Tokyo Olympics: पूर्व भारतीय दिग्गज धनराज पिल्लै ने कहा, हाकी टीम की राह आसान नहीं
मैं भारतीय हाकी टीमों को लेकर बेहद आशावान हूं जिसकी अगुआई मनप्रीत और रानी कर रहे हैं। टीमों ने पांच साल से कड़ी मेहनत की है और अब अपनी चमक बिखेरने का मौका है। मुझे पूरा विश्वास है कि ये टीमें देश को गर्व करने का मौका जरूर देंगी।
धनराज पिल्लै का कालम। आखिरकार टोक्यो ओलिंपिक शुरू हो गए। एक साल की महामारी, अनिश्चितताओं, बलिदानों के बाद दुनियाभर के एथलीटों का ओलिंपिक में सफर शुक्रवार से शुरू हो गया। वहीं, आज से दुनिया के बेहतरीन हाकी खिलाड़ी भी सबसे बड़े मुकाम तक पहुंचने का अपना अभियान शुरू करेंगे। मुझे अपने जीवन में चार बार ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है, इसलिए मैं इसमें हिस्सा ले रहे एथलीटों का उत्साह, उनका नर्वस होना और उनके समर्पण को अच्छी तरह समझ सकता हूं।
मैं भारतीय हाकी टीमों को लेकर बेहद उत्साहित और आशावान हूं, जिसकी अगुआई मनप्रीत सिंह और रानी रामपाल कर रहे हैं। टीमों ने पांच साल से कड़ी मेहनत की है और अब अपनी चमक बिखेरने का मौका है। मुझे पूरा विश्वास है कि ये टीमें देश को गर्व करने का मौका जरूर देंगी। भारतीय पुरुष हाकी टीम अपने अभियान का आगाज शनिवार को न्यूजीलैंड के खिलाफ करेगी जो आसान मुकाबला नहीं होगा।
पूल-ए में भारतीय टीम गत चैंपियन अर्जेंटीना, पूर्व चैंपियन आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मेजबान जापान और स्पेन के साथ है। भारत के सभी विरोधी काफी मजबूत हैं और ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि टीम बहुत अधिक दूर की सोचने की बजाय एक बारे में एक ही मैच के बारे में सोचे। जहां अर्जेंटीना और आस्ट्रेलिया की गिनती बेहद मजबूत टीमों में होती है, वहीं घरेलू जमीन पर जापान को कम करके नहीं आंका जा सकता। घरेलू समर्थन किसी भी मैच में लाभ ही देता है। न्यूजीलैंड और स्पेन की टीमें प्रतिभाशाली खिलाडि़यों से सजी हैं।
इसका ये मतलब नहीं है कि भारतीय टीम आसान चुनौती पेश करेगी। युवा और अनुभवी खिलाडि़यों से सजी ये टीम बेहद जोशीली है और पिछले कुछ साल में इसने अपने कौशल और फिटनेस में काफी सुधार भी दिखाया है। कप्तान मनप्रीत सिंह आक्रामक मिडफील्डर हैं। वह जानते हैं कि गोल करने का मौका कैसे बनाया जाता है। वह अब एक कप्तान के तौर पर भी परिपक्व होकर सामने आए हैं। अपना तीसरा ओलिंपिक खेल रहे गोलकीपर पीआर श्रीजेश टीम के लिए बेहद अहम साबित होंगे। जब एक शानदार दीवार गोलपोस्ट का बचाव कर रही हो तो उसके पास ये देखने का सबसे शानदार नजारा होता है कि मैदान पर बाकी 21 खिलाड़ी क्या कर रहे हैं।
श्रीजेश ने काफी मेहनत की है। जहां तक भारत की ओर से पेनाल्टी कार्नर पर गोल करने की बात है तो ये जिम्मेदारी हरमनप्रीत सिंह और रुपिंद्रपाल सिंह पर होगी जिन्हें ड्रैगफ्लिक में महारथ हासिल है। अनुभव के मामले में फारवर्ड लाइन थोड़ी कम हो सकती है लेकिन मनदीप सिंह और ललित उपाध्याय अपने काम में काफी तेज हैं। इनर सर्कल में खेल की गति तेज करना और ताबड़तोड़ हमलों को अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी इन दोनों पर है। वक्त आ गया है जब सभी टीमों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन सामने लाना होगा। और बीते पांच साल की कड़ी मेहनत का एक-एक पल साबित करना होगा। शुभकामनाएं।