Jammu Kashmir: कोरोना को मात दे इस दुनिया से विदा हुए 1971 युद्ध के नायक कर्नल पंजाब सिंह

वर्ष 1971 में पाकिस्तान ने पुंछ पर कब्जा करने को एढ़ी चोटी का जोर लगा दिया था। दो दिनों में दुश्मन ने 9 बार हमले किए। लड़ाई में दुश्मन को जान-माल का बहुत नुकसान हुआ था। बहादुरी के लिए मेजर पंजाब सिंह को वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 26 May 2021 07:40 AM (IST) Updated:Wed, 26 May 2021 10:17 AM (IST)
Jammu Kashmir: कोरोना को मात दे इस दुनिया से विदा हुए 1971 युद्ध के नायक कर्नल पंजाब सिंह
चंडीगढ़ में सैन्य सम्मानपूवर्क उनका अंतिम संस्कार हुआ।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: जम्मू संभाग के पुंछ पर कब्जा करने की पाकिस्तान की साजिश को नाकाम बनाने के लिए पचास साल पहले लड़ी गई लड़ाई के नायक कर्नल पंजाब सिंह दो बार कोरोना को मात देकर इस दुनिया से विदा हुए। आज भी पुंछ के लोग कर्नल पंजाब सिंह को उनकी बहादुरी के लिए याद करते हैं।

सेना की पंजाब रेजीमेंट की कमान कर चुके 79 वर्षीय सेवानिवृत कर्नल पंजाब सिंह कोरोना से तो ठीक होने हो गए थे लेकिन स्वास्थ्य संबंधी अन्य दिक्कतों के कारण उनका निधन हो गया। कश्मीर की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सेना की पंद्रह कोर के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे उनके दामाद हैं।

कर्नल पंजाब सिंह ने वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध् में पुंछ पर कब्जा करने की दुश्मन की साजिश को नाकाम बनाते हुए वीर चक्र हासिल किया था। उस समय वह मेजर थे। इस समय सेना 1971 के युद्ध के स्वर्णिम विजय वर्ष में इस युद्ध के नायकों को सम्मानित कर रही है।

ऐसे में जम्मू कश्मीर आई सेना की विजय मशाल के साथ आए सेना के अधिकारियों व जवानों का आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश दौरे के दौरान कर्नल पंजाब सिंह को भी सम्मानित करने का कार्यक्रम था। कर्नल पंजाब सिंह हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के रहने वाले थे, उनका निधन चंडीगढ़ में हुआ, वहीं पर सैन्य सम्मानपूवर्क उनका अंतिम संस्कार हुआ।

वर्ष 1971 में पाकिस्तान ने पुंछ पर कब्जा करने को एढ़ी चोटी का जोर लगा दिया था। पाकिस्तान ने पुंछ पर कब्जा करने के लिए दो ओर से हमला किया था। यह हमला पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स एसएसजी के नेतृत्व में हुआ था, ऐसे हालात में मेजर पंजाब सिंह के साथ जेसीओ हमलदार मलकीत सिंह व नायब सिंह के नेतृत्व में 6 सिख ने अपने से कहीं अधिक संख्या में दुश्मन को मार गिराया था। दो दिनों में दुश्मन ने 9 बार हमले किए थे। इस लड़ाई में दुश्मन को जान माल का बहुत नुकसान हुआ था। बहादुरी के लिए मेजर पंजाब सिंह को वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

जम्मू के पीआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद ने जागरण को बताया कि कर्नल पंजाब सिंह 16 दिसंबर 1967 को 6 सिख रेजिमेंट में युवा अधिकारी के रूप से शामिल हुए थे। उन्होंने 12 अक्तूबर 1986 से 29 जुलाई 1990 तक इस प्रतिष्ठित बटालियन की कमान भी संभाली। उन्होंने बताया कि कर्नल पंजाब सिंह सेना के एक कुशल रणनीतिकार थे। वह 1971 में पुंछ को बचाने के लिए हुई लड़ाई के नायक थे। उनकी वीरता के किस्से आज भी याद किए जाते हैं।

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