Kashmiri Pandits: 30 साल बाद कश्मीर में पुश्तैनी घरों में नवरेह मनाने पहुंचे पंडित, मुस्लिम भाइयों ने किया भव्य स्वागत

Kashmiri Pandits आज नवरेह सिर्फ मां शारिका भवानी के मंदिर में थाल सजाने और चुपचाप मंदिर की सीढ़ियां उतर अपने घर लौटने या फिर अपने चंद रिश्तेदारों को दबी जुबान में मुबारक कहने तक सीमित नहीं था। 1989 के बाद आज पहली बार कश्मीर में नवरेह का प्रभाव नजर आया।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 08:48 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 09:11 AM (IST)
Kashmiri Pandits: 30 साल बाद कश्मीर में पुश्तैनी घरों में नवरेह मनाने पहुंचे पंडित, मुस्लिम भाइयों ने किया भव्य स्वागत
नवरेह सिर्फ नए साल का पहला दिन नही है, यह एक नए दौर की शुरुआत होता है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीर में इस साल भी नवरेह मनाया गया लेकिन यह विगत 30 सालों से अलग था। इसकी खास बात यह थी कि देश के विभिन्न हिस्सों में शरणार्थी बनकर रह रहे कश्मीरी पंडित नवरेह मनाने के लिए कश्मीर घाटी में स्थित अपनी पुरखों की जमीन, अपनी जन्मभूमि पर जमा हुए। इसे कश्मीर घाटी में पंडितों की वापसी का संदेश माना जा रहा है। मां शारिका के समक्ष पूजा करते हुए कश्मीरी पंडितों की आंखों से निकलते आंसू उनकी भावनाओं को उजागर कर रहे थे। 30 सालों बाद एक बार फिर पहले की तरह उन्हें घाटी में रहकर नवरेह मनाने हुए कितनी खुशी हो रही है, ये उन्हें शब्दों में बयां करने की जरूरत नहीं थी।

कश्मीर में निजाम-ए-मुस्तफा का नारा देने वाले आतंकियों के कत्लेआम के बाद अपने घरों से खदेड़ दिए गए कश्मीरी पंडित बीते 30 सालों से नवरेह तो मना रहे थे परंतु वे यह त्यौहार शरणार्थी शिविरों या फिर किराए के कमानों में मना रहे थे। यही नहीं वादी में बचे खुचे कश्मीरी पंडित भी नवरेह की परंपरा को निभाते हुए हर साल हरि पर्वत पर स्थित शारिका भवानी मंदिर में जमा होते। परंतु सगे सबंधी, दोस्त बंधु का साथ न होने की वजह से वह खुशी नहीं थी। आज नवरेह सिर्फ मां शारिका भवानी के मंदिर में थाल सजाने और चुपचाप मंदिर की सीढ़ियां उतर अपने घर लौटने या फिर अपने चंद रिश्तेदारों को दबी जुबान में मुबारक कहने तक सीमित नहीं था। 1989 के बाद आज पहली बार कश्मीर में नवरेह का प्रभाव नजर आया।

J&K: Kashmiri Pandits performed puja at Sheetal Nath Temple in Kral Khud, Srinagar on Navreh yesterday. Local Muslims also participated in the celebrations.

"Kashmiri Pandits & Muslims are coming together again. Pandits are an integral part of Kashmiri society," a local said. pic.twitter.com/WiTlaYvWM3

— ANI (@ANI) April 14, 2021

शीतलनाथ भैरव मंदिर करालखुद में नवरेह मिलन का भी आयोजन हुआ, जिसमें कश्मीरी मुस्लिमों की एक बड़ी तादाद कश्मीरी पंडितों को नए साल की मुबारक के साथ यह यकीन दिलाने जमा हुई कि आतंकवाद और अलगाववाद की काली छाया छंटती जा रही है। सभी कश्मीरी पंडित अपने पुरखों की जमीन पर लौट अपनी जड़ो को मजबूत बनाएं ताकि कश्मीरियत की घायल आत्मा को पूरी तरह जीवंत बनाया जा सके। विस्थापित कश्मीरी पंडितों की वादी में वापसी और पुनर्वास के लिए प्रयासरत सतीश महलदार ने कहा कि नवरेह सिर्फ नए साल का पहला दिन नही है, यह एक नए दौर की शुरुआत होता है।पहले दिन कोई शुभ कार्य होना चाहिए।  

Kashmir Pandit's have started to return to Kashmir: BJP J&K General secretary (Org.) Sh. @AshokKoul59

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— BJP Jammu & Kashmir (@BJP4JnK) April 13, 2021

