प्रैक्टिस के लिए दूध में पानी मिलाया रानी रामपाल ने और पहुंची इस मुकाम तक

रानी रामपाल ने कहा कि आजकल उसका ध्यान जुलाई 2020 में जापान के टोक्यो में होने वाली ओलंपिक्स में मेडल लेकर आने पर केंद्रित है।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Fri, 15 Nov 2019 07:25 PM (IST) Updated:Fri, 15 Nov 2019 07:25 PM (IST)
प्रैक्टिस के लिए दूध में पानी मिलाया रानी रामपाल ने और पहुंची इस मुकाम तक
प्रैक्टिस के लिए दूध में पानी मिलाया रानी रामपाल ने और पहुंची इस मुकाम तक

सुरेश कामरा, पटियाला। 'मुझे आज भी वो दिन याद आते हैं, जब मैं हॉकी की प्रैक्टिस करने जाती थी, तो मेरे पास पहनने के लिए स्पो‌र्ट्स शूज नहीं होते थे और न ही मेरे पास स्टिक होती थी । मुझे शूज व स्टिक मेरे कोच बलदेव सिंह लेकर देते थे। तब मैं प्रैक्टिस करने के लिए अकादमी में जाती थी। घर के हालात ठीक न होने के कारण मुझे भी अपने परिवार के साथ गांव में हाथ बंटाना पड़ता था। फिटनेस नहीं रहती थी, तो मेरे कोच मुझे अपने लुधियाना स्थित घर में परिवार के साथ रहने के लिए भेज देते थे। मैं उनके घर पर परिवार के साथ एक-एक महीना तक रहती थी, ताकि मेरी फिटनेस बनी रहे।' यह अनुभव भारतीय हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल ने शुक्रवार को पंजाबी यूनिवर्सिटी में दैनिक जागरण के साथ साझा किए।

हरियाणा के अंबाला शहर में कस्बा शाहपुर मारकंडा से संबंधित रानी रामपाल ने कहा कि पिता रामपाल सिंह रेहड़ी चलाते थे और परिवार की वित्तीय हालत काफी कमजोर थी। गांव की शाहबाद हॉकी अकादमी की लड़कियां भारतीय टीम का हिस्सा थीं, जिसके कारण उसे भी हॉकी खेलने का शौक जगा और उसने स्टिक उठा ली। स्टिक उठाने के बाद कोच बलदेव सिंह ने उसमें खिलाड़ी के गुण देखे, तो उसे तराशना शुरू किया। जब वह अकादमी में प्रेक्टिस करने के लिए जाती थी, तो डाइट में घर से दूध लेकर जाना पड़ता था। मगर, रोजाना दूध लेकर जाना उसके लिए काफी मुश्किल था तो वो दूध में एक चौथाई पानी मिलाकर लेकर जाती थी, ताकि उसे अकादमी में प्रैक्टिस से बाहर न कर दिया जाए। रानी रामपाल कहती है कि कुछ इस तरह की दिक्कतें झेलती हुई मौजूदा स्थान पर पहुंची हूं।

17 से लगेगा बेंगलुरु में कैंप

रानी रामपाल ने कहा कि आजकल उसका ध्यान जुलाई 2020 में जापान के टोक्यो में होने वाली ओलंपिक्स में मेडल लेकर आने पर केंद्रित है। 17 नवंबर से बंगलुरु में हॉकी का कैंप लगने वाला है, जिसके चलते वह अपनी टीम की खिलाडि़यों के साथ कैंप में जाने वाली है। कैंप संपन्न होने के बाद भारतीय हॉकी टीम का एलान किया जाएगा। परिवार में कोई खिलाड़ी है पर उन्होंने कहा नहीं। परिवार में उसके दो बड़े भाई हैं, जो विवाहित हैं।

हॉकी को ही क्यों अपनाया, के जवाब में उन्होंने कहा कि जब उसने देखा कि उसके कस्बे शाहबाद में स्थित हॉकी अकादमी की बहुत सी लड़कियां भारतीय टीम का हिस्सा बन रही हैं, तो उन्होंने हॉकी खेल को चुना और वो आज अपने खेल प्रदर्शन के बल पर भारतीय हॉकी टीम की कप्तान हैं। देश में एस्ट्रो टर्फ मैदान की कमी पर उन्होंने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आजकल हॉकी फास्ट गेम हो गई है, इसलिए एस्ट्रो टर्फ मैदान देश में और बढ़ने चाहिए, तभी हॉकी खिलाडि़यों के प्रदर्शन में और सुधार होगा।

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