Tokyo Olympics 2020: गुरजीत कौर दाग रही थी गोल.. पिता निभा रहे थे लंगर में सेवा

गुरजीत के निर्णायक व मैच के एकमात्र गोल की बदौलत भारतीय महिला टीम पहली बार ओलिंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचने में कामयाब रही। महिला टीम ओलिंपिक इतिहास में पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची है जहां भारत का मुकाबला अर्जेंटीना की टीम से होगा।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 08:49 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 08:53 PM (IST)
Tokyo Olympics 2020: गुरजीत कौर दाग रही थी गोल.. पिता निभा रहे थे लंगर में सेवा
भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी गुरजीत कौर (एपी फोटो)

जागरण टीम, रूपनगर/अमृतसर/जालंधर। टोक्यो ओलिंपिक में जब भारतीय हाकी टीम की होनहार खिलाड़ी अमृतसर जिले के गांव मियादी कलां की गुरजीत कौर आस्ट्रेलिया को धूल चटाने में जुटी थीं, तब उनके पिता सतनाम सिंह कीरतपुर साहिब में गुरु श्री हरिकिशन साहिब के प्रकाश पर्व पर लगाए गए देसी घी के मालपूड़े के लंगर में सेवा निभा रहे थे। गुरजीत के निर्णायक व मैच के एकमात्र गोल की बदौलत भारतीय महिला टीम पहली बार ओलिंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचने में कामयाब रही। गुरजीत के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर सतनाम सिंह ने बेटी और भारतीय टीम की सफलता के लिए कीरतपुर साहिब के ऐतिहासिक गुरुद्वारा शीश महल में अरदास की।

उधर, टोक्यो में भारतीय टीम की डिफेंडर व ड्रैग फ्लिकर गुरजीत के गोल दागते ही गुरजीत के घर, गांव सहित पूरे पंजाब में जश्न शुरू हो गए। इस उपलब्धि पर गांव और परिवार के लोगों ने लड्डू बांटकर खुशी मनाई। इसके अलावा तरनतारन के गांव कैरों के हाकी विंग में खुशी मनाई गई और टीम को जीत बधाई गई। वहीं गुरजीत की मां हर¨जदर कौर का कहना है कि गुरु रामदास महाराज की कृपा से उनके घर में खुशियों का माहौल बना है, जिसके लिए वे गुरु महाराज के शुक्रगुजार हैं। परिवार को बेटी की मेहनत और लगन पर विश्वास था। बचपन में पिता सतनाम सिंह और चाचा बलविंदर सिंह ने कभी साइकिल तो कभी मोटरसाइकिल पर उसे अभ्यास के लिए ले जाते थे। उनकी मेहनत का परिणाम सबके सामने हैं। मां हरजिंदर कौर व दादी दर्शन कौर ने कहा कि गुरजीत ने पूरे परिवार की मेहनत का मूल्य मोड़ दिया है।

गांव कैरों में हुई हाकी से प्रभावित

गुरजीत का जन्म 25 अक्टूबर 1995 को गांव मियादी कलां में हुआ है। उनके पिता सतनाम सिंह किसान हैं और मां हर¨जदर कौर गृहिणी हैं। परिवार का हाकी से कुछ लेना देना नहीं है। पिता सतनाम सिंह के लिए बेटी की पढ़ाई ही सबसे पहले थी। गुरजीत व उनकी बहन प्रदीप कौर ने शुरुआती शिक्षा गांव के पास के निजी स्कूल से हासिल की। इसके बाद वे तरनतारन के कैरों गांव में डे बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने के लिए चली गईं, जहां वह हाकी खेल से प्रभावित हुई और उनका हाकी खेल से लगाव हो गया। दोनों बहनों ने जल्द ही खेल में महारत हासिल की और छात्रवृत्ति हासिल की। गुरजीत ने जालंधर के लायलपुर खालसा कालेज से ग्रेजुएशन करने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर खेलना शुरू किया था। बता दें कि गुरजीत ने रेलवे इलाहाबाद में डयूटी के साथ-साथ अभ्यास जारी रखा है। इसके तहत वह देश का नाम चमकाने में सफल रही।

पिता सतना बोले-बेटी की सफलता पर फक्र

गुरजीत के पिता सतनाम सिंह ने कहा कि उन्हें गुरजीत पर फक्र है, जिसने भारत का नाम रोशन किया है। तीन बार की विजेता आस्ट्रेलिया की टीम के खिलाफ गोल करना बड़ी बात है। सतनाम सिंह ने कहा कि गुरजीत को बचपन से ही हाकी से लगाव रहा है। इसी कारण वह इस मुकाम पर पहुंची है। आज पूरा देश उसकी तारीफ कर रहा है। वह लंगर से लौटकर परिवार के साथ जश्न मनाएंगे।

मैच से पहले गुरजीत ने जालंधर में कोच से लिया था मूलमंत्र

आस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच से एक दिन पहले गुरजीत कौर ने जालंधर में अपने कोच कुलबीर सैनी को फोन किया था। बताया था पेनाल्टी कार्नर सही नहीं लग रहे। गोल में तब्दील नहीं हो रहे। कोच ने बताया कि फोन पर वह मायूस दिख रही थी, जिसके बाद उन्होंने गुरजीत को बताया कि उसके पेनाल्टी कार्नर की स्पीड कम है। गोल करने के कुछ टिप्स भी दिए जिसे अपनाकर गुरजीत आस्ट्रेलिया के खिलाफ पेनाल्टी कार्नर को गोल में तब्दील करने में सफल हुई। कालेज की प्रिंसिपल डा. नवजोत ने कहा कि छठी कक्षा से ही गुरजीत हाकी खेल रही है। गुरजीत में हाकी का जज्बा इतना था कि जब भी कालेज में फ्री पीरियड होता, हाकी स्टिक पकड़कर मैदान में पहुंच जाती थी। उधर गुरजीत कौर के शानदार प्रदर्शन पर कालेज में भी खुशी मनाई गई। भारतीय हाकी टीम की जीत पर रेल कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) में जश्न मना। यहां कार्यरत भारतीय टीम की मिड फील्डर नवजौत कौर को स्टाफ ने बधाई दी और लड्डू बांट जश्न मनाया।

गुरजीत की बड़ी बहन हाकी अकादमी में कोच

गुरजीत कौर की बड़ी बहन प्रदीप कौर संसारपुर हाकी अकादमी में कोच है। प्रदीप कौर ने बताया कि दोनों ने एक साथ हाकी खेलने का सफर शुरू किया था लेकिन अब गुरजीत ने देश व परिवार का नाम रोशन कर दिया है।

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