नवरेह में कश्मीरी शांति के लिए हुई प्रार्थना: कश्मीरी पंडितों की कश्मीर में वापसी सुनिश्चित होे, कश्मीर में पूरी तरह शांति हो, सदभाव हो, कश्मीरी पंडित व कश्मीर मुस्लिम फिर एक साथ रहें, इससे बड़ा शुभ क्या होगा, इसलिए हमने यहां नवरेह मिलन का आयोजन किया। देश के विभिन्न हिस्सों में बसे विस्थापित कश्मीरी पंडितों को नवरेह के लिए कश्मीर आने को प्रेरित किया ताकि वह यहां आकर खुद हालात को समझ सकें, अपनी जड़ों को महसूस कर सकें। दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों से करीब 25 कश्मीरी पंडित सिर्फ नवरेह मनाने और यहां बदलाव काे महसूस करने आए हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी ने आज सुबह पहले हरि पर्वत में मां शारिका भवानी के मंदिर में नवरेह की पूजा की। यहां शीतलनाथ भैरव मंदिर में भी पूजा हुई है। हवन का आयाेजन किया गया। इसके अलावा यहीं पर हमने नवरेह मिलन का अायोजन किया था। इसमें स्थानीय सीविल सोसायटी के सदस्य, माकपा नेता मोहम्मद युसुफ तारीगामी समेत कई लोग शामिल हुए। भाजपा नेता अशोक कौल भी आए।

BJP J&K General Secretary (Org.) Sh. @AshokKoul59 offers prayers at Hari Parbat and Shital Nath Temple at Srinagar in Kashmir. pic.twitter.com/kS1ZApy4Tt— BJP Jammu & Kashmir (@BJP4JnK) April 13, 2021

कश्मीर को कश्मीर बनाने के लिए पंडितों की वापसी जरूरी: शीतलनाथ मंदिर ही 1990 से पूर्व कश्मीरी पंडितों की सामुदायिक, सामाजिक, धार्मिक व राजनैतिक गतिविधियों का केंद्र था। कश्मीरी पंडितों और कश्मीरी मुस्लिमों के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई है। सभी इस बात पर सहमत थे कि कश्मीरी पंडितों की कश्मीर वापिसी अनिवार्य है, अन्यथा कश्मीर, कश्मीर नहीं रहेगा। कश्मीरियत को फिर से जीवंत बनाने के लिए कश्मीरी पंडितों की वापसी जरुरी है। सभी ने कश्मीरी पंडितों की कश्मीर वापसी को सुनिश्चित बनाने का संकल्प लिया है। दिल्ली से आयी नीरजा नामक एक युवती ने कहा कि हम लोग कश्मीर में क्षीर भवानी मेले में भाग लेने आते रहे हैं, लेकिन बीते दो साल से नहीं आए हैं। आज नवरेह के मौके पर आए है और हमने खुद यहां के हालात में फर्क महसूस किया है। आज यहां के वातावरण में पहले जैसा डर महसूस नहीं होता। यह बहुत बड़ी बात है। इसे आप पांच अगस्त 2019 के फैसले से भी जोड़ सकते हैं।

The start of Kashmiri Pandits' return to the Valley has started. Kashmiri Pandits from Jammu have performed 'havan' at several temples here today: Jammu and Kashmir BJP General Secretary (Org) Ashok Kumar Koul (13.04) pic.twitter.com/FbcLyIWDYV— ANI (@ANI) April 14, 2021

कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी आज से शुरू हो गई: जम्मू-कश्मीर भाजपा के संगठन महामंत्री अशोक काैल ने कहा आज कई सालों बाद विस्थापित कश्मीरी पंडितों को मैंने कश्मीर में नवरेह मनाते देखा है। कश्मीर में रहने वाले कश्मीरी पंडित भी मंदिर आए हुए थे। मां शारिका भवानी के मंदिर और शीतलनाथ मंदिर में आयोजित हवन व पूजा में मैंने खुद भी भाग लिया है। मैंने कई लोगों से बातचीत की और उसके आधार पर ही मैं कहता हूं कि आप आज के दिन से कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी की प्रक्रिया की शुरुआत मान सकत हैं। कश्मीर में रहने वाले कश्मीरी पंडितों में भी सुरक्षा और विश्वास की एक नयी उम्मीद नजर आयी है। अब लोग अपनी सुरक्षा का मुद्दा नहीं उठा रहे हैं। कश्मीर में मंदिरों की संपत्ति को अतिक्रमण से मुक्त कराने सबंधी सवाल के जवाब में कौल ने कहा कि कई जगह सरकार ने भी मंदिरों की जमीन पर कब्जा किया है तो कई जगह कुछ खास लोगों ने। सरकार को मंदिरों को अतिक्रमण से मुक्त कराना चाहिए। आज का दिन बहुत ही पवित्र दिन है। आज हिंदु, सिख और मुस्लिमों के बड़े त्यौहार हैं। आज बैसाखी भी है, आज नवरात्रि भी है और पाक रमजान की शुरुआत भी। इसलिए यह दिन कश्मीर में अच्छे दिनों की बहाली का शुभ संकेत है।

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