पौंग झील से रोजगार सृजन के अवसर
कैप्टन संजय पराशर ने कहा कि जसवां-परागपुर क्षेत्र के साथ सटी पौंग झील से रोजगार सृजन के अवसर हैं।
संवाद सहयोगी, चिंतपूर्णी : कैप्टन संजय पराशर ने कहा कि जसवां-परागपुर क्षेत्र के साथ सटी पौंग झील पर्यटन की अपार संभावनाएं समेटे हुए है। अगर इसका पर्यटन की दृष्टि से विकास किया जाए तो न सिर्फ बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन के नए अवसर पैदा होंगे बल्कि यह क्षेत्र साहसिक गतिविधियों के शौकीन पर्यटकों के लिए शानदार गंतव्य साबित होगा। इस दिशा में वह व्यक्तिगत तौर पर भी दिलचस्पी ले रहे हैं और स्थानीय मछुआरों की जीवनशैली में सुधार के लिए भी प्रयास करेंगे।
संजय ने कहा कि हिमाचल में पर्यटन ही आय का प्रमुख स्रोत है। प्रदेश में हर दिन हजारों की संख्या में यात्री अन्य राज्यों से धार्मिक स्थलों की यात्रा करते हैं या फिर प्रमुख पर्यटन स्थलों तक ही सीमित रह जाते हैं। जसवां-परागपुर के कालेश्वर महादेव से लेकर डाडासीबा व घमरूर में पौंग झील की सुंदरता इस क्षेत्र के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसके बावजूद जो झील को लेकर पर्यटन के लिहाज से प्रचार व प्रसार होना चाहिए था, वो नहीं हो पाया है। यही कारण है कि पर्यटक भी प्रमुख सड़क मार्गो से ही यात्रा करके लौट जाते हैं। इस क्षेत्र में साहसिक खेलों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
पराशर ने कहा कि उन्होंने भी 20 वर्ष से ज्यादा का समय पानी यानी समुद्र में ही बिताया है। उनके पास कई देशों में पानी में इस तरह की गतिविधियों का अनुभव है। आस्ट्रेलिया या अन्य यूरोपीय देशों की तर्ज पर इस झील में क्रूज चल सकते हैं जिसमें बैठकर पर्यटक लंच या डिनर कर सकें। इसके अलावा वाटर स्पोर्ट्स का दायरा अंतरराष्ट्रीय स्तर तक बढ़ाया जा सकता है। इसलिए उनका विजन है कि इस झील को पर्यटन की दृष्टि से जोड़ा जाए तो रोजगार के नए साधन पाकर स्थानीय निवासियों का जीवन स्तर भी बेहतर होगा। पौंग झील में कई विदेशी परिदे हजारों किलोमीटर का सफर तय करके पहुंचते हैं और सर्दियों का मौसम यहीं बिताते हैं। दिलचस्प है कि वार हैडडगीज नामक पक्षी साइबेरिया से पौंग झील तक पहुंचने के लिए लंबा सफर तय करता है। प्रकृति प्रेमी पर्यटकों को इस विषय में जिज्ञासा होती है लेकिन जब तक पर्यटक यहां पहुंचेंगे ही नहीं, तब तक स्थानीय निवासियों की आमदनी भी कैसे बढ़ सकती है।
पौंग झील के पर्यटन को धार्मिक पर्यटन के साथ भी जोड़ा जा सकता है। कालेश्वर महादेव, मुचकुंद महादेव का ऐतहासिक मंदिर और डाडासीबा का प्रसिद्ध राधा-कृष्ण मंदिर भी हैं। साथ में हेरीटेज विलेज परागपुर का भी पर्यटक दीदार कर पाएंगे। जसवां-परागपुर के अंदरूनी इलाकों में भी पर्यटन को लेकर काफी कुछ जानने व देखने को है। इस मामले में दृढ़ इच्छाशक्ति व सही योजना से काम करने की आवश्यकता है। वह इस क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाओं को लेकर प्रारूप तैयार कर रहे हैं और उसी रोडमैप के हिसाब से कार्य किया जाएगा। पराशर ने कहा कि वह मछुआरों की समस्याओं से भी भली-भांति परिचित हैं और उनसे जल्द मुलाकात करेंगे।