Jammu Kashmir: PAGD में खुलकर सामने आ रहे मतभेद, PDP MP के बाद PC नेता Ansari ने भी उठाए सवाल

जब नेकां प्रधान डॉ फारूक अब्दुल्ला ने पीएजीडी उम्मीदवार के नामांकन पर हस्ताक्षर किए थे तो फिर अपनी पार्टी का उम्मीदवार क्यों उतारा। यह आरोप बेबुनियाद नहीं हैं। आप इसका रिकार्ड जांच सकते हो। पीएजीडी के अन्य घटक दलों के साथ भी एेसा ही हुआ।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 11 Jan 2021 02:53 PM (IST) Updated:Mon, 11 Jan 2021 02:58 PM (IST)
Jammu Kashmir: PAGD में खुलकर सामने आ रहे मतभेद, PDP MP के बाद PC नेता Ansari ने भी उठाए सवाल
नेशनल कांफ्रेंस ने गठबंधन के बावजूद कई जगहों पर पीडीपी के उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए थे।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: जिला विकास परिषद के चुनावों में एक साथ उतरे गुपकार गठबंधन के घटक दलों में लगातार विवाद बढ़ता जा रहा है। आए दिन इन दलो के नेता एक दूसरे पर कई स्थानों पर हुई हार का ठिकरा फोड़ रहे हैं। पीडीपी के राज्य सभा सांसद फियाज अहमद मीर के बाद अब पीपुल्स कांफ्रेंस के महासचिव इमरान रजा अंसारी ने भी गुपकार गठबंधन के नेतृत्व पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।

अंसारी ने भी यह आरोप लगाए हैं कि जिला विकास परिषद के चुनावों में कई दलों ने गठबंधन धर्म नहीं निभाया और एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे। इस बारे में अंसारी ने पीपुल्स कांफ्रेंस के प्रधान सज्जाद लोन को एक पत्र भी लिखा है। जिसमें उन्होंने अब्दुल गनी वकील के एक बयान का हवाला दिया है। उन्होंने सज्जाद लोन से उनके पत्र को गंभीरता से लेने को कहा है। अंसारी ने लिखा है कि वकील ने अपने बयान में जो कहा है उस पर हमें मंथन करना चाहिए और पीएजीडी पर आंखें मूंद कर विश्वास नहीं करना चाहिए।

मेरा अनुभव है कि पट्टन में जिला विकास परिषद की दोनों सीटें पीपुल्स कांफ्रेंस को मिली थी लेकिन बावजूद इसके नेकां के वर्तमान सांसद व अन्य नेता बंद कमरों में बैठकें कर हमारे उम्मीदवारों के खिलाफ अभियान चलाते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि नेकां की भी हार हुई और पीपुल्स कांफ्रेंस भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। इसी तरह सोनावारी में भी पीपुल्स कांफ्रेंस को भी सीट अलाट हुई थी। लेकिन नेकां ने यहां अपना उम्मीदवार खड़ा किया। इस पर बकायदातौर पर नेकां प्रधान के हस्ताक्षर भी थे।

जब नेकां प्रधान डॉ फारूक अब्दुल्ला ने पीएजीडी उम्मीदवार के नामांकन पर हस्ताक्षर किए थे, तो फिर अपनी पार्टी का उम्मीदवार क्यों उतारा। यह आरोप बेबुनियाद नहीं हैं। आप इसका रिकार्ड जांच सकते हो। पीएजीडी के अन्य घटक दलों के साथ भी ऐसा ही हुआ। जिला कुपवाड़ा में भी ऐसा ही देखने को मिला। सभी सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों को मात्र कुछ सौ वोट ही मिले। ऐसे में हमारे खिलाफ किसने वोट दिए। अंसारी ने लिखा कि सज्जाद साहब अब लोगों को सच बताने का समय आ गया है। हमारे कार्यकर्ता और नेकां कार्यकर्ता दोनों ही सच जानते हैं। यह चुनावी लड़ाई पूरी तरह से नेकां और पीपुल्स कांफ्रेंस के बीच ही थी।

उन्होंने कहा कि हमने उन नेताओं के खिलाफ क्या कार्रवाई की जिन्होंने गुपकार गठबंधन को हराने के लिए काम किया। मैं आपका ध्यान हमें अलाट की गई सीटाें की तरफ भी दिलाना चाहता हूं। घाटी की 140 सीटों में से पीपुल्स कांफ्रेंस को सिर्फ दस ही सीटें दी गई थी। उन्होंने नेकां और पीडीपी पर भी कई सवाल दागे। मैं चाहता हूं कि मैंने जो भी प्रश्न उठाए हैं, उन पर मंथन किया जाए।

आपको जानकारी हो कि इससे पहले पीडीपी के वरिष्ठ नेता और सांसद फियाज अहमद मीर ने भी आरोप लगाया था कि नेशनल कांफ्रेंस ने गठबंधन के बावजूद कई जगहों पर पीडीपी के उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए थे। इस कारण उनकी हार हुई। पीडीपी नेता ने कहा कि कुपवाड़ा जिले में जो सीटें गठबंधन के बाद पीडीपी को मिली थी, उन पर नेंका ने भी अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए थे। कुपवाड़ा की 14 सीटों में से हयामा, रिधि, करालपोरा, द्रगमुला में नेंका ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। यह सीटें पीडीपी को मिली थीं।

उन्होंने यह भी कहा कि गुपकार गठबंधन के दलों ने जो समझौता किया, वे जमीनी स्तर पर कहीं नहीं दिखा। अगर ऐसा ही करना था तो फिर गठबंधन क्यों। हमें हंदवाड़ा और करनाह में एक-एक सीट ही दी गई। लोलाब में दो सीटें दी गई लेकिन वहां पर भी नेंका ने अपने समर्थक उम्मीदवारों को उतारा। कुछ सीटों पर ही गठबंधन धर्म निभाया गया। इसे सभी दलों को देखना चाहिए। जिन लोगों ने गठबंधन को नहीं माना, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। 

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