कोरोना के साथ बढ़ा स्क्रब टायफस का खतरा
प्रदेश भर में कोरोना के साथ स्क्रब टायफस ने पांव पसारने शुरू कर
जागरण संवाददाता, शिमला : प्रदेश भर में कोरोना के साथ स्क्रब टायफस ने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। राजधानी शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) में कुछ दिन में स्क्रब टायफस के लक्षणों वाले करीब 84 लोगों के टेस्ट किए। इनमें चार मरीज पाजिटिव पाए गए हैं।
आइजीएमसी के एमएस डा. जनक राज ने बताया कि अस्पताल में स्क्रब टायफस संबंधी सभी टेस्ट और दवाएं मुफ्त उपलब्ध करवाई जा रही हैं। बरसात में बुखार को हल्के में न लें। किसी भी कारण से आए बुखार को नजरअंदाज न करें, तुरंत डाक्टर के पास जाएं और जांच करवाएं। उन्होंने बताया कि बुखार यदि एक हफ्ते से ज्यादा चले तो मरीज का मर्ज चरम तक पहुंच सकता है। ऐसे में मरीज की हालत गंभीर हो जाती है। स्क्रब टायफस से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में काले रंग के निशान पड़ते हैं। बुखार, थकावट, शरीर में दर्द, कमजोरी, उल्टियां इसके लक्षण हैं।
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कैसे करें बचाव
स्क्रब टायफस एक कीड़े, जोकि चूहों में होता है, के काटने से होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आमतौर पर महिलाएं खेतों में काम करती हैं। ऐसे में उन्हें पूरे बाजू के कपड़े और जूते पहन कर खेत में जाना चाहिए। बैठकर घास काटने, पीठ और सिर पर बोझ उठाते हुए स्क्रब टायफस का कीड़ा शरीर में प्रवेश कर सकता है। ऐसे में बालों और गर्दन के पूरे हिस्से को कवर करना चाहिए। खेत से वापस आने के बाद साबुन से नहा लें और खेत में पहने कपड़ों को भी बदल लें।
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संक्रमण फैलने से होती है मौत
स्क्रब टायफस का कीड़ा जब काटता है तो वह अपनी लार छोड़ता है, ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को संक्रमण हो जाता है। जब यह संक्रमण फेफड़ों, किडनी, लीवर में पहुंचता है तो मरीज को बचा पाना मुश्किल होता है। इसके अलावा मरीज का अस्पताल में देर से लाने पर भी जान जा सकती है।