हिमाचल में पर्वत धारा योजना शुरू, भूजल में होगी वृद्धि
प्रदेश में पर्वत धारा योजना आरंभ हो गई है। इसके माध्यम से जलस्रोतों का
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश में पर्वत धारा योजना आरंभ हो गई है। इसके माध्यम से जलस्रोतों का संवर्धन हो सकेगा। इससे भूजल स्तर में वृद्धि होगी। योजना को 10 वन मंडलों में पायलट आधार पर आरंभ किया गया है। इनमें दो करोड़ 76 लाख रुपये खर्च होंगे। इसके तहत 110 छोटे-बड़े तालाब, 600 विभिन्न प्रकार के चेक डैम व चेक वॉल, 12 हजार कन्टूर ट्रैंच का निर्माण होगा। इसके अलावा पौधारोपण भी होगा।
इस योजना को प्रदेश में लाहुल-स्पीति एवं किन्नौर को छोड़कर शेष जिलों में क्रियान्वित किया जा रहा है। इसमें जल शक्ति विभाग नोडल विभाग के तौर पर कार्य करेगा। हिमाचल प्रदेश में दो-तिहाई भूभाग में वन हैं। करीब 27 प्रतिशत भूभाग हरित आवरण से ढका है, इसलिए पर्वत धारा योजना के क्रियान्वयन में वन विभाग की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
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क्या-क्या होगा
इस योजना के तहत विलुप्त हो रहे जलस्रोतों के जीर्णोद्धार और ढलानदार खेतों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए वन विभाग की ओर से छोटे-बडे़ जल संचायन ढांचों का निर्माण कार्य शुरू किया गया है। योजना के तहत जल संग्रहण, तालाबों के निर्माण के साथ-साथ उनका रखरखाव किया जा रहा है।
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ये हैं वन मंडल
इस योजना के तहत वन विभाग ने वर्ष 2020-21 में 10 वन मंडलों में पायलट आधार पर कार्य शुरू किया है। इसमें बिलासपुर, हमीरपुर, जोगेंद्रनगर, नाचन, पार्वती, नूरपुर, राजगढ़, नालागढ़, ठियोग और डलहौजी वन मंडल शामिल हैं। इस योजना का उद्देश्य धरती पर अधिक समय तक पानी का ठहराव करना है, जिससे जल स्तर में वृद्धि होगी। योजना के तहत अन्य वन मंडलों को भी शामिल किया जाएगा। पहाड़ों में जल धारा की निरंतरता को बनाए रखने के लिए ऊंची चोटियों पर बर्फ और वनों में जल संरक्षण की आवश्यकता महसूस की गई है।