Kargil Smart City: नियंत्रण रेखा के नजदीक कारगिल बनेगी स्मार्ट सिटी, दुनिया देखेगी लद्दाख के विकास की चमक

पाकिस्‍तान से सटी नियंत्रण रेखा की पहाडि़यों की तलहटी में स्‍मार्ट सिटी का खाका बुना जा रहा है। एलओसी से करीब 15 किमी दूर खुरबाथांग पठार में सेना की खारो फील्ड फायरिंग रेंज की 1700 कनाल जमीन कारिगल के स्‍मार्ट टाउनशिप के सपने को हकीकत बनाने में मददगार होगाी।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 07:00 AM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 07:42 AM (IST)
Kargil Smart City: नियंत्रण रेखा के नजदीक कारगिल बनेगी स्मार्ट सिटी, दुनिया देखेगी लद्दाख के विकास की चमक
खुरबाथांग क्षेत्र एलओसी के किनारे एक पठारी क्षेत्र है। यहां फिलहाल सेना की फायरिंग रेंज है।

जम्मू , विवेक सिंह : साल 1999 में कारगिल युद्ध में भारतीय सेना का शौर्य आज भी गूंज रहा है। रणनीतिक और सटीक कार्रवाई का असर यह रहा कि 22 साल तक दोबारा पाकिस्तान कारगिल की तरफ अपनी नजर उठा नहीं पाया है। अब सेना के सहयोग से कारगिल के विकास की चमक दुनिया को चाैंधियाएगी।

नियंत्रण रेखा से सटी पहाडि़यों की तलहटी में स्‍मार्ट सिटी का खाका बुना जा रहा है। इसके लिए नियंत्रण रेखा से करीब 15 किमी दूर खुरबाथांग पठार में सेना अपनी खारो फील्ड फायरिंग रेंज खाली करने को सहमत हो गई है। सेना की फायरिंग रेंज की 1700 कनाल जमीन कारिगल हिल काउंसिल के स्‍मार्ट टाउनशिप के सपने को हकीकत बनाने में मददगार होगाी।

केंद्र सरकार के कारगिल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए तैयारी आरंभ हो चुकी है। कार‍गिल के विकास के लिए सेना की फायरिंग रेंज की मांग उठी। क्षेत्र के विकास के मसले पर सेना भी राजी हो गई। उन्होंने छह माह में रेंज खाली करने का फैसला कर कस्बे के विस्तार को हरी झंडी दे दी। इसके लिए प्रशासन ने नई फील्ड फायरिंग रेंज के लिए कारगिल कस्बे से करीब साठ किलोमीटर दूर मुलबैख में जमीन उपलब्ध करवा दी है। यहां मराठा यूनिट भी  पास है। खारो फायरिंग रेंज के पास ही सेना का सप्लाई स्टोर भी है। यहीं से पूरे कारगिल में सेना की सप्लाई होती है।

ऐसे में मुलबैख में नई फायरिंग रेंज व सामान की सप्लाई के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने में छह महीने लगेंगे। हाल ही में सेना की 8 डिवीजन के जीओसी व कारगिल प्रशासन के बीच इस मुद्दे पर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए। इस समय कारगिल में पारा शून्य से करीब 20 डिग्री नीचे तक जा रहा है। मौसम सुधरते ही सेना का काम जोर पकड़ लेगा।

नए कारगिल स्मार्ट सिटी में कचरा निस्तारण के साथ अन्य सभी सुविधाएं होंगी। पुराना कारगिल कस्बा गैर योजनाबद्ध तरीके से विकसित हुआ था। अब इसके साथ विकसित हो रही इस टाउनशिप में सभी सुविधाओं का योजनाबद्ध तरीके से विकास होगा। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के सहयोग से स्मार्ट सिटी में जल संरक्षण,  अच्छी सड़कें, गलियां, नालियां, स्ट्रीट लाइट, बेहतर बिजली, जल सप्लाई के साथ पार्किंग की व्यवस्था भी होगी। स्मार्ट सिटी में पर्यटन को बढ़ावा देकर लोगों के आर्थिक स्तर को बेहतर बनाने के लिए प्रबंध होंगे। इसके साथ भविष्य का निर्माण भूकंप रोधी होगा। नियंत्रण रेखा से करीब 15 किमी दूर खुरबाथांग पठार में पहाड़ों की तलहट्टी में 1700 कनाल जमीन में बनेगा खूबसूरत शहर अब विकास के लिए सेना खारो फील्ड फायरिंग रेंज खाली करने को राजी, सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नई फील्ड फायरिंग रेंज के लिए प्रशासन ने इलाके में मुलबैख में उपलब्ध करवाई जमीन, छह माह में खाली होगी जगह

