छावनी अधिकृत 58 दुकानों की नीलामी के लिए नोटिस जारी

पर्यटन नगरी कसौली में छावनी अधिकृत दुकानदारों पर पांच साल बाद फिर नीलामी की तलवार लटक गई है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 08:59 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 08:59 PM (IST)
छावनी अधिकृत 58 दुकानों की
नीलामी के लिए नोटिस जारी
छावनी अधिकृत 58 दुकानों की नीलामी के लिए नोटिस जारी

मनमोहन वशिष्ठ, सोलन

पर्यटन नगरी कसौली में छावनी अधिकृत दुकानदारों पर पांच साल बाद फिर नीलामी की तलवार लटक गई है। छावनी प्रशासन ने इस संबंध में सभी 58 दुकानदारों को नोटिस जारी कर दिए हैं। नोटिस मिलने के बाद से इन 58 दुकानों को चलाने वालों में रोजगार छिनने की आशंका को लेकर हड़कंप मच गया है।

दुकानों की खुली बोली में कोई भी बोलीदाता अधिक बोली देकर दुकान पांच साल के लिए अपने नाम कर सकता है। ऐसे में पहले से स्थापित दुकानदारों को अपने व्यवसाय के लिए मारे मारे फिरना पड़ सकता है। दुकानों की नीलामी 23 मार्च को कलेर ऑडिटोरियम में होगी। वर्ष 1983 के बाद वर्ष 2014 में पांच साल के लिए दुकानों की नीलामी हुई थी। दुकानों की नीलामी पिछले वर्ष होनी निश्चित थी। कोरोना वायरस के कारण नीलामी को इस वर्ष के लिए स्थगित कर दिया गया था। छावनी अधिकृत इन 58 दुकानों, खोखों व गोदामों की नीलामी एक मई 2021 से 30 अप्रैल 2026 तक पांच साल के लिए होगी। दुकानों की बोली में दो दुकानें एक्स सर्विसमैन व एक दुकान वीर नारी के लिए आरक्षित है। एक व्यक्ति अपने नाम से केवल दो ही दुकानों पर बोली बोल सकता है और वो भी एक साथ जुड़ी होनी चाहिए। सबसे अधिक दुकानों की बोली बोलने वालों को उसी समय बोली की पूरी रकम और एक साल की सिक्योरिटी फंड जमा करवाना होगा। दुकानदारों को बोली लगाने से पहले 20 मार्च तक छावनी कार्यालय में 20 हजार रूपए सिक्योरिटी के रूप में जमा करवाने जरूर होंगे। सबसे ज्यादा छह लाख सालाना हुई थी दुकान की बोली

कसौली छावनी में 21 साल बाद वर्ष 2014 में दुकानों की नीलामी प्रक्रिया हुई थी। इस बीच हर वर्ष कुछ प्रतिशत किराया बढ़ा दिया जाता था। वर्षों से दुकानों से अपना परिवार पाल रहे लोगों को डर रहता था कि नीलामी में उनका रोजगार छिन न जाए। वर्ष 2014 में जब दुकानों की नीलामी हुई तो कई लोगों ने दुकानों में बोली दी। आपसी प्रतिस्पर्धा व रोजगार को बचाने के लिए लोगों ने चार लाख से छह लाख सलाना किराये पर बोली देकर दुकानें ली थीं। दो चरणों में हुई नीलामी प्रक्रिया में दूसरे दौर में पहले चरण की अपेक्षा काफी कम बोली रही। कई दुकानदार बोली न दे पाने के कारण वर्षों से चलते आ रहे अपने रोजगार को नही बचा पाए। कसौली का बाजार केवल पर्यटकों पर ही निर्भर है। लॉकडाउन के दौरान यहां के दुकानदारों को अपने परिवार को पालने में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।

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