शिमला के मंदिरों में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

अष्टमी के दिन राजधानी शिमला के मंदिरों में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। इस दौरान कोविड 19 नियमों का पालन करते हुए पूजा-अर्चना की गई।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 07:06 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 07:06 PM (IST)
शिमला के मंदिरों में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
शिमला के मंदिरों में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

जागरण संवाददाता, शिमला : अष्टमी के दिन राजधानी शिमला के मंदिरों में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। तारादेवी, कालीबाड़ी, कामनादेवी, ढिगू माता मंदिर में दिनभर श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए पहुंचे। कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने सख्ती बरतने के निर्देश दिए थे। इसे देखते हुए मंदिरों में भी सख्ती दिखी।

शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में सुबह से शाम तक दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंदिर में दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का नाम-पता रजिस्टर पर नोट किया जा रहा था। मंदिर में दर्शन के बाद ज्यादा देर तक खड़े होने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। मंदिर में ही कोविड वैक्सीनेशन

जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस बार विशेष तरह का प्रबंध किया गया था जिसके तहत मां के दर्शन के साथ कोरोना का टीका भी लगा सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने टीकाकरण के लिए व्यवस्था की थी। अष्टमी के दिन सुबह वैक्सीन लगाने के लिए लोग मंदिर पहुंचे। दोपहर एक बजे तक 35 लोगों ने कोरोना वैक्सीन लगवाई। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने जिला शिमला के सभी मंदिरों में टीकाकरण अभियान चलाया है। इसके तहत जाखू, कालीबाड़ी, तारादेवी, संकटमोचन समेत हाटकोटी, हाटु मंदिर में टीककरण अभियान चलाया गया। सभी मंदिरों में सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं, वे थर्मल स्कैनिग कर श्रद्धालु को दर्शन करने की अनुमति दे रहे हैं। महाष्टमी पर लोगों ने घरों में किया कन्या पूजन

वहीं कोविड-19 नियमों के तहत श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना की लेकिन कंजक पूजन नहीं किया गया। लोगों ने घरों में ही कन्याओं का पूजन कर सुख-समृद्धि की कामना की। नवरात्र पर व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने कन्या पूजन कर व्रत भी खोले। अष्टमी पर लोगों के घरों में मां गौरी की विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है। कन्या पूजन के साथ बालक की पूजा का विशेष महत्व

मान्यताओं के अनुसार कन्याओं को भोजन कराते समय साथ में एक बालक का भी होना अनिवार्य माना जाता है क्योंकि बालक को बटुक भैरव का प्रतीक मानते हैं। माना जाता है कि नवरात्र की पूजा तब तक सफल नहीं मानी जाती है, जब तक कन्याओं का पूजन नहीं होता है इसी वजह से कन्या पूजन नवरात्र का अभिन्न अंग है।

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