आइजीएमसी में ठिठुर रहे तीमारदार, बरामदे में सोना मजबूरी
राजधानी शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज (आइजीएमसी) में मरीजों के साथ आए तीमारदार ठंड में ठिठुरने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज (आइजीएमसी) में मरीजों के साथ आए तीमारदार सर्द रातों में ठिठुरने के लिए मजबूर हैं। यहां पर सुबह-शाम कड़ाके की ठंड पड़ रही है। आइजीएमसी अस्पताल में प्रदेशभर से लोग इलाज करवाने के लिए आते हैं। गंभीर रूप से बीमार मरीज को अस्पताल में दाखिला मिलने पर उसके साथ आए तीमारदार को दिन-रात अपने मरीज के साथ रहना पड़ता है। लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से तीमारदारों के लिए सराय की कोई सुविधा न मुहैया करवाने से उन्हें ठंड सहने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
आइजीएमसी अस्पताल शिमला के सबसे ठंडे क्षेत्र में स्थित है। रात को मरीज के साथ रहने की अस्पताल प्रशासन की ओर से अनुमति नहीं होती है, इसलिए तीमारदार को अस्पताल के बाहर बने बरामदे में रात गुजारनी पड़ती है। अब दिसंबर शुरू होने वाला है और तापमान लगातार गिर रहा है। प्रशासन की ओर से तीमारदारों की सुविधा के लिए सराय के नाम पर महज 15 से 20 कमरों का ही इंतजाम है, बाकी सभी रामभरोसे हैं। अस्पताल में किसी भी वार्ड में कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में तीमारदार ठंड में वार्ड में मरीज के बिस्तर के नीचे या बाहर बरामदे में रहते हैं।
आइजीएमसी अस्पताल के प्रिसिपल डा. सुरेंद्र सिंह ने कहा कि किसी को बाहर नहीं भेजा जाता है। पूरे अस्पताल में सेंट्रल हीटिग की सुविधा है। प्रदेश भर से लोग पहुंचते हैं इलाज करवाने
प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल होने के नाते यहां पर मरीजों की संख्या भी ज्यादा रहती है। इसलिए खाली बिस्तर होने की उम्मीद तो न के बराबर ही होती है। हालांकि दोपहर में तीमारदारों को धूप तापने को मिल जाती है, वह भी मौसम पर ही निर्भर करता है। ठंड में तीमारदारों की तबीयत खराब होने की आशंका
मरीजों के साथ आए तीमारदार को वार्ड के बाहर ही बिस्तर लगाकर सोना पड़ता है। इससे मरीज के साथ उनकी अपनी तबीयत खराब होने की भी आशंका बनी रहती है। प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।