Amarnath Yatra 2020: 21 जुलाई से शुरू होगी वार्षिक अमरनाथ यात्रा, 55 वर्ष से कम उम्र वालों को ही मिलेगी अनुमति

Amarnath Yatra 2020 इस बार अमरनाथ यात्रा की अनुमति केवल बालटाल के रास्ते दी जा सकती है। प्रशासन का एक दल यात्रा मार्ग का जायजा लेकर भी आया है। पूरे मार्ग पर बर्फ जमी हुई है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 09:36 AM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 04:55 PM (IST)
Amarnath Yatra 2020: 21 जुलाई से शुरू होगी वार्षिक अमरनाथ यात्रा, 55 वर्ष से कम उम्र वालों को ही मिलेगी अनुमति
Amarnath Yatra 2020: 21 जुलाई से शुरू होगी वार्षिक अमरनाथ यात्रा, 55 वर्ष से कम उम्र वालों को ही मिलेगी अनुमति

श्रीनगर, जेएनएन। बाबा बर्फानी के भक्तों की इंतजार की घड़ी समाप्त हो गई है। उनके लिए अच्छी खबर है। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने यात्रा शुरू करने को लेकर निर्णय ले लिया है। इस बार वार्षिक अमरनाथ यात्रा 21 जुलाई से आरंभ होकर 3 अगस्त रक्षाबंधन के दिन संपन्न हो गई। यानी यात्रा की अविध केवल 14 दिन रहेगी। यही नहीं बोर्ड ने यात्रा पर जाने वाले श्रद्धाुलओं की आयु सीमा भी निर्धारित कर दी है। साधुओं को छोड़कर यात्रा पर जाने वाले अन्य श्रद्धालु की उम्र 55 वर्ष से कम होनी चाहिए। यात्रा करने वाले सभी लोगों के पास COVID-19 टेस्ट प्रमाणपत्र होना भी अनिवार्य होगा।

यह जानकारी श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के एक अधिकारी ने दी है। उन्होंने बताया कि यात्रियों के पास COVID-19 टेस्ट प्रमाणपत्र होना अनिवार्य होगा। यह प्रमाण पत्र जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने पर चैक किए जाएंगे परंतु यात्रा शुरू करने की अनुमति देने से पहले वायरस के लिए क्रॉस-चेक भी किया जाएगा। इसके अलावा साधुओं को छोड़कर सभी तीर्थयात्रियों को यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा।

अधिकारी ने यह भीब बताया कि कोरोना प्रकोप के कारण जो श्रद्धालु इस बार यात्रा पर आने से वंचित रह गए हैं, उनके लिए भी व्यवस्था की गई है। 14 दिन की यात्रा अवधि के दौरान बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा में सुबह और शाम को होने वाली "विशेष आरती" देश भर में लाइव टेलीकास्ट की जाएगी। स्थानीय मजदूरों की कमी होने की वजह से बेस कैंप से गुफा मंदिर तक ट्रैक बनाए रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बोर्ड का पूरा प्रयास है कि 21 जुलाई से पहले-पहले बालटाल मार्ग को श्रद्धालुओं के लिए तैयार कर दिया जाए परंतु यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो भी जिला गांदरबल में बालटाल बेस कैंप से हेलीकॉप्टर का उपयोग करके श्रद्धालुओं को यात्रा करवाने की व्यवस्था की जाएगी।

यह भी निर्णय लिया गया है कि इस बार यात्रा बालटाल से ही होगी क्योंकि यह मार्ग सबसे छोटा है। किसी भी तीर्थयात्री को पहलगाम मार्ग से यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सनद रहे कि यात्रा के लिए "प्रथम पूजा" गत शुक्रवार को पहली बार जम्मू में आयोजित की गई थी।

यहां यह बताना भी असंगत नहीं होगा कि पुलिस और गांदरबल प्रशासन का एक दल यात्रा मार्ग का जायजा लेकर भी आया है। पूरे मार्ग पर बर्फ जमी हुई है। इस दल के लौटने के बाद ही सोनमर्ग से आगे बालटाल में यात्रा संबंधी तैयारियां शुरू कर दी गइ है। जिला उपायुक्त गांदरबल शफकत अहमद ने कहा कि हमें उपराज्यपाल प्रशासन और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की तरफ से यात्रा मार्ग को बहाल करने के लिए निर्देश मिला है। इसके बाद बालटाल से गुफा तक के मार्ग से बर्फ हटाने व उसे आवाजाही योग्य बनाने का काम शुरू किया गया है।

