कश्मीर में राष्ट्र विरोधी सरकारी अध्यापक बर्खास्त, सरकारी तंत्र में बैठे 500 राष्ट्रविरोधी तत्वों पर भी कार्रवाई की तैयारी

सरकारी तंत्र में विभिन्न जगहों पर बैठे राष्ट्र विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए प्रदेश सरकार ने एक सरकारी अध्यापक को बर्खास्त कर दिया है। करीब 500 और सरकारी अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ शिकायतों की जांच जारी है

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sun, 02 May 2021 11:37 AM (IST) Updated:Sun, 02 May 2021 12:23 PM (IST)
कश्मीर में राष्ट्र विरोधी सरकारी अध्यापक बर्खास्त, सरकारी तंत्र में बैठे 500 राष्ट्रविरोधी तत्वों पर भी कार्रवाई की तैयारी
करीब 500 और सरकारी अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ शिकायतों की जांच जारी है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। सरकारी तंत्र में विभिन्न जगहों पर बैठे राष्ट्र विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए प्रदेश सरकार ने एक सरकारी अध्यापक को बर्खास्त कर दिया है। करीब 500 और सरकारी अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ शिकायतों की जांच जारी है और जल्द ही उनमें से भी कईयाें को सरकारी सेवा से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि 21 अप्रैल को जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार ने विभिन्न सरकारी विभागों में बैठ देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा के खिलाफ काम करने वाले तत्वों को चिन्हित करने, उनसे संबंधित मामलों की जांच और उन्हें सेवामुक्त करने के लिए 5 सदस्यीय विशेष कार्यबल (एसटीएफ) गठित की है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सीआइडी को इसका प्रमुख बनाया गया है । एसटीएफ की सिफारिशों के आधार पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति को राष्ट्रविरोधी तत्वों की संविधान की धारा 311 के तहत बिना किसी सुनवाई की सेवाएं समाप्त करने का अधिकार है।

राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में सलिंप्तता के आधार पर सेवामुक्त किए गए अध्यापक का नाम इद्रीस जान है। वह उत्तरी कश्मीर में LoC के साथ सटे जिला कुपवाड़ा के करालपोरा स्थित सरकारी मिडिल स्कूल का अध्यापक था। उसे सेवा मुक्त किए जाने संबंधी महाप्रशासनिक विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि उपराज्यपाल इस बात को लेकर पूरी तरह संतुष्ट हैं कि इद्रीस जान की गतिविधिंया राष्ट्र विरोधी हैं। राष्ट्रहित में उन्हें संविधान की धारा 311 की उपधारा 2 के तहत बिना किसी जांच तत्काल प्रभाव से सेवा मुक्त किया जाए। इसलिए उन्होंने उसे सेवामुक्त कर दिया है।

केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में कई बार सरकारी अधिकारी और कर्मी प्रत्यक्ष-परोक्ष रुप से आतंकी संगठनों के साथ जुड़े हुए पाए गए हैं। अपनी ऊंची पहुंच और राजनीतिक प्रभाव के चलते ये तत्व कई बार कानून के शिकंजे से बच निकलने में कामयाब रहे हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस समेत विभिन्न केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने भी कई बार अपनी रिपोर्ट में जम्मू कश्मीर के सरकारी विभागों, आतंकियों व अलगाववादियों के समर्थकों और साथियों के बैठे होने की जानकारी देते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई पर जोर दिया है। बीते दिनों जम्मू कश्मीर पुलिस ने कुलगाम के एक प्रोफेसर को राष्ट्रविरोधि गतिविधियों में सलिंप्तता के आधार पर गिरफ्तार किया है।

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, जम्मू कश्मीर में सीआइडी ने ऐसे 500 के करीब अधिकारियों, कर्मचारियों की सूची बनाई है जिनके खिलाफ देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के पक्के सुबूत हैं। उन्होंने बताया कि 21 अप्रैल 2021 को एसटीएफ के गठन से पूर्व प्रदेश सरकार ने 30 जुलाई 2020 इन तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का संकेत देते हुए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति बनाई थी। इसके अलावा 2019 में केंद्र सरकार के निर्देशानुसार टेरर मानिटरिंग ग्रुप (टीएमजी) का गठन किया गया था। टीएमजी को सरकारी तंत्र में बैठे आतंकियों व अलगाववादियों के समर्थकों, उनके लिए काम करने वाले तत्वों की गतिविधियों और पृष्ठभूमि का पूरा ब्यौरा जमा करने का जिम्मा सौंपा गया था।

2016 में भी 12 सरकारी कर्मी हुए थे बर्खास्त

2016 के हिंसक प्रदर्शनों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली जम्मू कश्मीर सरकार ने 12 सरकारी कर्मियों को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में सलिंप्तता के आधार पर बर्खास्त किया था। बाद में इनमें से अधिकांश अदालत के हस्ताक्षेप पर पुन: बहाल हो गए।

1986 में 3 प्रोफेसर हटाए गए थे

27 फरवरी 1986 में तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने प्रोफेसर अब्दुल गनी बट, प्रोफेसर अब्दुल रहीम और शरीफूदीन को राष्ट्रीय एकता व अखंडता के लिए खतरा बताते हुए जबरन सेवामुक्त किया था। प्रो अब्दुल गनी बट ने बाद में मुस्लिम कांफ्रेंस का गठन किया। वह हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन और प्रवक्ता भी रहे हैं।

पूर्व शिक्षामंत्री नईम अख्तर की सेवाएं भी समाप्त की गई थी

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री नईम अख्तर सियासत में आने से पहले नौकरशाह ही थे। जुलाई 1990 में नईम अख्तर समेत पांच अधिकारियों को तत्कालीन उपराज्यपाल जीसी सक्सेना ने राष्ट्रीय एकता व अखंडता के लिए खतरा बताते हुए बर्खास्त कर दिया था। उस समय प्रधानमंत्री पद पर स्वर्गीय चंद्र शेखर विराजमान थे। इन पांचों अधिकारियों की सेवाओं को राजनीतिक दबाव में बहाल किया गया था।

1995 में 20 सरकारी कर्मी हुए थे बर्खास्त

1995 में तत्कालीन राज्यपाल स्वर्गीय केवी कृष्णा राव ने 20 सरकारी अधिकारियों व कर्मियों को सेवा मुक्त किया था। इनमें से कुछ आतंकी संगठनों के कमांडर भी बताए जाते थेे। कुछ माह बाद सरकार ने इन सभी की बर्खास्तगी को रद्द कर दिया था।

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