सेहत के लिए साइकिलिंग को बनाया शौक

प्रकाश भारद्वाज शिमला कोरोना संकट ने युवाओं को सेहतमंद रहने के लिए साइकिलिंग का शौक

By JagranEdited By: Publish:Wed, 02 Jun 2021 05:32 PM (IST) Updated:Wed, 02 Jun 2021 05:32 PM (IST)
सेहत के लिए साइकिलिंग को बनाया शौक
सेहत के लिए साइकिलिंग को बनाया शौक

प्रकाश भारद्वाज, शिमला

कोरोना संकट ने युवाओं को सेहतमंद रहने के लिए साइकिलिंग का शौकीन बना दिया है। शारीरिक व मानसिक तौर पर तरोताजा रहने के लिए पहाड़ों के युवाओं का साइकलिग करने का शौक जीवन का हिस्सा बन गया है। पहाड़ों के सर्पीले कच्ची व पक्की सड़कों पर प्रतिदिन सैकड़ों लोग साइकिलिग करने निकलते हैं। ताकि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत किया जा सके। 2020 में कोरोना महामारी से पहले शिमला शहर में 500 लोगों के पास ही साइकिल थीं अब करीब 1000 लोगों के पास साइकिल है।

एक समय तक साइकिल परिवहन साधन के तौर पर इस्तेमाल होती थी और आज भी हिमाचल के निचले क्षेत्रों में लोग साइकिल की सवारी करते हैं, लेकिन समय बदलने के साथ साइकिलिग स्पो‌र्ट्स यानी बड़ा खेल बन गया है।

1950 में शिमला के संजौली से लक्कड़ बाजार के बीच आने-जाने के लिए किराये पर साइकिल इस्तेमाल होती थी। उस दौर में साइकिल चलाने के लिए एक आना किराया लिया जाता था और 1995 तक एक घंटे के लिए साइकिल का किराया पांच रुपये हो गया था। उसके बाद साइकिल का चलन खत्म हो गया। लेकिन 2004 में हिमालयन एडवेंचर स्पो‌र्ट्स एंड टूरिज्म प्रमोशन एसोसिएशन ने साइकिलिग कार्यक्रम की शुरुआत की। जो आगे चलकर अंतरराष्ट्रीय दर्जे पर स्थापित हो गई और कोरोनाकाल के दो वर्षों को छोड़ दें तो हर साल साइकिलिग इवेंट होता है।

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युवाओं का शौक गियर साइकिल

हिमाचल में लोगों के पास पांच हजार गियर साइकिल हैं। सामान्य तौर पर 80 फीसद साइकिलें 10 हजार से 30 हजार रुपये तक की हैं। कुछेक लोगों के पास पांच से सात लाख रुपये की साइकिलें भी हैं।

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पहले लोग व्यायाम को अधिक महत्व नहीं देते थे। लेकिन कोरोना ने जीवन को एक नई दिशा में ढाल दिया है। यदि कोई व्यक्ति रोजाना पांच किलोमीटर साइकिल चलाता है तो शरीर से अतिरिक्त मोटापा खत्म होगा, मांसपेशियां मजबूत होंगी, श्वास क्रिया और दौड़ की जरूरत को पूरा करता है। ऐसे में कभी भी स्वास्थ्य संबंधी कोई विकार नहीं आएगा।

-डा. राकेश शांडिल, सहायक प्रोफेसर मेडिशियन विभाग आइजीएमसी, शिमला

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2004 में लोगों को स्वस्थ रखने के लिए शिमला में स्थानीय स्तर पर साइकलिग स्पर्धा करवाई थी। उसके बाद 2018 में 105 साइकिलिस्ट देश-विदेश से भाग लेने आए। आधुनिक जीवन में हर व्यक्ति कई तरह के दबाव से गुजरता है और साइकिलिग तरोताजा होने का सबसे बड़ा साधन है।

-मोहित सूद, अध्यक्ष, हिमालयन एडवेंचर स्पो‌र्ट्स एवं टूरिज्म प्रमोशन एसोसिएशन।

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