इस बीच, श्राइन बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि यात्रा मार्ग को बहाल करना ही काफी नहीं है। इस पूरे मार्ग पर श्रद्धालुओं के रहने, खाने-पीने, स्वास्थ्य सुविधाओं का भी प्रबंध किया जाना है। टेलीफोन सेवा को भी बहाल करना है। यह सभी सुविधाएं अगले एक पखवाड़े में बहाल नहीं की जा सकती। इनके लिए कम से कम एक माह का समय चाहिए। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा है। यात्रा का सुरक्षा कवच तैयार करने के लिए सुरक्षाबलों को कम से कम 20 दिन चाहिए होते हैं।

पहली बार जम्मू में हुई अमरनाथ यात्रा की प्रथम पूजा: हर-हर महादेव के जयघोष के बीच श्री बाबा अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए ज्येष्ठ पूर्णिमा पर शुक्रवार को जम्मू में विधिवत प्रथम पूजा-अर्चना की गई। यात्रा मार्ग पर बर्फ और कोरोना संक्रमण से उपजे हालात के बीच यह पहला मौका है जब प्रथम पूजा कश्मीर के बजाए जम्मू में हुई है। जम्मू स्थित तालाब तिल्लो में श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के कार्यालय में हुई पूजा में बोर्ड के अधिकारियों व अन्यों ने जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश में कोरोना के प्रकोप को खत्म करने व लोक कल्याण की कामना के लिए हवन-यज्ञ में आहूतियां डालीं। श्राइन बोर्ड की ओर से विधिवत पूजा-अर्चना करने से यह साफ हो गया है कि यात्रा अवश्य होगी। एक तरह से यात्रा की शुरुआत कर दी गई है। हालांकि यात्रा अवधि को कम किया जा सकता है।कोरोना संक्रमण के चलते अभी तक यात्रा के दोनों मार्ग चंदनबाड़ी और बालटाल बर्फ से ढके हुए हैं।

श्राइन बोर्ड ने यात्रा की तिथि व एडवांस पंजीकरण को लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया है। बोर्ड ने पहले यात्रा शुरू करने की प्रस्तावित तिथि 23 जून निर्धारित की थी। मौजूद तैयारियों को देखते हुए माना जा रहा है कि यात्रा मध्य जुलाई के आसपास शुरू हो सकती है। इस बीच, बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विपुल पाठक ने भी कहा कि कोरोना से बचाव के लिए जारी लॉकडाउन के कारण यात्रा को शुरू करने में कुछ परेशानियां पेश आ रही हैं। जल्द ही सरकार यात्रा की घोषणा करेगी।सूत्रों के अनुसार, इस बार यात्रा को सीमित कर 15 दिन की करने की संभावना है। यात्रा को शुरू करने का फैसला अगले कुछ दिनों में श्राइन बोर्ड की बैठक में हो सकता है।

ऑनलाइन करवाए जा सकते हैं बाबा बर्फानी के दर्शन : श्राइन बोर्ड इस मुद्दे पर भी विचार कर रहा है कि देश के अधिकतर श्रद्धालुओं को हिमलिंग के दर्शन करवाने के लिए ऑनलाइन या इलेक्ट्रानिक चैनलों के माध्यम से व्यवस्था की जाए। ऑनलाइन पंजीकरण किए जाने की व्यवस्था भी की जा रही है।

यात्रा की पौराणिक मान्यता : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्री अमरनाथ यात्रा ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन चंदनवाड़ी (पहलगाम) में लिद्दर दरिया के किनारे प्रथम पूजा अर्चना के साथ आरंभ मानी जाती है और रक्षाबंधन के दिन श्रावण पूर्णिमा को अंतिम दर्शन होता है। लेकिन हालात, मौसम और मार्ग की स्थिति को देखते हुए श्राइन बोर्ड यात्रा की तिथि को लेकर फैसला करता है। इसी के अनुसार यात्रा चलती है और हर साल देशभर से लाखों श्रद्धालु आकर माथा टेकते हैं। 

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