Jammu Kashmir: बैसाखियों के सहारे जम्मू-कश्मीर पुलिस, DIG रैंक के 36 पदों से 29 पद वर्षों से रिक्त पड़े

डीआईजी रैंक के अधिकारियों की किल्लत से कई विंगों में कबाड़ इतना अधिक हो गया कि विंगों कार्यालय में कबाड़ के ढेर लगे हुए है। आलम यह हो गया है कि अधिकारियों बैठने के लिए कमरे नहीं है लेकिन कबाड़ को कमरों में ही रखा गया है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 01:05 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 01:54 PM (IST)
Jammu Kashmir: बैसाखियों के सहारे जम्मू-कश्मीर पुलिस, DIG रैंक के 36 पदों से 29 पद वर्षों से रिक्त पड़े
विंगों में डीआईजी है ही नहीं इस लिए कइंगों में सामान की खरीदारी का काम प्रभावित हाे रहा है।

जम्मू, दिनेश महाजन: आतंकवाद प्रभावित प्रदेश जम्मू कश्मीर में पुलिस बैसाखियों के सहारा चल रही है, यह कहना गलत नहीं होगा। जम्मू कश्मीर पुलिस में अधिकारियों की किल्लत इस स्तर पर पहुंच गई है कि विभाग का कामकाज बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि इन पदों को भरने के लिए ना तो केन्द्र सरकार और ना ही प्रदेश सरकार को कदम उठाते हुए दिख रही है।

जम्मू कश्मीर पुलिस में डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल आफ पुलिस (डीआईजी) रैंक के सृजित 36 पदों में से 29 पद रिक्त पड़े हुए है। आलम यह है कि पुलिस की विभिन्न रेंज (कानून व्यवस्था बनाने के लिए जिला स्तर पर तैनाती) को चलाने के लिए एसएसपी रैंक के अधिकारियों को डीआईजी का पद्भार सौंपा गया है। वहीं, इंस्पेक्टर जनरल आफ पुलिस (आईजीपी) रैंक की हालत भी बेहतर नहीं है। आईजीपी के 12 पदों में पांच पद रिक्त पड़े हुए है। वरिष्ठ अधिकारियों के इस स्तर पर पद रिक्त होने से उनके नीचे के रैंक के अधिकारियों को काम का बहुत अधिक दबाव हो जाता है। उन्हें अपनी ड्यूटी के साथ वरिष्ठ अधिकारियों के अतिरिक्त काम को भी देखना पड़ा है।

बारह अधिकारियों को मिला आईपीएस केवल दो ही बने डीआईजी: बीते करीब एक दशक आईपीएस काडर को पाने के लिए वर्ष 1999 के जम्मू कश्मीर पुलिस सेवा के अधिकारी जद्दोजहद कर रहे थे। बीते सप्ताह गृह विभाग ने पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए 14 अधिकारियों के साथ वर्ष 1999 के 13 अधिकारियों को आईपीएस बनाने का फैसला लिया है। इन अधिकारियों को आईपीएस तो दिया गया लेकिन केवल दो अधिकारियों को ही पदोन्नति देकर डीआईजी बना गया है।

अधिकारियों की किल्लत से प्रभावित हो रही काम: जम्मू कश्मीर पुलिस की किसी भी विंग में कबाड़ हुए सामान को बेचने के लिए जो कमेटी बनाई जाती है। उसकी देखरेख डीआईजी रैंक का अधिकारी करता है। डीआईजी रैंक के अधिकारियों की किल्लत से कई विंगों में कबाड़ इतना अधिक हो गया कि विंगों कार्यालय में कबाड़ के ढेर लगे हुए है। आलम यह हो गया है कि अधिकारियों बैठने के लिए कमरे नहीं है, लेकिन कबाड़ को कमरों में ही रखा गया है। इस प्रकार विभागीय खरीद कमेटी के अध्यक्ष भी डीआईजी होते है। विंगों में डीआईजी है ही नहीं इस लिए कइंगों में सामान की खरीदारी का काम प्रभावित हाे रहा है।

आईपीएस काडर के 31 पद रिक्त: जम्मू कश्मीर पुलिस में अधिकारियों की कमी का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि विभाग में अभी भी 31 आईपीएस अधिकारियों पद रिक्त पडे हुए है। हालांकि बीते सप्ताह से रिक्त पदों की संख्या 44 थी, 13 जेकेपीएस अधिकारियों को आईपीएस काडर मिल जाने के बाद अब यह संख्या 31 रह गई है।

केस स्टडी: जम्मू कश्मीर पुलिस की जरनल रेलवे पुलिस (जीआरपी) हैड कांस्टेबल रैंक के कर्मी की सर्विस राइफल दो वर्ष पूर्व हादसे में टूट गई थी। पुलिस विभाग की किसी भी विंग में जवान के हथियार क्षतिग्रस्त होने की जांच होती है। यह जांच का जिम्मा डीआईजी रैंक के अधिकारी के नीचे नहीं कर सकता। रेलवे विंग में बीते कई वर्षों से डीआईजी तैनात हीं नहीं हुआ है। इस लिए हैड कांस्टेबल के सर्विस राइफल के टूटने की जांच नहीं हो पा रही और उक्त पुलिस कर्मी को नया हथियार जारी नहीं हो रहा। 

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