संरक्षण के प्रयास कम, खतरे में वन्य प्राणी

तापमान में लगातार वृद्धि होने से चिंतपूर्णी क्षेत्र में वन संपदा के साथ क

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 08:13 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 08:13 PM (IST)
संरक्षण के प्रयास कम, खतरे में वन्य प्राणी
संरक्षण के प्रयास कम, खतरे में वन्य प्राणी

नीरज पराशर, चिंतपूर्णी

तापमान में लगातार वृद्धि होने से चिंतपूर्णी क्षेत्र में वन संपदा के साथ कई वन्य प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। ऊना जिला में कुछ वर्षो से वन्य प्राणी अपना अस्तित्व खो रहे हैं लेकिन उनके संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयास नाकाफी दिखते हैं। ऐसे में यह भी लग रहा है कि नई पीढ़ी के लिए पशु-पक्षी व पेड़ पौधे सिर्फ किताबों में ही देखने को मिलें।

ऊना जिला में पिछले कई वर्षो में वनाग्नि ने भारी तबाही मचाई है। क्षेत्र में चोरी-छिपे वन्य प्राणियों का शिकार करने वालों की कोई कमी नहीं है। साथ में लगातार घट रही वन संपदा के कारण भी वन्य प्राणियों को अपना आप बचाना मुश्किल लग रहा है। फायर सीजन में जब जंगल में आग लगती है तो उस वक्त क्षेत्र के जंगलों में पाई जाने वाली कई वन्य प्रजातियों का प्रजनन काल भी होता है। कुछ दिनों बाद बड़ी संख्या में इन वन्य क्षेत्रों में विचरने वाले पक्षी जंगली मुर्गी, तीतर, मोर, बटेर, क्लीज, कोयल और चिड़िया की कई प्रजातियां अंडे देती हैं। वहीं, अन्य प्राणियों में कक्कड़, सांभर, खरगोश, सुअर और तेंदुआ में से कई की प्रजनन क्रिया का तो कई का मीटिग सीजन भी होता है। जंगल की आग के बाद सब कुछ तबाह हो जाता है। कई वन्य प्राणियों को आग लगने के बाद असमय काल का ग्रास बनना पड़ता है। कई जानवर जो वनों में आग लगने के बाद भाग जाते हैं, उन्हें दोबारा अपना ठिकाना ढूंढना मुश्किल हो जाता है। फायर सीजन से ठीक पहले भी शिकारियों की बंदूकें इन बेसहारा जानवरों पर तनी रहती हैं। वन माफिया ने भी क्षेत्र के जंगलों को नुकसान पहुंचाया है।

वन्य क्षेत्र में कई वन्य प्राणी तेजी से लुप्त हो रहे हैं। कुछ वर्ष पहले बिना किसी भय के क्षेत्र के जंगलों में दिखने वाले सैल, मुर्गा, सांभर और बटेर अब कहीं नजर नहीं आते हैं। सबसे ज्यादा नुकसान सरीसृप प्रजाति के प्राणियों को आग से होता है। इसके अलावा वन संपदा भी तेजी से घट रही है। 10 साल में 30 हजार से ज्यादा पेड़ कम

वन निगम के अनुसार चितपूर्णी के जंगलों में पिछले 10 वर्ष में 30 हजार से ज्यादा पेड़ कम हो चुके हैं। इनमें प्रमुख रूप से चीड़ के पेड़ शामिल हैं। हालांकि वन विभाग के पास वन्य प्राणियों की संख्या का कोई रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि यह तय है कि वन्य प्राणियों में भी पिछले एक दशक में कमी आई है।

----------- क्षेत्र के जंगलों को आग से बचाने के लिए जनता को जागरूक किया जाता है। विभाग की तरफ से विभिन्न गांवों में जागरूकता शिविरों का भी आयोजन किया जाता है। शिकारियों और वन माफिया पर भी नजर रखी जाती है। वन संपदा खुले खजाने की तरह होती है। इसकी सुरक्षा हर कोई करे तो वन संपदा के साथ वन्य प्राणियों की भी रक्षा की जा सकती है।

गिरधारी लाल, रेंज अधिकारी, वन विभाग

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