सीमा सुरक्षा बल जम्मू फ्रंटियर के 213 वीरों को मिला पुलिस आंतरिक सुरक्षा पदक

जम्मू संभाग में 192 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ ड्रोन से हथियार फैंकने व सीमा पर सुरंगे खोदने की साजिशों को नाकाम बना रही सीमा सुरक्षा बल जम्मू फ्रंटियर के 213 अधिकारियों व जवानों को पुलिस आंतरिक सुरक्षा पदक से सम्मानित किया गया है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 08:14 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 08:14 PM (IST)
सीमा सुरक्षा बल जम्मू फ्रंटियर के 213 वीरों को मिला पुलिस आंतरिक सुरक्षा पदक
जम्मू कश्मीर के 8111 सीमा प्रहरियों को अब तक पुलिस आंतरिक सुरक्षा पदक से सम्मानित किया है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो । जम्मू संभाग में 192 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ, ड्रोन से हथियार फैंकने व सीमा पर सुरंगे खोदने की साजिशों को नाकाम बना रही सीमा सुरक्षा बल जम्मू फ्रंटियर के 213 अधिकारियों व जवानों को पुलिस आंतरिक सुरक्षा पदक से सम्मानित किया गया है।

पुलिस आंतरिक सुरक्षा पदक हासिल करने वालों में सीमा सुरक्षा बल जम्मू फ्रंटियर के आइजी एनएस जम्वाल समेत 27 अधिकारी, 59 सहयोगी अधिकारी व 127 अन्य रैंक शामिल हैं। आइजी जम्वाल को पुलिस आंतरिक सुरक्षा पदक के साथ डीजी प्रशस्ति पत्र से भी सम्मानित किया गया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से आंतरिक सुरक्षा पदक उत्तर पूर्व में नक्सलवाद व जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से लड़ने वाले सीमा प्रहरियों को दिया जाता है। मंगलवार को फ्रंटियर मुख्यालय पलौड़ा में आयोजित अलंकरण समारोह में आइजी एनएस जम्वाल ने जवानों व अधिकारियों को पदक भेट किए।

उन्होंने पदक विजेताओं का हौंसला बढ़ाते हुए कहा कि सीमा प्रहरियों ने जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के लिए कई कुर्बानियां दी हैं। सीमा प्रहरियों को मिलने वाले सम्मान इस बात का प्रमाण है कि जवान दुर्गम हालात में सरहदों की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सीमा प्रहरी इसी तरह से बुलंद हौंसले के साथ जम्मू कश्मीर में देश के दुश्मनों के मंसूबों को नाकाम बनाते रहेंगे।

इसी बीच जम्मू कश्मीर के 8111 सीमा प्रहरियों को अब तक पुलिस आंतरिक सुरक्षा पदक से सम्मानित किया है। इन वीरों ने चुनौतीपूर्ण हालात में देश के दुश्मनों की साजिशों को नाकाम बनाने में अहम भूमिका निभाई है। सीमा प्रहरियों का हौंसला बढ़ाने के लिए गृह मंत्रालय ने ये पदक देने की शुरूआत जुलाई 2018 में की थी। साल में दो बार ये पदक उन जवानों को दिए जाते हैं जिन्होंने जम्मू कश्मीर या उत्तर पूर्वी राज्यों के चुनौतीपूर्ण हालात में दो साल तक सेवाएं दी हों। 

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