दिमाग का करेंगे इस्तेमाल तो नहीं भूलेंगे आप

दिमाग का कम इस्तेमाल करने वालों को को अल्जाइमर यानि डीमेंसिया रोग

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 07:42 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 07:42 PM (IST)
दिमाग का करेंगे इस्तेमाल तो नहीं भूलेंगे आप
दिमाग का करेंगे इस्तेमाल तो नहीं भूलेंगे आप

यादवेन्द्र शर्मा, शिमला

दिमाग का कम इस्तेमाल करने वालों को को अल्जाइमर यानि डीमेंसिया रोग होता है। हालांकि यह वंशानुगत रोग भी है। सेवानिवृत्ति के बाद अपनी दिनचर्या को बदलने और मानसिक कार्य कम करने वाले इसका ज्यादा शिकार हो रहे हैं। अनुवांशिक तौर पर याददाश्त कमजोर होने की यह बीमारी आयु के पड़ाव से 20 वर्ष से पूर्व आ जाती है।

प्रदेश में 60 वर्ष से अधिक आयु के 65 फीसद लोगों में अल्जाइमर रोग देखने को मिल रहा है। इसे रोग के मामले में विश्व में चीन पहले और भारत दूसरे नंबर पर है। अल्जाइमर भूलने का रोग है। इसका नाम अलोइस अल्जाइमर के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने सबसे पहले इसकी जानकारी दी। बीमारी के शुरुआती दौर में नियमित जांच और इलाज से इसेबढ़ने से रोका जा सकता है। अब तक इसका कोई स्थायी उपचार नहीं है।

विशेषज्ञों की माने तो जो कम-पढ़े लिखे हैं या उम्र बढ़ने के साथ दिमागी कसरत कम करते हैं, उन्हें इसका ज्यादा खतरा रहता है। प्रदेश के अस्पतालों में आने वालों में 30 वर्ष की आयु वर्ग को भी इस रोग की चपेट में आते देखा जा रहा है। यह इस बात का संकेत है कि दिमाग की कोशिकाएं मर रही हैं। दिमाग में एक सौ अरब कोशिकाएं होती हैं। हर कोशिका बहुत सारी अन्य कोशिकाओं से संवाद कर एक नेटवर्क बनाती हैं और इस नेटवर्क का काम विशेष होता है। कुछ सोचती हैं, सीखती हैं और याद रखती हैं। अन्य कोशिकाएं हमें देखने, सुनने, सूंघने आदि में मदद करती हैं। इसके अलावा अन्य कोशिकाएं हमारी मांसपेशियों को चलने का निर्देश देती हैं। शरीर को चलते रहने के लिए समन्वय के साथ बड़ी मात्रा में आक्सीजन और ऊर्जा की जरूरत होती है। भूलने की बीमारी में कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं। अल्जाइमर के लक्षण

-याददाश्त कम होना, छोटी-छोटी बातें भी याद न रहना।

-बोलने में दिक्कत आना

-रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली भी इसका कारण है।

-सामान्य कामकाज करने में कठिनाई

-भाषा के साथ समस्या जैसे साधारण शब्द या असामान्य समानार्थक शब्द भूलना।

-समय और स्थान में असमन्वय कि वह कहां है, कैसे आया।

-निर्णय लेने में कठिनाई या गलत निर्णय।

-चीजों को गलत स्थान पर रखना

-स्वभाव में बदलाव, अकारण ही रोने या गुस्सा करना।

-व्यक्तित्व में बदलाव, संदेह करने वाला, भयभीत या किसी पर अत्यधिक निर्भर। जो लोग दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं उन्हें भूलने का रोग नहीं होता है। बुजुर्गो की उपेक्षा, तनाव, विटामिन बी की कमी, अनुवांशिकता आदि इसके प्रमुख कारण हैं। दिमाग जब सिकुड़ जाता है तो यह स्थिति पैदा होती है। बेहतर खान-पान और व्यायाम सहित दिमाग के ज्यादा इस्तेमाल से इस रोग से बचा जा सकता है। इसका समय पर उपचार करने से बढ़ने से रोका जा सकता है इसका कोई स्थायी उपचार नहीं है। हर ओपीडी में एक से दो मरीज ऐसे आ रहे हैं।

-डा. सुधीर शर्मा, विभागाध्यक्ष न्यूरोलजी, आइजीएमसी शिमला।

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