Jammu And Kashmir: भारत का नागरिक बनने में लग गए 73 साल
दशकों बाद पश्चिमी पाकिस्तानी रिफ्यूजी लोग जम्मू कश्मीर के नागरिकता पाए। अब इन लोगों के डोमिसाइल प्रमाण पत्र बनने आरंभ हो गए हैं
जम्मू, जागरण संवाददाता। सात दशक के लंबे इंतजार के बाद पश्चिमी पाकिस्तानी रिफ्यूजी समुदाय के लोगों के चेहरों पर रौनक आई है। भले ही विस्थापन के बाद से दो पीढि़यां दोयम दर्जे के नागरिक होने का दंश झेलती रही। उनकी जिदंगी ऐसे ही इंतजार में निकल गई, लेकिन बदले हालात में उनके बच्चों का भविष्य अब जम्मू कश्मीर में उज्ज्वल होगा। कल तक रिफ्यूजी युवा जम्मू कश्मीर की सरकारी नौकरियों के पात्र नहीं थे, अब अनुच्छेद 370 से बनी अड़चन की बेडि़यां टूट चुकी हैं। अब उनके तकनीकी शिक्षण संस्थानों में भी प्रवेश पाने का रास्ता साफ हो गया है।
दशकों बाद पश्चिमी पाकिस्तानी रिफ्यूजी लोग जम्मू कश्मीर के नागरिकता पाए। अब इन लोगों के डोमिसाइल प्रमाण पत्र बनने आरंभ हो गए हैं और ऐसे में इन रिफ्यूजी युवाओं ने जम्मू कश्मीर की नौकरियां हासिल करने के सपने पंख लगने शुरू हो गए हैं। देश बंटवारे के दौरान 1947 में हजारों की संख्या में हिंदू -सिख परिवार पश्चिमी पाकिस्तान से जम्मू कश्मीर आ गए थे। तब आश्वासन दिया गया था कि उनको नागरिकता दे दी जाएगी, लेकिन इसके लिए उनको सात दशक लंबा इंतजार करना पड़ा।
युवाओं से बातचीत पिछले वर्ष तक मैं सोचता था कि इतना पढ़ लिखने का क्या फायदा, क्योंकि जम्मू कश्मीर में तो नौकरी मिलनी नहीं हैं। हमें तो महज केंद्रीय नौकरियों का सहारा था। राज्य में इतनी नौकरियां निकलती थी, लेकिन हम आवेदन ही नहीं कर सकते थे। पूर्ववर्ती सरकारों ने तो हमें यहां का नागरिक माना ही नहीं, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। रिफ्यूजी लोगों के साथ इंसाफ हुआ है। नागरिकता मिलने से मेरे और दूसरे युवाओं के हौंसले और ज्यादा बुलंद हुए है। अब एमए कर रहा हूं। खुशी है कि अब राज्य सरकार में बड़े से बड़े पद के लिए आवदेन कर सकूंगा। सुनील शर्मागांव धातरेआल, मढ़, जम्मू
आज तक यह सुनते आया था कि पढ़ने के बाद भी जम्मू कश्मीर में नौकरी नहीं मिलती हैं। अब यह सब बीते दिनों की बात हो गई। 12वीं कक्षा के बाद अब कॉलेज में हूं। सपना है कि ग्रेजुएशन कर राज्य सरकार की नौकरी हासिल करूं। एक वर्ष पहले तो यह सपना लेनो भी असंभव था। केंद्र सरकार ने अड़चन बनी अनुच्छेद 370 ही खत्म कर दी है। कल तक हम जो सपने लेते थे वह अब वास्तविकता के धरातल पर उतरते नजर आएंगे। पकू कुमार निवासी पुरखू, जम्मू
उच्च शिक्षा हासिल करने के बावजूद घर में कई लोग जम्मू कश्मीर सरकार में नौकरी हासिल नहीं कर पाए। पूर्व में रही सरकारों ने यही तर्क दिए कि पश्चिमी पाकिस्तानी रिफ्यूजी लोगों को जम्मू कश्मीर की नागरिकता तभी मिल पाएगी, जब विधानसभा में दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित हो। कश्मीरी हुक्मरानों के विरोधी के कारण यह प्रस्ताव पारित ही नहीं हो पाया। अब देश के प्रधानमंत्री ने असंभव को संभव बना दिया है। नागरिकता मिलने के बाद इस वर्ग के युवाओं ने बड़े सपने लेने शुरू कर दिए हैं। शक्ति कुमारगांव चट्ठा गुजरां, मढ़, जम्मू
आज हम जम्मू कश्मीर में बाकी युवाओं के बराबर हैं। जब अनुच्छेद 370 खत्म किया गया तो उसी दिन दिल में एक उमंग जगी। हमें बराबरी का अहसास हुआ। अब राज्य की हर नौकरी के लिए आवेदन करने का रास्त साफ हो गया है। अब डोमिसाइल बनवाने में लगा हूं ताकि जल्द सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकूं। लंबे इंतजार के बाद मोदी सरकार ने पश्चिमी पाकिस्तान रिफ्यूजी लोगों के साथ जो इंसाफ किया है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। -सुनील कुमारगांव पुरखू, जम्मू