देश में हाकी की दिशा और दशा तय करेगा टोक्यो ओलिंपिक में मिला ब्रॉन्ज मेडल: पीयूष दुबे

भारतीय हाकी टीम के सहायक कोच पीयूष दुबे टीम की जीत के बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि अब देश में हाकी एक बार फिर उत्कर्ष पर पहुंचेगी। पदक देश में हाकी की दिशा और दशा तय करेगा। जमीनी स्तर पर की गई मेहनत से ये संभव हो पाया है।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Sun, 08 Aug 2021 07:48 PM (IST) Updated:Sun, 08 Aug 2021 07:48 PM (IST)
देश में हाकी की दिशा और दशा तय करेगा टोक्यो ओलिंपिक में मिला ब्रॉन्ज मेडल: पीयूष दुबे
भारतीय खिलाड़ी जीत के बाद जश्न मनाते हुए (एपी फोटो)

चार दशक बाद ओलिंपिक में देश को मिले कांस्य पदक जीतने में जितना खिलाड़ियों का योगदान है, उतना ही कोचों का भी है। इसमें भारतीय हाकी टीम के सहायक कोच पीयूष दुबे का भी बड़ा योगदान है। भारतीय टीम की जीत से खुश दुबे का कहना है कि अब देश में हाकी एक बार फिर उत्कर्ष पर पहुंचेगी। पदक देश में हाकी की दिशा और दशा तय करेगा। जमीनी स्तर पर की गई मेहनत से ये संभव हो पाया है। टोक्यो से पीयूष दुबे ने दीपक गिजवाल से विशेष बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश :

- चार दशक बाद हाकी का स्वर्णिम युग लौटता दिख रहा है, कितनी मेहनत करनी पड़ी?

- त्याग और मेहनत ही इस टीम की सबसे बड़ी खूबी है। यह सब टीम वर्क से संभव हो पाया है। जमीनी स्तर पर की गई मेहनत से तस्वीर बदली है। मेहनत के साथ ही खिलाडि़यों से लेकर कोचिंग स्टाफ व इससे जुड़े लोगों ने भी त्याग किया है। बेंगलुरु साई सेंटर में अभ्यास कर रहे थे तो कोरोना संक्रमण के कारण कहीं बाहर नहीं निकल पाए। करीब डेढ़ साल तक पूरे खिलाडि़यों व स्टाफ ने साई सेंटर में ही बिताया। खिलाडि़यों ने खेल के लिए अपने पारिवारिक कार्यक्रम तक छोड़ दिए थे।

- पिछले वर्षो में कितना बदलाव आया है जिससे टीम का प्रदर्शन सुधरा?

- एक समय आया था जब हमें निचले दर्जे की टीम में गिना जाने लगा था। अब हालात सुधरे हैं। बीते सालों में हाकी के लिए बहुत बेहतरीन कार्य हुए हैं। बेंगलुरु साई सेंटर के डीजी, सोनीपत साई सेंटर की निदेशक ललिता शर्मा, एफआइएच के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा ऐसे ही कुछ और नाम हैं, जिन्होंने हाकी को फिर से पहचान दिलाने का बीड़ा उठाया। खिलाडि़यों के लिए हरसंभव मदद मुहैया कराई गई। टाप्स स्कीम भी खिलाडि़यों को आगे बढ़ाने में बहुत मदद कर रही है। इन सबका नतीजा सामने है।

- ओलिंपिक से पहले मन में क्या चल रहा था?

- सच कहूं तो टीम से जुड़े हर सदस्य के दिमाग में एक ही बात थी। किसी भी कीमत पर पदक जीतना है। उसी के हिसाब से तैयारी भी चल रही थी। इस समय हम विश्व रैंकिंग में नंबर तीन पर हैं। हम ओलिंपिक से पहले जर्मनी, बेल्जियम, आस्ट्रेलिया और नीदरलैड्स को हरा चुके थे। ऐसे में हमारे अंदर आत्मविश्वास था। इस बार जब हम विपक्षी टीम के सामने होते थे तो वह हमें कमजोर विपक्ष नहीं समझते थे। उसके बाद मैदान पर हमारा गेम भी उन पर प्रभाव डालता था। यह बात विपक्षी टीम भी मानती है।

- कोरोना संक्रमण के कारण तैयारी में आई बाधा से कैसे पार पाई?

- कोरोना से बहुत नुकसान हुआ। हर कोई प्रभावित हुआ। निश्चित तौर पर खेल का भी नुकसान हुआ। दौर कठिन था। खेलने को मैच नहीं मिल रहे थे। ऐसे प्रतिस्पर्धा में बने रहने की आदत बनाए रखना मुश्किल था। ओलिंपिक के लिए 33 खिलाडि़यों की कोर टीम हमारे पास थी। उसी में से दो टीम बना कर तैयारी की। एक समय ऐसा आया कि टीम बराबरी पर रहने लगी, तब हम लोगों की चिंता बढ़ी। इधर, फरवरी 2021 में थोड़ी छूट मिली तो हम लीग खेलने जर्मनी गए। जर्मनी को हमने वहां हराया। फिर हम वहां से बेल्जियम और इंग्लैंड भी गए। वहां से जीतकर लौटे। जब हम ओलिंपिक में पहुंचे तो आत्मविश्वास से भरे हुए थे। उन दौरों का फायदा ओलिंपिक में मिला।

- ओलिंपिक के ऐसे कौन से पल है जिन्हें हमेशा संजो कर रखना चाहेंगे?

- सेमीफाइनल में पहुंचने पर पूरी टीम रो रही थी। सब भावुक थे। हर कोई खुद पर गर्व महसूस कर रहा था। वह पल बहुत भावुक करने वाला था। सेमीफाइनल में हम आगे चल रहे थे। जीत का जश्न मनाने तक की तैयारी कर ली गई थी। अचानक मैच हार गए, हर कोई निराश था। तभी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फोन कर हमसे बात की। टीम निराशा से बाहर निकल आई। फिर कांस्य पदक जीतकर चार दशक के सूखे को खत्म किया तो फिर से वही नजारा था, सब की आंखों में खुशी के आंसू थे, ये कभी न भूलने वाले पल है।

- अब क्या आप मानते हैं कि हाकी के प्रति लोगों के नजरिये में बदलाव आया है?

- बहुत बदलाव देखने को मिला है। खिलाडि़यों को पहचान मिली है। लोग जीत से उत्साहित हैं। फोन पर बधाइयां मिल रही हैं। कई विश्वविद्यालयों कुलपतियों के भी फोन आ रहे हैं। वो बातचीत में कहते हैं अब वो अपने यहां हाकी शुरू करने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फोन पर खिलाड़ियों व स्टाफ से बात की। उनके साथ ही और लोगों ने भी हाकी के उत्थान में सहयोग के लिए आश्वस्त किया है।

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