न्यूनतम लागत व जहरमुक्त खेती की ओर जा रहे लोग

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत जिला सोलन में किसाना रुचि लेकर इसे अपना रहे हैं। कई किसान इससे समृद्ध बन चुके हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 10 Oct 2021 07:09 PM (IST) Updated:Sun, 10 Oct 2021 07:09 PM (IST)
न्यूनतम लागत व जहरमुक्त खेती की ओर जा रहे लोग
न्यूनतम लागत व जहरमुक्त खेती की ओर जा रहे लोग

मनमोहन वशिष्ठ, सोलन

हिमाचल प्रदेश सरकार की प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत प्राकृतिक खेती में जिला के किसानों का रुझान इस बात का संदेश है कि अब वह न्यूनतम लागत, अधिक उपज व जहरमुक्त खेती की ओर जाना चाहते हैं। कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आतमा) सोलन की ओर से प्राकृतिक खेती करने वालों को हर तरह की वित्तीय सहायता व हर तरह की जानकारी दी जा रही है। मौजूद समय में प्राकृतिक खेती के साथ हजारों लोग जुड़ चुके हैं और हजारों ही प्रशिक्षण ले रहे हैं। आतमा के अंतर्गत प्राकृतिक खेती करने के लिए क्या सब्सिडी व वित्तीय सहायता किसानों को दी जा रही है और क्या योजनाएं हैं इस पर जिला परियोजना उपनिदेशक आतमा सोलन डा. धर्मपाल गौतम से दैनिक जागरण ने बातचीत की। -सोलन जिला में कितने किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं?

जिला में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना जनवरी 2018 में शुरू हुई। अब तक इसमें 8095 लोगों को जोड़ा जा चुका है। जिला में 775 हेक्टेयर भूमि में प्राकृतिक खेती हो रही है। विभाग की ओर से अभी तक 10,344 लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। लोग इसे अपना कर कम लागत में अच्छी खेती कर रहे हैं। -जिला की कितनी पंचायतों में प्राकृतिक खेती हो रही है?

जिला की सभी 240 ग्राम पंचायतों में प्राकृतिक खेती हो रही है। किसानों को प्राकृतिक खेती में पेश आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए जिला के सभी पांचों ब्लाक में एक-एक बीटीएम व दो दो एटीएम प्रति ब्लाक फील्ड में कार्यरत हैं। वहीं, किसानों को जानकारी देने के लिए तीन पंचायतों पर एक प्रशिक्षित किसान भी रखा हुआ है। 240 पंचायतों में 80 प्रशिक्षित किसान हैं और उन्हें जानकारी देने की एवज में हर माह चार हजार मानदेय भी दिया जा रहा है। -किसानों को देसी गाय की खरीद पर कितनी आर्थिक सहायता मिल रही?

क्योंकि प्राकृतिक खेती में गाय के गोबर व गौमूत्र ही जरूरी है, इसलिए वो जो प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, उनके लिए देसी गाय की खरीद पर 50 फीसद सब्सिडी दी जा रही है। 50 हजार तक की कीमत तक देसी गाय की खरीद पर 25 हजार विभाग देता है। वहीं यदि गाय मंडी से खरीद कर लाई गई है तो मंडी फीस के तौर पर दो हजार रुपये व गाड़ी के किराये के लिए पांच हजार रुपये भी दिए जाते हैं। अब तक जिला में 88 गाय की खरीदी जा चुकी हैं। वहीं गौशाला का फर्श पक्का करने के लिए भी विभाग की ओर से 8000 रुपये दिए जाते हैं। जिला में अभी तक 251 लोगों ने फर्श पक्के करवाए हैं। -संसाधन भंडार खोलने के लिए क्या मिलती सुविधा मिलती है?

प्राकृतिक खेती में इस्तेमाल किए जाने प्राकृतिक कीटनाशक बनाने वाले या अधिक स्तर पर बनाकर जो बेचना चाहते हैं, उन्हें संसाधन भंडार खोलने के लिए 10 हजार रुपये की सहायता दी जाती है। अब तक जिला में 113 संसाधन भंडार खोले जा चुके हैं। इसके अलावा प्राकृति कीटनाशक जैसे जीवामृत, बीजामृत आदि के निर्माण के लिए इस्तेमाल होने वाले ड्रमों की खरीद के लिए भी 75 प्रतिशत सब्सिडी के साथ 2250 रूपये दिए जा रहे हैं। -सफल किसान कितने हो चुके हैं?

जिला में कई किसान प्राकृतिक खेती को अपना कर खुशहाल बन चुके हैं। कई युवा नामी कंपनियों से नौकरी छोड़ तो कोई फिल्म मेकिंग का काम छोड़कर प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर हो चुके हैं। सफल किसानों को इसके लिए सम्मानित किया जा चुका है। यदि कोई किसान जहरमुक्त खेती छोड़कर प्राकृतिक खेती की ओर आना चाहते हैं, तो उसके लिए पहले दो दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है और फिर उसको प्राकृतिक खेती के साथ जोड़ा जाता है।

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