बिना रिप्लेसमेंट के थैलेसीमिया रोगियों के लिए खून

जागरण संवाददाता शिमला प्रदेश के बड़े स्वास्थ्य संस्थान इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 05:56 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 05:56 PM (IST)
बिना रिप्लेसमेंट के थैलेसीमिया रोगियों के लिए खून
बिना रिप्लेसमेंट के थैलेसीमिया रोगियों के लिए खून

जागरण संवाददाता, शिमला : प्रदेश के बड़े स्वास्थ्य संस्थान इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला में थैलेसीमिया (रक्त रोग) के मरीजों को बिना रिप्लेसमेंट के खून उपलब्ध करवाया जा रहा है। प्रदेशभर से विभिन्न बीमारियों के चलते आइजीएमसी में उपचाराधीन मरीजों को खून उपलब्ध करवाने के लिए तीमारदारों से रिप्लेसमेंट ली जाती है वहीं थैलेसीमिया के मरीजों को बिना किसी परेशानी के खून मिल जाता है।

डाक्टरों का कहना है कि थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों को जीवित रहने के लिए हर माह खून की जरूरत होती है। ऐसे में अस्पताल के ब्लड बैंक में रखा गया खून उनके लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। प्रदेशभर में थैलेसीमिया से सैकड़ों मरीज पीड़ित हैं जिन्हें जरूरत के हिसाब से खून चढ़ाया जाता है।

आइजीएमसी में इन मरीजों को रक्त चढ़ाने के लिए अलग व्यवस्था की गई है ताकि कोरोना काल में इनको संक्रमण से बचाया जा सके। मरीज अस्पताल आने से कुछ दिन पहले ब्लड बैंक में संपर्क कर अपने आने की तिथि बताकर रक्त की जरूरत के बारे में डाक्टरों को अवगत करवाते हैं। साथ ही मांग के हिसाब से थैलेसीमिया के मरीजों के लिए रक्त की व्यवस्था की जाती है ताकि मरीज को रक्त का आवश्यक कांपोनेंट दिया जा सके। अधिकतर मरीज रविवार के दिन रक्त चढ़ाने पहुंचते हैं क्योंकि छुट्टी का दिन होने की वजह से तीमारदार साथ आते हैं।

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अनुवांशिक बीमारी है थैलेसीमिया

आइजीएमसी ब्लड बैंक की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. शिवानी सूद का कहना है कि थैलेसीमिया माता-पिता से बच्चों में आने वाली आनुवांशिक बीमारी है जोकि एक पैदायशी रक्त विकार है। थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला रक्त रोग है। इस रोग के होने पर शरीर की खून निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है। इसके लक्षण आने पर अस्पताल में जांच करवानी चाहिए। थैलेसीमिया की बीमारी जब गंभीर स्टेज में पहुंचती है तो मरीज को हृदयरोग, गुर्दारोग संबंधी बीमारी होने की आशंका रहती है। अस्पताल में रोजाना दो या तीन थैलेसीमिया के मरीजों को खून चढ़ाया जाता है।

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थैलेसीमिया के लक्षण व उपचार

शरीर में बिना कारण के थकावट होना, चेहरे की शेप में बदलाव आना और खून की कमी थैलेसीमिया के मुख्य लक्षण हैं। नजदीकी सरकारी और निजी लैब में इस की जांच करवाई जा सकती है। जांच के बाद डाक्टर मरीज को हर महीने खून चढ़ाने की सलाह देते हैं।

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