तीन दिन राज परिवार में नहीं जला चूल्हा
पूर्व मु यमंत्री के निधन के बाद से राज परिवार में चूल्हा नहीं
संवाद सहयोगी, रामपुर बुशहर : पूर्व मुख्यमंत्री के निधन के बाद से राज परिवार में चूल्हा नहीं जला है और न ही परिवार के सदस्यों ने तीन दिन अन्न ग्रहण किया। विक्रमादित्य सिंह ने शनिवार को राजतिलक के बाद जूस पिया। तीन दिन तक राज परिवार के सदस्यों केवल फलों का ही सेवन किया।
हिंदू परंपरा के अनुसार जब तक घर से पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिए नहीं ले जाया जाता तब तक घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। ऐसे में राज परिवार के लोगों ने भी इस परंपरा का निर्वहन किया। हालांकि स्थानीय लोगों की ओर से दूरदराज से आने वाले लोगों के लिए खाने की व्यवस्था की गई थी।
वहीं, दूसरी ओर रक्तदान सेवा परिवार सोसायटी रामपुर ने मुख्य राजमार्ग पर बाहर से आने वाले सैकड़ों लोगों के लिए खाने की व्यवस्था कर रखी थी। सोसायटी ने सादा खाना लोगों को परोसा।
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चंदन, शूर और सामान्य लकड़ी से किया अंतिम संस्कार
-25 किलोग्राम घी और कई किलो मेवे का किया गया प्रयोग
-जोबनी बाग में अलग बनाया गया है राज परिवार के लिए मोक्षधाम
संवाद सहयोगी, रामपुर बुशहर : पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का अंतिम संस्कार जोबनी बाग रामपुर में किया गया। इसके लिए चंदन, शूर (स्थानीय चंदन) और सामान्य लकड़ी प्रयोग किया गया। वहीं, इस दौरान करीब 25 किलोग्राम घी और कई किलोग्राम मेवे का भी प्रयोग किया। जोबनी बाग में राज परिवार से किसी का निधन होने पर अंतिम संस्कार के लिए अलग स्थान निर्धारित किया गया है। हालांकि इसके साथ ही आम लोगों के अंतिम संस्कार के लिए भी स्थान बनाया गया है। अंतिम संस्कार को पूरे विधि विधान से राज परिवार से जुड़े स्थानीय पंडितों ने पूरा करवाया।
आज भी जोबनी बाग में राज परिवार के पूर्वजों के स्मारक देखे जा सकते हैं। राज परिवार के किसी सदस्य के अंतिम संस्कार के बाद यहां पर स्मारक या समाधि बनाने की भी परंपरा है। यहां पर राजा वीरभद्र सिंह के पिता राजा पदम देव सिंह सहित अन्य पूर्वजों के भी स्मारक हैं।