71 वर्ष से मिठास घोल रहा आकाशवाणी जम्मू, स्थापना दिवस आज

यह आकाशवाणी जम्मू है..। यह आवाज हर दिल के बेहद करीब है। रेडियो कश्मीर जम्मू से करीब दो माह पहले बने आकाशवाणी जम्मू का 71 वर्ष का सफर देश को गौरवान्वित करता है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sun, 01 Dec 2019 12:54 PM (IST) Updated:Sun, 01 Dec 2019 12:54 PM (IST)
71 वर्ष से मिठास घोल रहा आकाशवाणी जम्मू, स्थापना दिवस आज
71 वर्ष से मिठास घोल रहा आकाशवाणी जम्मू, स्थापना दिवस आज

जम्मू, अशोक शर्मा । यह आकाशवाणी जम्मू है..। यह आवाज हर दिल के बेहद करीब है। रेडियो कश्मीर जम्मू से करीब दो माह पहले बने आकाशवाणी जम्मू का 71 वर्ष का सफर देश को गौरवान्वित करता है। मनोरंजन के अलावा पाक के दुष्प्रचार का भी रेडियो सात दशक से करारा जवाब दे रहा है। 1947 में जम्मू के रणवीर हायर सेकेंडरी स्कूल से रेडियो कश्मीर जम्मू का सफर शुरू हुआ था। रेडियो से सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों को भी मुखर होकर उभारा और उन्हें समाधान तक पहुंचाया। मनोरंजन के पल हों या आपदा की घड़ी, रेडियो हमेशा श्रोताओं के संग खड़ा दिखा। जम्मू-कश्मीर ही नहीं, सीमा पार भी रेडियो के प्रशंसक हैं।

हजारों कलाकार किए तैयार :

71 वर्षो के सफर में रेडियो ने हजारों कलाकार तैयार किए। इनमें सूरज सिंह, जीवन सिंह, धर्मेश नरगोत्र, दीपाली वात्तल, जेसी भारती, शिव मेहता, अनूप खजूरिया, अजय खजूरिया, राजेश्वर सिंह आदि शामिल हैं। डोगरा कला, संस्कृति एवं साहित्य के संरक्षण एवं प्रचार प्रसार के साथ क्षेत्रीय भाषाओं को पहचान बनाए रखने में सहयोग दिया।

मित्र की भूमिका निभाता है रेडियो :

कार्यक्रम प्रमुख आकाशवाणी जम्मू रेणु रैना ने कहा कि रेडियो ने हमेशा श्रोताओं के सच्चे मित्र की भूमिका निभाई है। हर भाषा, समुदाय, संस्कृति के संरक्षक की भूमिका रेडियो वर्षो से निभाता आ रहा है। जिस तरह के बदलाव श्रोता चाहता है, उसका पूरा ध्यान रखा जाता है। रविवार को शुभ प्रभात 25 मिनट का होगा। उसमें रेडियो के वरिष्ठ अधिकारी सुमन पाल, दीदार सिंह, यूसुफ अपने अनुभव साझा करेंगे।

वर्षो पहले निभाए चरित्र लोगों को याद है- परदेसी :

रेडियो के सेवानिवृत्त कार्यक्रम निष्पादक जेएस परदेसी के अनुसार रेडियो की लोकप्रियता का अंदाजा दूरदराज इलाकों में बैठे श्रोताओं के पत्रों और फोन-इन कार्यक्रमों से लगाया जा सकता है। खुशी होती है कि जीवन में रेडियो में नौकरी करने का मौका मिला। देस सोहामां और दरीचे कार्यक्रम के चरित्रों की श्रोता आज भी बात करते हैं।

साहित्य के उत्थान में विशेष योगदान :

साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित सेवानिवृत्त कार्यक्रम निष्पादक सुदेश राज ने कहा कि हर भाषा के साहित्यकारों को रेडियो की साहित्यिक पत्रिकाओं में कविता, कहानी, लेख, व्यंग्य, अनुभव, वृत्तचित्र रेडियो से प्रसारित होते हैं। ऐसे लोग जो साहित्य पढ़ नहीं पाते, रेडियो ऐसे लोगों का सच्चा साथी है।

रणवीर हायर सेकेंडरी स्कूल में हुई थी स्थापना

रेडियो कश्मीर जम्मू की स्थापना पहली दिसंबर 1947 को पाकिस्तान का भारत विरोधी दुष्प्रचार का जवाब देने के उद्देश्य से रणवीर स्कूल से हुई थी। एक केवी का स्टेशन बाद में 1952 में बेगम हवेली धौंथली में शिफ्ट कर दिया गया। इस समय भी यह स्टेशन यहीं से चल रहा है। रेडियो कश्मीर जम्मू के सेवानिवृत्त निदेशक डॉ. केसी दुबे के अनुसार 1971 में इसकी समाचार इकाई और 1974 में इसकी युवावाणी सर्विस शुरू हुई। इस समय जम्मू संभाग में आकाशवाणी कठुआ, भद्रवाह, पुंछ, ऊधमपुर स्टेशन चल रहे हैं।

पाक से श्रोताओं के आते हैं खत

जम्मू से प्रसारित कार्यक्रम जितने चाव से जम्मू में सुने जाते हैं, वैसे ही पाकिस्तान में पसंद हैं। पंजाबी के वरिष्ठ साहित्यकार खालिद हुसैन ने बताया कि वह जब भी पाक जाते हैं, वहां आकाशवाणी जम्मू से प्रसारित कार्यक्रमों की बात होती है। लोग आज भी गुड्डी और फतेहदीन की बात करते हैं। ऑडियंस रिसर्च यूनिट के इंचार्ज संजीव कौल ने बताया कि जब तक फरमाइशी कार्यक्रम प्रसारित होते रहे हैं, कोई दिन ऐसा नहीं होता था जब पाक के किसी श्रोता का पत्र न आया हो।

ये हैं लोकप्रिय कार्यक्रम दरीचे देस सोहामां सैनिकों के लिए त्रिकुटा गोजरी कार्यक्रम सांझी धरती पंजाबी कार्यक्रम मीरपुरी कार्यक्रम पहाड़ी कार्यक्रम फरमाइशी कार्यक्रम

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