अनुच्छेद 370 की समाप्ति से जम्मू-कश्मीर में शुरू हुई खेल क्रांति; अब पत्थरबाजी नहीं, खेल मैदानों में भविष्य संवार रहा कश्मीरी युवा

स्थानीय उर्दू समाचारपत्र जंग के संपादक बिलाल बशीर ने कहा कि मैं तो यही कहूंगा कि कश्मीरी नौजवानों के लिए पत्थरबाजी खेल की तरह ही था। खैर यह मजाक है लेकिन अब पत्थरबाजी अगर बंद हुई है तो उसका एक बड़ा कारण कश्मीर में खेल को बढ़ावा दिया जाना है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 10:49 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 02:58 PM (IST)
अनुच्छेद 370 की समाप्ति से जम्मू-कश्मीर में शुरू हुई खेल क्रांति; अब पत्थरबाजी नहीं, खेल मैदानों में भविष्य संवार रहा कश्मीरी युवा
जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय स्तर के दो स्टेट आफ आर्ट खेलो इंडिया सेंटर भी बनेंगे।

श्रीनगर, नवीन नवाज: सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकतेे कश्मीरी नौजवान आजकल टीवी चैनलों में नजर नहीं आते। अखबारों में भी ऐसी तस्वीरें नहीं दिखतीं। वाकई में पत्थरबाजी को शगल समझने वाला कश्मीरी नौजवान अब गली-बाजारों से गायब हो चुका है। वह अब पत्थरबाजी में नहीं, बल्कि खेल के मैदानों में पसीना बहा रहा है ताकि खुद का और कश्मीर का भविष्य संवार सके। उसकी इसी उम्मीद को परवाज देने के लिए जम्मू कश्मीर सरकार हर गांव और पंचायत में खेल मैदान विकसित कर रही है। प्रदेश में फुटबाल, हाकी अकादमी भी स्थापित की जा रही हैं। आज जम्मू कश्मीर देश का एक बड़ा खेल केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है।

जम्मू कश्मीर की समस्या को अक्सर स्थानीय युवाओं की राजनीतिक, सामाजिक व आॢथक आकांक्षाओं के साथ जोड़कर देखा जाता रहा है। बंदूक उठाने वाले युवाओं के समर्थक अक्सर कहते थे कि उनके पास करने को कुछ नहीं है, उनकी आकांक्षाएं पूरी नहीं होती इसलिए वह बंदूक उठा रहे हैं। लेकिन पिछले दो वर्षों में सबकुछ तेजी से बदल रहा है। पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 और 35ए की समाप्ति के बाद अगर सियासत को एकतरफ छोड़ दिया जाए तो कोई भी सहज स्वीकार कर लेगा कि बीते दो वर्षों से जम्मू कश्मीर में खेल ढांचे के साथ-साथ स्थानीय युवा और नवोदित खेल प्रतिभाओं के विकास के लिए निरंतर प्रयास हो रहे हैं।

युवाओं की सहभागिता से बना रोडमैप: युवाओं को पूरी तरह मुख्यधारा में लाने के लिए प्रयास कोई अकेले नहीं कर लिया गया, बल्कि पत्थरबाजी और आतंकी हिंसा में लिप्त कई युवाओं से बातचीत के आधार पर खेल ढांचा विकसित करने का रोडमैप बनाया गया। यह रोडमैप देश के अन्य भागों के साथ जोड़ा गया ताकि स्थानीय युवाओं की ऊर्जा को अन्य राज्यों की सभ्यता और संस्कृति से भी जोड़ा जा सके। इसी उद्देश्य के साथ मौजूदा वर्ष के बजट में सिर्फ खेल गतिविधियों के लिए ही 513 करोड़ रुपये रखे गए हैं।

खेलों में यूं बढ़े कदम-दर-कदम

1-100 खेलो इंडिया सेंटर का लक्ष्य: पूर्व खेल मंत्री किरन रिजिजू ने अप्रैल में बताया था कि जम्मू कश्मीर में 100 खेलो इंडिया सेंटर विकसित किए जा रहे हैं। जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय स्तर के दो स्टेट आफ आर्ट खेलो इंडिया सेंटर भी बनेंगे। एक श्रीनगर में और दूसरा जम्मू में। इनमें न सिर्फ देश के विभिन्न हिस्सों, बल्कि विदेशों से भी खिलाड़ी आएंगे।

2-वाटर स्पोट्र्स सेंटर: श्रीनगर में डल झील में देश में अपनी तरह का पहला वाटर स्पोट्र्स सेंटर भी इसी लक्ष्य के साथ बनाया गया है। रणजीत सागर बांध परियोजना में बसोहली के निकट वाटर स्पोट्र्स का अंतरराष्ट्रीय स्तर का केंद्र विकसित किए जाने की योजना को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। डल झील में तैयार किए गए वाटर स्पोट्र्स सेंटर में रोइंग, क्याकिंग और कैनोइंग के लिए छह करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक उपकरण खरीदे गए हैं जो देश में कहीं और उपलब्ध नहीं हैं।

