कुष्ठ रोगी को महीने में 216 रुपये मिलती है सरकारी मदद

अवधेश चौहान जम्मू शहर में तवी नदी के किनारे भगवती नगर इलाके में कुष्ठ आश्रम में 50 कुष्ठ

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 06:51 AM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 06:51 AM (IST)
कुष्ठ रोगी को महीने में 216 रुपये मिलती है सरकारी मदद
कुष्ठ रोगी को महीने में 216 रुपये मिलती है सरकारी मदद

अवधेश चौहान, जम्मू

शहर में तवी नदी के किनारे भगवती नगर इलाके में कुष्ठ आश्रम में 50 कुष्ठ रोगी रखे गए हैं। उनके साथउनका परिवार भी रहता है। कुल मिलाकर इस आश्रम में परिवार समेत 154 लोग रहते हैं। इनके भरण-पोषण, दवा-इलाज, बच्चों की स्कूल फीस, वर्दी आदि के लिए सरकार सालाना चार लाख रुपये देती है। यानी आश्रम के सभी 154 लोगों के लिए महीने में 33,333 रुपये और प्रति व्यक्ति महज 216 रुपये ही सरकार मुहैया करवाती है। ऐसे में समझा जा सकता है कि इतनी कम राशि में यहां रहने वाले लोग कैसे गुजर-बसर करते होंगे।

भगवती नगर के कुष्ठ आश्रम की इमारत की हालत भी ठीक नहीं है। पूरी बिल्डिंग में हर तरफ सीलन है। सरकारें दावे तो खूब करती हैं, लेकिन यहां रहने वाले कुष्ठ रोगियों की मानें तो उनको स्वावलंबी बनाने के लिए अभी तक किसी भी सरकार ने कुछ नहीं किया। ऐसे में मजबूरी में यहां रहने वाले अधिकांश कुष्ठ रोगी घर-घर जाकर दान मांग कर या धर्मस्थलों के बाहर श्रद्धालुओं द्वारा दिए जाने वाले दान से अपना गुजारा करते हैं। आश्रम की देखरेख की जिम्मेदारी निभाने वाले करीम बचपन से ही कुष्ठ रोग से पीड़ित हैं। उन्होंने बताया सरकार की मदद से यहां रहने वाले लोगों का गुजारा नहीं होता है। ऐसे में उनको लगातार अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काटना पड़ता है, तब कहीं कुछ सुनवाई होती है। आश्रम से सटी जमीन को पार्क के लिए चिह्नित किया गया था, लेकिन कई साल बाद भी यहां पार्क नहीं बन पाया है। ऐसे में यहां रहने वाले कुष्ठ रोगियों के बच्चे आश्रम में ही थोड़ा-बहुत खेल पाते हैं। सरकार की इतनी बेरुखी से कुष्ठ रोगी बेहद निराश हैं। करीब ने बताया कि यहां रहने वाले स्थानीय लोगों के दान से उनका गुजारा चल रहा है। कुछ कुष्ठ रोगियों ने भार तौलने वाली मशीन खरीदी है, जिससे थोड़ी बहुत कमाई कर लेते हैं। कुष्ठ रोगियों के बच्चों की शिक्षा के प्रति सरकार की बेरुखी

करीम ने बताया कि यहां रहने वाले पचास कुष्ठ रोगियों के 20 बच्चे स्कूल जाते हैं। सरकार इतनी कम मदद देती है कि उनके लिए बच्चों की स्कूल फीस भरना भी मुश्किल होता है। अभी तक सरकार ने ऐसी कोई योजना भी नहीं शुरू की है, जिससे बच्चों की स्कूल फीस माफ हो जाए। उन्होंने कहा कि सरकार की इस बेरुखी से कोई भी स्कूल उनके बच्चों की फीस नहीं माफ करता है। डिस्पेंसरी में नहीं मिलती दवा, महीने में एक बार आता है डॉक्टर

करीम ने बताया कि एक वर्ष पहले आश्रम में सरकार ने एक डिस्पेंसरी खोली है, लेकिन यहां कोई डॉक्टर नहीं है। महीने में एक या दो बार ही डॉक्टर इस डिस्पेंसरी में मरीजों के इलाज के लिए आता है। कुष्ठ रोगियों को जिन दवाइयों की जरूरत होती है, वे स्वास्थ्य विभाग के पास होती नहीं हैं। ऐसे में उनको बाजार से ही दवाइयां खरीदनी पड़ती हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि समाज कल्याण विभाग सालाना जो चार लाख रुपये देता है, वह यहां रहने वाले 154 लोगों के लिए बहुत कम है।

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