श्राद्ध आज से, सुबह 7:19 बजे शुरू हुई पूर्णिमा तिथि

श्राद्ध पर्व आज 24 सितंबर से शुरू हो गया। पूर्णिमा के दिन पहला श्राद्ध होगा व अमावस्या का श्राद्ध नौ अक्टूबर को होगा।

By Munish Kumar DixitEdited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 11:20 AM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 11:23 AM (IST)
श्राद्ध आज से, सुबह 7:19 बजे शुरू हुई पूर्णिमा तिथि
श्राद्ध आज से, सुबह 7:19 बजे शुरू हुई पूर्णिमा तिथि

जेएनएन, शिमला: श्राद्ध पर्व आज 24 सितंबर से शुरू हो गया। पूर्णिमा के दिन पहला श्राद्ध होगा व अमावस्या का श्राद्ध नौ अक्टूबर को होगा। पूर्णिमा तिथि 24 सितंबर को सुबह 7:19 बजे शुरू हो गई है और 25 सितंबर को सुबह आठ बजकर 22 मिनट तक रहेगी। श्राद्ध कर्म दोपहर बाद ही श्रेष्ठ माना गया है, इसलिए 24 सितंबर को ही पूर्णिमा का श्राद्ध होगा, जबकि प्रतिपदा का श्राद्ध 25 को होगा। पितृ की मृत्यु तिथि दो दिन में व्याप्त हो तो जिस दिन तिथि का काल अधिक होता है उसी दिन श्राद्ध किया जाता है। इस वर्ष सभी श्राद्ध क्रमवार होंगे।

पंचमी व षष्ठमी तिथि का श्राद्ध एक ही दिन होगा। षष्ठमी तिथि क्षय होने के कारण 30 सितंबर को ही इस तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। पितृ के लिए श्रद्धा से किए गए कर्म को श्राद्ध कहते हैं तथा तृप्त करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं। वेदों में श्राद्ध को पितृयज्ञ कहा गया है। यह श्राद्ध-तर्पण पूर्वजों के प्रति सम्मान का भाव है। श्राद्ध पक्ष में व्यसन और मांसाहार पूरी तरह वर्जित माना गया है। पूर्णतया पवित्र रहकर ही श्राद्ध किया जाता है। रात्रि में श्राद्ध नहीं किया जाता। श्राद्ध का समय दोपहर साढे़ बारह बजे से एक बजे के बीच उपयुक्त माना गया है।

क्या है महत्व

इस दौरान पूर्वजों को याद करके उन्हें श्रद्धानुसार अन्न-जल आदि अर्पित किया जाता है। बेटियों-बहनों को आमंत्रित करके उन्हें भोजन सहित दान देना पुण्य माना जाता है और लोगों को भोजन कराने से भी पितृशांति मिलती है। आचार्य प्रियव्रत शर्मा के अनुसार श्राद्ध कई प्रकार के होते हैं इनमें एकोदिष्ट श्राद्ध, अनावष्टक श्राद्ध व पार्वण श्राद्ध प्रमुख हैं। एकोदिष्ट श्राद्ध वर्ष में एक बार आने वाली कालतिथि को किया जाता है। इसके अलावा सौभाग्वती स्त्रियों का श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाता है व यह अनावष्टक श्राद्ध होता है। पूर्वजों के लिए पार्वण श्राद्ध किया जाता है। उनके अनुसार श्राद्ध के लिए सात चीजें पवित्र मानी गई हैं, इनमें गाय का दूध, शहद, सूत का धागा, दोहेत्र, श्राद्ध का काल, तिल व गंगाजल।

कौन सा श्राद्ध कब

पूर्णिमा,24 सितंबर प्रतिपदा,25 द्वितीया,26 तृतीया,27 चतुर्थी,28 पंचमी,30 षष्ठमी,30 सितंबर सप्तमी,एक अक्टूबर अष्टमी,दो नवमी,तीन दशमी,चार एकादशी,पांच द्वादशी,छह ˜योदशी,सात चतुर्दशी, आठ अमावस्या, नौ अक्टूबर

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