3-विंटर गेम्स: गुलमर्ग एक तरह से देश में विंटर गेम्स की राजधानी बन चुका है। खेलो इंडिया विंटर गेम्स गुलमर्ग में होने वाली खेल गतिविधियों के कैलेंडर का एक हिस्सा बन चुका हैं। पहलगाम में माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट फिर से सक्रिय हो चुका है।

4- क्रिकेट: क्रिकेट की नवोदित प्रतिभाओं को निखारने के लिए पूर्व क्रिकेटर सुरेश रैना जम्मू कश्मीर में सक्रिय हैं। वह गांव-देहात जाकर नए खिलाडिय़ों को तलाश-तराश रहे हैं। आइपीएल में अब जम्मू कश्मीर के खिलाडिय़ों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। राष्ट्रीय स्तर पर जम्मू कश्मीर क्रिकेट टीम अब नौसिखिया नहीं समझी जाती।

5: फुटबाल: फुटबाल में जम्मू कश्मीर विदेश में पहचाना जा रहा है। रियल कश्मीर ने फुटबाल के खेल में क्रांति पैदा कर दी है। फुटबाल लीग भी जल्द ही जम्मू कश्मीर में होने जा रही हैं। यह गांव से लेकर मंडल स्तर पर होगी। इसके बाद देश के अन्य भागों की टीमों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। जम्मू में पांच करोड़ की लागत से फुटबाल स्टेडियम तैयार किया जा रहा है।

6-गोल्फ: जम्मू कश्मीर में गोल्फ को भी आम लोगों का खेल बनाया गया है। श्रीनगर में गोल्फ अकादमी शुरू की गई है और पहली बार सरकारी स्कूल की लड़कियों को भी लड़कों के बराबर ही गोल्फ खेलने और सीखने का अवसर मिल रहा है। कश्मीर के बाद अब जम्मू में भी गोल्फ अकादमी स्थापित करने पर गंभीरता से विचार हो रहा है।

जम्मू में मौलाना आजाद स्टेडियम: शीतकालीन राजधानी जम्मू में मौलाना आजाद स्टेडियम में तलवारबाजी के लिए सेंटर ऑफ एक्सिलेंस मंजूर किया गया है। फुटबाल और हाकी अकादमी भी तैयार की जा रही हैं। रग्बी अकादमी सरकारी योजनाओं में शामिल हो चुकी है। प्रत्येक पंचायत में एक खेल मैदान बन रहा है। प्रत्येक पंचायत में खेल सामग्री दी की गई है।

अरुण जेेटली स्पोट्र्स कांप्लेक्स: हीरानगर में अंतरराष्ट्रीय स्तर के बन रहे अरुण जेेटली स्पोट्र्स कांप्लेक्स में न सिर्फ क्रिकेट स्टेडियम होगा, बल्कि फुटबाल, लान टेनिस, वालीबाल, एथलेटिक ट्रैक, साइकिलिंग ट्रैक, हैंडबाल के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुकाबलों की सुविधा होगी।

तब कश्मीरी युवाओं के लिए पत्थरबाजी खेल था: स्थानीय उर्दू समाचारपत्र जंग के संपादक बिलाल बशीर ने कहा कि मैं तो यही कहूंगा कि कश्मीरी नौजवानों के लिए पत्थरबाजी खेल की तरह ही था। खैर, यह मजाक है, लेकिन अब पत्थरबाजी अगर बंद हुई है तो उसका एक बड़ा कारण कश्मीर में खेल को बढ़ावा दिया जाना है। आज आप किसी भी गांव में चले जाएं तो वहां कोई न कोई खेल प्रतियोगिता होती दिख जाएगी। सेना, पुलिस, सीआरपीएफ की खेल प्रतियोगिताओं में बड़ी संख्या में युवा शामिल होते हैं। इन दिनों कश्मीर प्रीमियर लीग चल रही है। सेना की यह प्रतियोगिता हर जिले में हो रही है। बीते दिनों श्रीनगर में कृत्रिम रोशनी में बास्केटबाल के मुकाबले हुए और भीड़ देखने लायक थी। डाउन-टाउन में रात्रिकालीन क्रिकेट मुकाबला हुआ है। इसका श्रेय पांच अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार के फैसले को दे सकते हैं। केंद्र और जम्मू कश्मीर सरकार ने बीते दो सालों में खेल गतिविधियों में स्थानीय युवाओं की ऊर्जा लगाई है। अगर कोरोना का संकट पैदा नहीं होता तो शायद यहां आइपीएल के मुकाबले भी हो जाते। बीते दो वर्षों में खेल गतिविधियों में क्रांति का दौर शुरू हुआ है, जिसके फलों का स्वाद निश्चय ही ओलंपिक में चखने को मिलेगा। - आसिफ कुरैशी, कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ  

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