Kashmir: अशरफ सेहराई की मौत के बाद कट्टरपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस में नेतृत्व का संकट

सैय्यद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत का पाकिस्तान समर्थक कट्टरपंथी गुट तैयार करने के साथ ही जमात से नाता तोड़ तहरीके हुर्रियत कश्मीर नामक संगठन भी बनाया। मोहम्मद अशरफ सहराई जो उनके सबसे करीबी माने जाते रहे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 11:49 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 11:49 AM (IST)
Kashmir: अशरफ सेहराई की मौत के बाद कट्टरपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस में नेतृत्व का संकट
सैय्यद अली शाह गिलानी तीन बार विधायक जरुर बने।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कट्टरपंथी सैय्यद अली शाह गिलानी के हुर्रियत कांफ्रेंस से किनारा करने और मोहम्मद अशरफ सहराई की कोरोना संक्रमण से मौत के बाद हुर्रियत का कट्टरपंथी गुट फिलहाल नेतृत्व विहीन हो गया है। 1993 में जमात-ए-इस्लामी, पीपुल्स कांफ्रेंस, जेेकेएलएफ, अवामी एक्शन कमेटी, पीपुल्स लीग, अंजुमन-ए-शरियां-ए-शिया, इत्तेहादुल मुसलमीन, मुस्लिम कांफ्रेंस समेत करीब दो दर्जन अलगाववादी संगठनों ने मिलकर हुर्रियत कांफ्रेंस का गठन किया था।

वर्ष 2000 में हुर्रियत कांफ्रेंस दो गुटों उदारवादी और कट्टरपंथी गुट में बदलती नजर आयी। वर्ष 2003 में यह दो फाड़ हो गई और सैय्यद अली शाह गिलानी के नेतृत्व वाला गुट जो खुलकर कश्मीर के पाकिस्तान में विलय की वकालत करता, कट्टरपंथी और गिलानी गुट बन गया। मीरवाइज मौलवी उमर फारुक के नेतृत्व वाले गुट को उदारवादी गुट कहा जाने लगा। एक गुट के चेयरमैन सैय्यद अली शाह गिलानी और दूसरे गुट के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारुक बने।

सैय्यद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत का पाकिस्तान समर्थक कट्टरपंथी गुट तैयार करने के साथ ही जमात से नाता तोड़ तहरीके हुर्रियत कश्मीर नामक संगठन भी बनाया। मोहम्मद अशरफ सहराई जो उनके सबसे करीबी माने जाते रहे हैं। जमात छोड़ उनके साथ जुड़ गए। सहराई ने भी जमात-ए-इस्लामी के टिकट पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन वह कभी नहीं जीते। अलबत्ता, सैय्यद अली शाह गिलानी तीन बार विधायक जरुर बने। 

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