Pulwama News: पुलवामा हमले का सेना देगी करारा जवाब
देश के दुश्मनों से निपटने के लिए हमारी सेनाएं पूरी तरह सक्षम है।
सोलन, मनमोहन वशिष्ठ। Pulwama News देश के दुश्मनों से निपटने के लिए हमारी सेनाएं पूरी तरह सक्षम हैं। इतिहास गवाह है कि जब भी दुश्मनों ने देश की ओर देखा है तो सेना ने उसका मुंहतोड़ जवाब दिया है। आतंकवादी आमने-सामने की लड़ाई जीत नहीं सकते और उड़ी, पठानकोट व पुलवामा जैसे कायराना हमले ही कर सकते हैं। देश के जवानों की शहादत पर आज पूरा देश भाव विभोर है, क्योंकि देश की रक्षा करते हुए वे शहीद हुए हैं, लेकिन जो भी इस तरह के हमले कर रहे हैं उन्हें सेना समय पर करारा जबाव जरूर देगी। दुश्मन देश के साथ कई प्रधानमंत्रियों ने शांति वार्ता के लिए कोशिश करके देख ली है। अब वार्ता नहीं जवाब देने की जरूरत है। यह कहना है डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के पहले चीफ एवं रक्षा विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) कमल डावर का। पेश है उनसे की बातचीत के मुख्य अंश।
पुलवामा आतंकी हमले के बाद क्या रुख होना चाहिए?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुश्मन देश को कड़ा संदेश दिया है। कहा है कि दुश्मन ने बहुत बड़ी गलती कर दी, जिसकी सजा उसे जरूर मिलेगी। पीएम ने सेना को भी साफ निर्देश दिए हैं कि इसका बदला लेने का समय व स्थान वह स्वयं निश्चित करे। देश की सेना इसका जवाब देने में सक्षम है और समय आने पर वह इसका पूरा बदला लेगी। देश के कई प्रधानमंत्रियों ने पड़ोसी देश के साथ शांति वार्ता करने की पहल की है, लेकिन दुश्मन देश ने पीठ में छुरा ही घोंपा है। अब सख्त से सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।
जवानों के काफिले के समय क्या सिविल वाहन चलने चाहिए?
सुरक्षा के हिसाब से जिस समय सैन्य काफिले चलते हैं उस दौरान सिविल लोगों के वाहन नहीं चलने चाहिए। लोगों को समझना चाहिए कि यदि सेना के काफिला चल रहा है तो वह उनकी सुरक्षा के लिए ही होता है, इसलिए लोगों को यदि काफिले के दौरान रोका जाए तो उन्हे परेशान नहीं होना चाहिए।
क्या सुरक्षा एजेंसियों को ऐसे हमलों की जानकारी नहीं होती?
जब ऐसे हमले होते हैं तो सुरक्षा चूक तो होती ही है। इंटेलिजेंस को तेज करने की जरूरत है। पुलवामा में कई दिन से बर्फ पड़ने के कारण वहां वाहन जमा थे। आतंकवादियों को काफिला निकलने की सूचना थी और उन्होंने हमला कर दिया। इंटेलिजेंस को तेज व ग्रास रूट पर कार्य करने की जरूरत है, ताकि ऐसे हमले को रोका जा सके। इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक एक बार में तो आया नहीं, कई दिनों में एकत्रित किया होगा।
क्या पहले भी विस्फोटक हमला किया है?
सेना व सुरक्षाबलों पर कई बार हमले दुश्मनों द्वारा किए जाते रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है जब इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक लेकर सेना के काफिले में वाहन घुसा हो। यह तकनीक आतंकवादियों ने पहली बार इस्तेमाल की है।
जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर के खिलाफ क्या रुख होना चाहिए?
भारत में हमले करने में जैश-ए-मोहम्मद का बहुत बड़ा हाथ रहता है। इसका चीफ मसूद अजहर ही 2001 में संसद अटैक, पठानकोट अटैक व उड़ी अटैक का मास्टर माइंड रहा है। देश जब पुलवामा अटैक में शहीद हुए वीर जवानों की शहादत पर गमगीन था। चीन ने यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में मसूद अजहर को ग्लोबल टेरोरिस्ट घोषित करने से मना कर दिया। हमें अपने सैनिकों के सम्मान में चीन का बना कोई भी सामान नहीं लेना चाहिए जब तक चीन भारत के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़ने को तैयार न हो जाए।