योजनाबद्ध तरीके से कॉलोनी बनेगी : कारगिल हिल काउंसिल के चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसिलर फिरोज खान का कहना है कि कारगिल जैसे पहाड़ी जिले में निर्माण के लिए समतल जमीन की बहुत कमी है। फायरिंग रेंज की जमीन सेना के पास होने से कस्बे का विस्तार नहीं पा रहा था। यह जमीन मिलने के बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत योजनाबद्ध तरीके से कॉलोनी बनाने की तैयारी की है। यहां सरकारी कार्यालय बनेंगे और आधुनिक कालोनियां विकसित करने की योजना है ताकि लद्दाख के लोगों को विश्‍वस्‍तरीय आधारभूत सुविधाएं मिल सकें। जमीन मिलते ही आगे की कार्रवाई भी शुरू हो जाएगी। लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद अब सरकारी बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए जमीन की जरूरत है। सेना के फायरिंग रेंज की जमीन देने का फैसले को सराहनीय है। उम्‍मीद करता हूं कि स्‍मार्ट सिटी की टीम जल्‍द इसका सर्वे का काम आरंभ कर देगी और उसके अनुरूप सुविधाओं का विस्‍तार किया जाएगा। यह कारगिल ही नहीं पूरे लद्दाख के लिए तोहफा है।

नवंबर 2013 में खत्म हुई थी लीज: खुरबाथांग पठार में खारो फील्ड फायरिंग रेंज पर सेना की 50 साल की लीज नवंबर 2003 में खत्म हो गई थी। इसके बाद फायरिंग रेंज की लीज को 10 साल के लिए बढ़ाया गया था। वर्ष 2013 में लीज खत्म होने के बाद जम्‍मू कश्‍मीर सरकार ने सेना पर इस फायरिंग रेंज समेत 10 फायरिंग रेंज खाली कर देने के लिए दवाब बनाना शुरू कर दिया था। अब बदले हालात में वैकल्पिक जमीन मिलने पर सेना फायरिंग रेंज को स्थानांतरित करने को तैयार हो गई है। सेना के पास क्षेत्र में 13,412 एकड़ जमीन है।

सांसद ने रक्षा मंत्रालय से उठाया था मसला : कारगिल कस्बे से सटे होने के कारण खारो फील्ड फायरिंग रेंज को सेना से वापस लेने की मांग वर्ष 1970 से उठ रही है। कारगिल के निवासी गुलाम पाशा का कहना है कि अब लद्दाख के केंद्र शासित बनने के बाद सांसद जामयांग सेरिंग नाम्ग्‍याल ने भी यह मुद्दा रक्षा मंत्रालय से उठाया। इसके बाद सेना यह जमीन लौटाने के लिए तैयार होगी। इससे कारगिल का विकास होगा।

गिलगित बाल्टिस्‍तान देखेगा विकास

विशेषज्ञों के अनुसार कारगिल के साथ पाकिस्‍तान द्वारा गैरकानूनी ढंग से कब्‍जाया गिलगित बाल्टिस्‍तान का क्षेत्र लगता है और इस क्षेत्र के लोग आज भी स्‍वयं को भारतीय मानते हैं। यही वजह है कि पाकिस्‍तान इस क्षेत्र की डेमोग्राफी बदलने की साजिश रचता रहता है। कारिगल और उसके जुड़े क्षेत्रों का तेज विकास निश्चित तौर पर पाकिस्‍तान की आंखों को चौंधियाएगा ही, साथ ही विकास से उपेक्षित गिलगित बाल्टिस्‍तान की जनता को लुभाएगा भी। स्मार्ट सिटी का खाका तैयार किया जा रहा है। सहमति  पत्र पर हस्ताक्षर हो गए हैं। अगले  छह माह में इस दिशा में काम तेजी से शुरू हो जाएगा। बशीर-उल-हक, उपायुक्त कारगिल

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