शहर में बदलेगा बीपीएल चयन का सिस्टम
शहर में बीपीएल परिवारों का सर्वेक्षण फिर से लटक गया है। पार्षदों का तर्क है कि उनके स्तर पर चयन से सवाल उठ सकते हैं।
जागरण संवाददाता, शिमला : शहर में बीपीएल परिवारों का सर्वेक्षण फिर से लटक गया है। पार्षदों ने इससे साफ इन्कार कर दिया है। अब महापौर सत्या कौंडल ने इस मसले पर नगर निगम के आयुक्त को कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। पार्षदों का कहना है कि व्यक्ति की आय का आकलन उनके स्तर पर नहीं हो सकता है, इसलिए कमेटी का गठन किया जाए।
राजधानी में 2007 के बाद बीपीएल परिवारों का सर्वेक्षण किया जाना है। आठ से दस महीने बाद भी इस सर्वेक्षण को करने के लिए जद्दोजहद की जा रही है। पहले पार्षदों ने सीधे तौर पर ही इसे करने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद प्रशासन ने इन्हें वार्ड सभा में फैसला लेने के लिए पत्र लिखा। इसमें कई पार्षदों ने वार्ड सभा में नाम फाइनल कर प्रशासन को भेजे। पार्षदों ने इस प्रक्रिया को अमल में लाया, लेकिन अब दिक्कतें फिर से आने के कारण दोबारा से अपने स्तर पर इनका चयन करने से इन्कार कर दिया है।
पार्षदों का तर्क है कि इस तरह से प्रमाणपत्र नहीं बनाए जाते हैं। शहर में बीपीएल की सूची तैयार करने के लिए संबंधित विभागों से सर्वे करवाना चाहिए या वार्ड सभा का आयोजन प्रशासन करवाए।
नगर निगम की महापौर सत्या कौंडल ने बताया कि शहर में बीपीएल का सर्वे करवाने के लिए निगम आयुक्त को कमेटी के गठन को कहा है। इसके बाद ही तय होगा कि कैसे बीपीएल का चयन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान सिस्टम में बीपीएल के चयन पर सवाल उठ सकते हैं। शहर में 2007 के बाद अपडेट नहीं हुई है सूची
शहर में इससे पहले 2007 में बीपीएल परिवारों की सूची तैयार की गई थी। उस समय इसकी संख्या करीब 3000 आंकी गई थी। इसके बाद हर बार किसी विवाद के चलते यह मामला अधर में रहा। इस बार इसे सिरे चढ़ाने के लिए निगम प्रशासन ने लंबी जद्दोजहद की है। पहले पार्षदों को पूरी तरह से खुला हाथ दे दिया था कि वे अपने स्तर पर किसे बाहर करना है, किसे शामिल करना है, ये फैसला लें। इस पर पार्षदों ने आपत्ति जाहिर की थी कि वे अपने स्तर पर ही सब कुछ करेंगे तो मामले को चुनौती दी जा सकती है। अब फिर से इस मामले में विवाद होता दिख रहा है।