तेला कीट व पीला रतुआ की चपेट में गेहूं

संतोष कुमार नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन के किसान गेहूं में तेला कीट व पीला रतुआ रोग से

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 06:45 PM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 06:45 PM (IST)
तेला कीट व पीला रतुआ की चपेट में गेहूं
तेला कीट व पीला रतुआ की चपेट में गेहूं

संतोष कुमार, नालागढ़

औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन के किसान गेहूं में तेला कीट व पीला रतुआ रोग से परेशान हो गए हैं। क्षेत्र के किसानों की फसलों को पहले तेला कीट ने नुकसान पहुंचाया है और अब पीला रतुआ सताने लगा है। कई दिन से क्षेत्र में बारिश नहीं हो रही है।

नालागढ़ उपमंडल की 77 पंचायतों के तहत 19 हजार हेक्टेयर भूमि में से 11 हजार हेक्टेयर भूमि पर खेती होती है और क्षेत्र के लोगों की मुख्य पैदावार गेहू व मक्की होती है। आजकल किसानों ने गेहूं, चने व सरसों की खेती की हुई है, लेकिन तेला कीट व अब पीला रतुआ रोग किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। नालागढ़ उपमंडल के निचले मैदानी क्षेत्रों की फसलों पर तेला कीट लगने के बाद अब पीला रतुआ रोग लगा है।

क्षेत्र के प्रगतिशील किसान प्रेम चौधरी, रविद्र ठाकुर, योगेश शर्मा, अवतार सिंह ने बताया कि पहले तेला कीट और अब फसल को पीला रतुआ रोग लग गया है, जिससे किसान चितित हैं।

कृषि विषयवाद विशेषज्ञ डा. प्रेम ठाकुर ने कहा कि पीला रतुआ रोग से बचाव के लिए प्रोपीकोनाजोल एक मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें और तेला कीट के निदान के लिए इमिडाक्लोप्रिड एक मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। प्राकृतिक खेती कर रहे किसान पीला रतुआ के लिए एक लीटर खट्टी लस्सी 40 लीटर पानी में मिलाकर प्रति बीघा छिड़काव करें।

chat bot
आपका साथी