अर्की का रण- न परिवारवाद न बना किसी का गढ़

अर्की विधानसभा क्षेत्र में जनता ने कभी वंशवाद की राजनीति को नहीं पनपने नहीं दिया। यह क्षेत्र किसी पार्टी का गढ़ नहीं रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 12:00 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 12:00 AM (IST)
अर्की का रण- न परिवारवाद न बना किसी का गढ़
अर्की का रण- न परिवारवाद न बना किसी का गढ़

जागरण संवाददाता, सोलन : अर्की विधानसभा क्षेत्र में जनता ने कभी वंशवाद की राजनीति को नहीं पनपने दिया। जिन पूर्व विधायकों के बेटों व बेटियों ने चुनाव लड़ा वे हार गए। यही वजह है कि किसी भी नेता के वंशज राजनीति में स्थापित नहीं हो पाए। इसके अलावा अर्की किसी भी राजनीतिक दल का गढ़ नहीं बन पाया।

परिवारवाद की राजनीति आगे न बढ़ने की वजह से अर्की में हमेशा नेतृत्व भी बदलता रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर पूर्व मंत्री यहां से चुनाव लड़ चुके हैं। वर्ष 1967 में अर्की विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया। यहां से पहले विधायक कांग्रेस के हीरा सिंह पाल चुने गए। दो बार अर्की से विधायक बनने के बावजूद वर्ष 1990 में उनका बेटा अमरचंद पाल कांग्रेस की टिकट पर चुनाव हार गया। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2012 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और दूसरी बार भी हार गए। इसके बाद इनका राजनीतिक सफर भी यहीं रुक गया। अर्की से तीन बार विधायक रहे नगीन चंद पाल की बेटी आशा परिहार ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में वर्ष 2012 में चुनाव लड़ा, लेकिन वह भी हार गई। हालांकि इसके बाद उन्होंने जिला परिषद का चुनाव लड़ा और जीतने में कामयाब भी रहीं। इनका भी अर्की से विधायक बनने का सपना पूरा नहीं हो पाया। पूर्व मंत्री व अर्की से विधायक रहे ठाकुर हरिदास के सबसे बड़े पुत्र इंद्र सिंह ठाकुर भी यहां से चुनावी मैदान में उतर चुके हैं, लेकिन वह भी जीत नहीं पाए। इनका राजनीतिक सफर भी विधायक की कुर्सी तक नहीं पहुंचा।

इनके अलावा यहां से तीन बार विधायक रहे धर्मपाल व दो बार विधायक रहे गोविंद राम शर्मा के बच्चों ने कभी राजनीति में भाग्य नहीं आजमाया। इस सबकी वजह से अर्की में राजनीतिक समीकरण हमेशा काफी तेजी से बदले हैं। यह भी नहीं कहा जा सकता है कि अर्की भाजपा या कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहां के लोगों ने दोनों ही दलों को मौका दिया है। गोविंद राम शर्मा ने यहां पर भाजपा को स्थापित किया था और लगातार दो बार विधायक रहे, जबकि इनसे पहले कांग्रेस से धर्मपाल ठाकुर लगातार तीन बार विधायक रहे।

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