेत्रों का स्वरूप
केंद्र सरकार आयोग द्वारा पेश तर्को से सहमत है।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के लिए गठित परिसीमन आयोग जुलाई तक अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे देगा। इसके साथ ही प्रदेश में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया भी पूरी जाएगी। फिलहाल, आयोग ने प्रस्तावित परिसीमन को लेकर कोई प्रारूप जनता की राय के लिए सार्वजनिक नहीं किया है।

आयोग का गठन छह मार्च 2020 को हुआ था। पाच मार्च 2021 को आयोग की अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि रंजना प्रकाश के कार्यकाल में केंद्र सरकार छह माह के लिए विस्तार देने को तैयार हो चुकी है। चंद दिन में इसकी अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।

प्रदेश में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के भाग पाच के प्रविधानों और परिसीमन अधिनियम 2002 के मुताबिक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए छह मार्च 2020 को परिसीमन आयोग का गठन किया था। केंद्र प्रदेश में विधानसभा की सीटों को 107 से बढ़ाकर 114 करना चाहती है। इनमें से 24 सीटें गुलाम कश्मीर के लिए आरक्षित हैं।

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने से पूर्व एकीकृत जम्मू कश्मीर में 111 विधानसभा सीटों में 24 गुलाम कश्मीर के लिए आरक्षित थी। शेष 87 सीटों में से चार लद्दाख में, 37 जम्मू में और 46 सीटें कश्मीर प्रात में थी। अब जम्मू कश्मीर में 107 सीटें हैं जिन्हें बढ़ाकर 114 किया जाएगा। जम्मू कश्मीर में अंतिम बार परिसीमन 1994-95 में हुआ था। उस समय प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या को 76 से 87 किया था। जम्मू में 32 से 37, कश्मीर में 42 से 46 और लद्दाख में दो से चार की गई थी। वर्ष 2002 में डा. फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली तत्कालीन राज्य सरकार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार के फैसले के अनुरूप जम्मू कश्मीर में परिसीमन पर रोक लगा दी थी।

एसोसिएट सदस्यों के साथ हो चुकी बैठक : सूत्रों ने बताया कि आयोग ने जम्मू कश्मीर में परिसीमन के संदर्भ में सभी आवश्यक दस्तावेज और आकड़े जमा कर लिए हैं। इसके अलावा गत सप्ताह उसकी एसोसिएट सदस्यों के साथ एक बैठक भी हो चुकी है। नेशनल काफ्रेंस के तीनों सासद नदारद रहे थे। सिर्फ भाजपा के दो सासद ही बैठक में शामिल हुए थे। नेशनल काफ्रेंस आयोग को असंवैधानिक मानती है। आयोग ने केंद्र को सूचित किया है कि कोविड-19 के कारण पैदा हुए हालात के कारण वह जम्मू कश्मीर में परिसीमन को अंतिम रूप नहीं दे पाया है। आयोग के सदस्य भी जम्मू कश्मीर का दौरा करने और विभिन्न वर्गां के साथ मुलाकात करने में कोविड-19 प्रोटोकाल के तहत असमर्थ रहे हैं। केंद्र सरकार आयोग द्वारा पेश तर्को से सहमत है। वह आयोग की अध्यक्ष और आयोग के कार्यकाल को छह माह के लिए विस्तार देने पर सहमत है।

विभिन्न वर्गाें से मुलाकात करेंगे : कार्यकाल में विस्तार मिलने के बाद मार्च के अंतिम दिनों में या फिर अप्रैल में आयोग के सदस्य जम्मू कश्मीर का दौरा कर विभिन्न वर्गाें से मुलाकात करेंगे। उन्होंने बताया कि आयोग के पास किसी भी मौजूदा निर्वाचन क्षेत्र के आकार में बदलाव करने, उसके विभिन्न हिस्सों को उससे अलग कर नया निर्वाचन क्षेत्र तैयार करने का पूरा अधिकार है। आयोग मौजूदा निर्वाचन क्षेत्रों की आबादी, भौगोलिक स्थिति, मतदाताओं की संख्या समेत आवश्यक तथ्यों के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देगा। वह जून के अंत तक या जुलाई के शुरू में रिपोर्ट दाखिल करते हुए नए निर्वाचन क्षेत्रों का एलान कर सकता है।

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