ठियोग में वर्षाशालिका नहीं, संक्रमण का खतरा
सुनील ग्रोवर ठियोग ठियोग उपनगर में आसपास के क्षेत्रों के लोग सामान लेने के लिए रोजाना पहुं
सुनील ग्रोवर, ठियोग
ठियोग उपनगर में आसपास के क्षेत्रों के लोग सामान लेने के लिए रोजाना पहुंचते हैं। खरीदारी के बाद लोग घर जाने के लिए बस अड्डे पर पहुंचते हैं, लेकिन बारिश होने के कारण लोगों को भीगना पड़ता है या फिर किसी दुकान में शरण लेनी पड़ती है। इससे दुकानों में भीड़ लगती है या फिर भीगना पड़ता है। दोनों ही स्थिति में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। लोगों ने कई बार प्रशासन से शेड बनाने की मांग की है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इससे लोगों में प्रशासन के खिलाफ रोष है।
पूर्व सरकार के समय में जनोगघाट के समीप नए बस अड्डे का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, लेकिन काम धीमा चला है। इस कारण लोगों को बस अड्डे पर खड़ा रहने के लिए कोई स्थान तक नहीं मिल रहा है।
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मैं सामान खरीदने के लिए ठियोग आया था लेकिन बारिश में भीग गया हूं। निजी बसें बंद होने के कारण बसें भी कम हैं। निगम की बसों में भी 50 फीसद से ज्यादा सवारिया नहीं बैठा रहे हैं। ऐसे में परेशानी ओर ज्यादा बढ़ रही है।
-श्याम लाल
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ठियोग बस स्टैंड में वर्षाशालिका की जरूरत है। बारिश और बर्फबारी के दौरान घर लौटने के लिए बसों का इंतजार लोगों को खुले आसमान के नीचे करना पड़ता है।
-आरएल शर्मा
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बस अड्डा ठियोग से ऊपरी शिमला और राज्य की अन्य जगहों के लिए करीब 200 बसें गुजरती हैं। लेकिन यात्रियों के लिए यहां पर वर्षाशालिका की सुविधा तक नहीं है। बस अड्डे के एक तरफ काफी पुरानी वर्षाशालिका है। वहां से आने-जाने वाली बसों पर नजर रखना मुश्किल होता है। मजबूरन लोगों को खुले आसमान के नीचे बसों का इंतजार करना पड़ता है।
-संजीव गुप्ता
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समस्या के समाधान के लिए किसी भी राजनीतिक दल और न ही किसी प्रशासनिक अधिकारी ने संज्ञान लिया है। बारिश होने के दौरान यात्रियों को मजबूरन दुकानों का सहारा लेना पड़ता है। कुछ साल पहले बस अड्डे के भवन के धराशायी होने के बाद नया भवन नहीं बना है।
-गरीब दास