बोर्ड परीक्षाओं में अंकों के फार्मूले से शिक्षक खफा
जागरण संवाददाता शिमला प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के दसवीं के विद्यार्थियों को प्रमोट करने के
जागरण संवाददाता, शिमला : प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के दसवीं के विद्यार्थियों को प्रमोट करने के लिए तैयार फार्मूले से शिक्षक नाराज हैं। शिक्षकों का तर्क है कि वार्षिक परिणाम तैयार करने में प्री बोर्ड के अंकों को आधार बनाना गलत है।
शिक्षकों का कहना है कि साल भर आनलाइन कक्षाएं लगी थी। नियमित कक्षाओं के लिए स्कूल खुले ही थे कि विभाग ने प्री बोर्ड परीक्षा करवाने का ऐलान कर दिया। इसके लिए बच्चे तैयार ही नहीं थे। शिक्षकों ने जब प्री-बोर्ड का मूल्यांकन किया तो इसमें सख्ती की। इसके पीछे शिक्षकों की मंशा थी कि बच्चे वार्षिक परीक्षा के लिए तैयारी करेंगे। शिक्षक भी प्री बोर्ड का विरोध कर रहे थे। अब चूंकि परीक्षा रद हो गई है तो बोर्ड प्री बोर्ड को आधार बना रहा है।
दसवीं कक्षा का हिदी विषय का पेपर हो चुका है। यदि वार्षिक परीक्षा में उसके ज्यादा अंक आते हैं और प्री बोर्ड में कम अंक हैं तो बोर्ड के तय फार्मूले के अनुसार उसे नुकसान होगा, इसलिए बोर्ड को इस फार्मूले में संशोधन करना चाहिए। कई शिक्षक खुलकर विरोध कर रहे हैं, जबकि कुछ दबी जुबां में विरोध कर रहे हैं।
बोर्ड ने छात्रों को प्रमोट करने के लिए सात मापदंड तय किए हैं। इसमें प्री-बोर्ड परीक्षा के परिणाम का सबसे महत्वपूर्ण रोल रहेगा। प्री-बोर्ड के सबसे अधिक 20 अंक लगेंगे। इसके अलावा नौवीं कक्षा का परिणाम, दसवीं के फर्स्ट व सेकेंड टर्म और 13 अप्रैल को हुए हिदी विषय के पेपर के अलावा प्रेक्टिकल परीक्षा व इंटरनल असेस्मेंट के अंकों को भी आधार बनाया जाएगा।
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बोर्ड ने दसवीं का वार्षिक परीक्षा परिणाम तैयार करने में जल्दबाजी की है। राजकीय अध्यापक संघ प्रदेश का सबसे बड़ा शिक्षक संगठन है। इसके पदाधिकारियों से न चर्चा की गई न ही सुझाव लिए गए। संघ शुरू से ही प्री-बोर्ड परीक्षा करवाने का विरोध कर रहा था। बोर्ड बताए कि उसने किन शिक्षकों से सुझाव लिए हैं।
-वीरेंद्र चौहान, अध्यक्ष, राजकीय अध्यापक संघ।
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बोर्ड का फार्मूला बिल्कुल सही है। इसमें कोई खामी नहीं है। नौवीं कक्षा के अलावा फर्स्ट और सेकेंड टर्म को आधार बनाने से विद्यार्थियों को फायदा होगा।
-नरेश महाजन, अध्यक्ष, राजकीय अध्यापक संघ (समानांतर गुट)।