Jammu : ओलावृष्टि की मार धराशायी कर गई किसानों के अरमान, संभलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे किसान
पिंडी गांव के किसान विजय चौधरी ने सोचा था कि इस बार धान की फसल बेचकर वे पिछले कर्ज चुका देंगे। क्योंकि 2018 में उनकी गेहूं की फसल बड़े पैमाने पर जल गई थी जबकि 2019 में गेहूं की फसल बारिशों के कारण नही लग पाई थी।
जम्मू, जागरण संवाददाता : पिछले दिनों जम्मू क्षेत्र में हुई ओलावृष्टि से धान की फसलें तबाह हो गई। नुकसान इतना ज्यादा है कि किसान टूट ही गया। उसे समझ नही आ रहा कि वह कहां से खेती अब शुरू करे। धराशायी हुई फसलों को समेटने की भी उसमें हिम्मत नही। बासमती धान से दाने झड़ चुके हैं। यह ओलावृष्टि किसानों के अरमानों पर पानी फेर गई। बासमती धान व सामान्य धान की फसल अच्छे तरीके से परवान चढ़ रही थी। इसको देखते हुए ही किसानों ने कई सपने संजोए। मगर यह सपने अब चकनाचूर हो गए हैं।
पिंडी गांव के किसान विजय चौधरी ने सोचा था कि इस बार धान की फसल बेचकर वे पिछले कर्ज चुका देंगे। क्योंकि 2018 में उनकी गेहूं की फसल बड़े पैमाने पर जल गई थी जबकि 2019 में गेहूं की फसल बारिशों के कारण नही लग पाई थी। इसका घाटा अबकी धान की फसल से पूरा हो पाने की उम्मीदें थी। लेकिन सब कुछ मिट्टी में मिल गया । किसान बड़े कर्ज में आ गए हैं। अगली फसल लगाने के लिए किसानों के पास पैसे नही हैं।
वहीं फिंदड गांव के किसान अजय कुमार का कहना है कि ओलावृष्टि इतनी ज्यादा हुई कि दाने ही झड़ गए। अग गेहूं की फसल लगाने के लिए पहले धराशायी हुई धान को फसल को समेटना होगा। इसके लिए मजबूरी का खर्च अलग से किसानों को वहन करना पड़ेगा।
वहीं किसान महेश सिंह का कहना है कि किसानों के लिए यह सीजन बहुत महंगा रहा। महंगी रोपाई किसानों को सहन करनी पड़ी। क्योंकि कृषि मजदूरों की कमी रही और कृषि मजदूरी महंगी हो गई। इससे किसान प्रभावित हुआ। मोटा खर्च करने के बाद अब फसलों का नुकसान हो गया। सरकार को चाहिए कि एक माह के भीतर भीतर हर किसान को फसल का मुआवजा दे। अगर ऐसा नही किया गया तो किसान अगली फसल नही लगा पाएगा।